
हरियाणा सरकार ने भूमि एवं राजस्व प्रशासन को पूरी तरह डिजिटल बनाते हुए पारदर्शी और नागरिक-अनुकूल शासन की दिशा में ऐतिहासिक कदम उठाया है। राजस्व एवं आपदा प्रबंधन की वित्त आयुक्त डॉ. सुमिता मिश्रा ने आज सभी उपायुक्तों के साथ वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से उच्च स्तरीय बैठक कर डिजिटल सुधारों की प्रगति की समीक्षा की। बैठक में डॉ. मिश्रा ने बताया कि 58 साल पुरानी पारंपरिक प्रणाली से अब हरियाणा एक आधुनिक, डिजिटल और पारदर्शी व्यवस्था की ओर अग्रसर है। उन्होंने कहा कि इसका उद्देश्य न केवल कार्यकुशलता बढ़ाना है बल्कि नागरिकों को त्वरित और निष्पक्ष सेवाएं प्रदान करना भी है।
पेपरलेस भूमि पंजीकरण प्रणाली
नवंबर से हरियाणा पूरी तरह पेपरलेस भूमि पंजीकरण प्रणाली में प्रवेश करेगा। अब किसी भी तहसील में भौतिक दस्तावेजों की आवश्यकता नहीं होगी। सभी रजिस्ट्री केवल डिजिटल सिग्नेचर के माध्यम से मान्य होंगी। जालसाजी या दस्तावेज खोने की संभावना पूरी तरह समाप्त हो जाएगी। 3 नवंबर से पहले खरीदे गए स्टाम्प 15 नवंबर 2025 तक मान्य रहेंगे।
नागरिक फीडबैक अब क्यूआर कोड से
जल्द ही सभी तहसीलों में क्यूआर कोड आधारित फीडबैक सिस्टम शुरू किया जाएगा। नागरिक अपनी सेवा अनुभव को तुरंत रेट कर सकेंगे और किसी भी समस्या की रियल-टाइम रिपोर्टिंग कर पाएंगे।
राजस्व सेवाओं का डिजिटल ट्रांजिशन
सभी तहसीलदारों, नायब तहसीलदारों और पंजीयन कर्मियों को निर्देश दिए गए हैं कि वे अपने यूजर अकाउंट तुरंत सक्रिय करें ताकि ऑनलाइन ट्रांजिशन सुचारू रूप से हो सके। सभी लंबित म्यूटेशन (नामांतरण) मामलों का निपटान इस सप्ताह के अंत तक करने के निर्देश भी दिए गए हैं।
25 नवंबर से ऑटो-म्यूटेशन सिस्टम
राज्य सरकार 25 नवंबर से ऑटो-म्यूटेशन सिस्टम लागू करेगी, जिससे स्वामित्व हस्तांतरण स्वतः रिकॉर्ड हो सकेगा। इससे देरी और विवाद समाप्त होंगे। सभी भुगतान अब केवल ई-गवर्नेंस पेमेंट गेटवे से ही होंगे, जिससे पारदर्शिता सुनिश्चित होगी।
ऑनलाइन डीड सिस्टम लागू
डीड राइटर्स को मैनुअल ड्राफ्टिंग बंद करने के निर्देश दिए गए हैं। केवल पोर्टल द्वारा तैयार की गई ऑनलाइन डीड ही कानूनी रूप से मान्य होगी। भूमि अभिलेखों से स्वतः सत्यापन और अधिकारियों के डिजिटल हस्ताक्षर से यह प्रक्रिया पूरी होगी।
HaLMSP प्रोजेक्ट की प्रगति
डॉ. मिश्रा ने हरियाणा लार्ज स्केल मैपिंग प्रोजेक्ट (HaLMSP) की समीक्षा की और तितामा अपडेट कार्य शीघ्र पूरा करने के निर्देश दिए। यह प्रोजेक्ट हर प्लॉट का जीपीएस आधारित डिजिटल मानचित्र तैयार करेगा, जिससे सीमा विवाद समाप्त होंगे और नागरिकों को विधिक रूप से प्रमाणित संपत्ति रिकॉर्ड मिलेंगे।
ऑनलाइन निशानदेही प्रक्रिया
अब सभी निशानदेही आवेदन केवल ऑनलाइन पोर्टल से ही स्वीकार किए जाएंगे। ऑफलाइन आवेदन पूरी तरह बंद कर दिए गए हैं। फीस ग्रामीण क्षेत्रों में ₹1000 प्रति एकड़ (अतिरिक्त एकड़ पर ₹500) और शहरी क्षेत्रों में ₹2000 तय की गई है। प्रक्रिया जीपीएस-इनेबल्ड रोवर तकनीक से की जाएगी।
जवाबदेही और पारदर्शिता पर जोर
डॉ. सुमिता मिश्रा ने कहा, “हम ऐसा शासन तंत्र बना रहे हैं जहाँ हर भूमि रिकॉर्ड सटीक हो, हर नागरिक की आवाज सुनी जाए और हर अधिकारी जवाबदेह हो। पेपरलेस रजिस्ट्री, ई-पेमेंट, ऑटो-म्यूटेशन और रियल-टाइम मॉनिटरिंग जैसी पहलें हरियाणा को डिजिटल भूमि शासन में राष्ट्रीय स्तर पर अग्रणी बनाएंगी।”
 
				 
					


