महाराष्ट्रराज्य

खराब खाना परोसा तो शिवसेना विधायक ने कैंटीन कर्मचारी को पीटा

महाराष्ट्र में मराठी भाषा को लेकर जारी विवाद के बीच शिवसेना विधायक संजय गायकवाड़ का एक वीडियो सामने आया है, जिसमें वे सरकारी स्टाफ कैंटीन के कर्मचारी को पीटते नजर आ रहे हैं। इस पर विवाद हो गया है।

महाराष्ट्र में पहले से ही मराठी भाषा को लेकर विवाद जारी है और अब शिवसेना के एक विधायक का वीडियो सामने आया है, जिस पर भी विवाद हो गया है। दरअसल शिवसेना (शिंदे गुट) विधायक संजय गायकवाड़ ने खराब खाना परोसने के लिए एक कैंटीन स्टाफ को बुरी तरह से पीट दिया। जिसका वीडियो सोशल मीडिया पर खूब प्रसारित हो रहा है। संजय गायकवाड़ से जब इसे लेकर प्रतिक्रिया मांगी गई तो उन्होंने कहा कि उन्हें अपने किए पर कोई पछतावा नहीं है।

खराब खाना परोसने पर पीटा
महाराष्ट्र विधानसभा का मानसून सत्र चल रहा है, जिसके चलते बुलढ़ाणा सीट से विधायक संजय गायकवाड़ एमएलए गेस्टहाउस में ठहरे हुए हैं। इस दौरान संजय गायकवाड़ को सरकारी स्टाफ कैंटीन द्वारा खराब दाल परोस दी गई। इस पर शिवसेना विधायक ने नाराजगी जताई और एक कैंटीन स्टाफ को बुरी तरह से पीट दिया। घटना का वीडियो सोशल मीडिया पर खूब प्रसारित हो रहा है। जिसमें संजय गायकवाड़ बनियान पहने दिख रहे हैं। अभी तक शिवसेना की तरफ से इसे लेकर कोई बयान नहीं दिया गया है।

शिवसेना विधायक बोले- अपने किए पर कोई पछतावा नहीं
वहीं जब संजय गायकवाड़ से घटना को लेकर पूछा गया तो उन्होंने कहा कि ‘पूरे राज्य से लोग यहां खाना खाने आते हैं, मजदूर, अधिकारी, सभी। चूंकि यह सरकारी कैंटीन है, तो यहां खाने की गुणवत्ता अच्छी होनी चाहिए। मुझे अपने किए पर कोई पछतावा नहीं है। मैं एक जनप्रतिनिधि हूं, जब कोई लोकतांत्रिक भाषा नहीं समझ पाता, तो मुझे यही भाषा समझानी पड़ती है। मैंने उसे मराठी या हिंदी देखकर नहीं पीटा। मैंने कई बार संबंधित अधिकारियों से शिकायत की थी।’

संजय गायकवाड़ ने कहा कि ‘मैं 30 साल से आकाशवाणी कैंटीन आ रहा हूं और साढ़े पांच साल से यहां रह रहा हूं। मैंने बार-बार अनुरोध किया है कि वे अच्छा खाना दें, लेकिन अंडे 15 दिन पुराने, नॉन-वेज 15-20 दिन पुराना, सब्ज़ियां 2-4 दिन पुरानी! लगभग 5,000-10,000 लोग यहां खाना खाते हैं, और सबकी एक ही शिकायत है। किसी के खाने में छिपकली निकली, तो किसी के खाने में चूहा। मैंने कल रात 10 बजे खाना ऑर्डर किया, और पहला निवाला खाते ही मुझे लगा कि कुछ गड़बड़ है। सूंघने के बाद पता चला कि खाना बासी है। मैं नीचे गया और मैनेजर से पूछा कि खाना किसने बनाया है।

मैंने सबको खाना सूंघाया और सभी को बासी लगा। मैंने उन्हें फिर समझाया कि उन्हें साफ़ और अच्छा खाना बनाना चाहिए। जहर जैसा खाना खाने से सेहत को नुकसान होता है, अगर वे फिर भी नहीं मानते, तो मेरे पास उन्हें समझाने का अपना तरीका है। हर साल सरकार को हज़ारों शिकायतें मिलती हैं और मुझे नहीं पता कि उन्हें नज़रअंदाज़ क्यों किया जाता है, उनकी जांच क्यों नहीं होती? रसोई में चूहे और गंदगी है। इसकी जांच होनी चाहिए, लेकिन किसी को इसकी परवाह नहीं है। मैं इस पर कार्रवाई का अनुरोध करता हूं ताकि लोगों के स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़ न हो।’

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