महाराष्ट्रराज्य

गिलियन-बैरे सिंड्रोम को लेकर डिप्टी सीएम अजित पवार का बड़ा एलान

पुणे में बढ़ते गिलियन-बैरे सिंड्रोम के मामलों को लेकर पवार ने एलान किया कि इस बीमारी का इलाज बहुत महंगा है। जिला प्रशासन और नगर निगम के अधिकारियों के साथ चर्चा के बाद हमने प्रभावित मरीजों को मुफ्त इलाज देने का फैसला किया है।

पुणे में बढ़ रहे गिलियन-बैरे सिंड्रोम (जीबीएस) के बढ़ते मामलों को लेकर डिप्टी सीएम अजित पवार ने बड़ा एलान किया है। उन्होंने कहा कि बीमारी से पीड़ित मरीजों का अब मुफ्त इलाज होगा। मरीजों को दवाएं मुहैया कराने के लिए भी सरकार ने फैसला लिया।

गणतंत्र दिवस के मौके पर डिप्टी सीएम अजित पवार ने पुणे में राष्ट्रीय ध्वज फहराया। उन्होंने कहा कि गणतंत्र दिवस के अवसर पर मैं महाराष्ट्र और भारत के सभी नागरिकों को अपनी शुभकामनाएं देता हूं। मैं महाराष्ट्र के सभी पद्म पुरस्कार विजेताओं और राष्ट्रपति पदक विजेताओं को भी बधाई देता हूं।

पुणे में बढ़ते गिलियन-बैरे सिंड्रोम के मामलों को लेकर पवार ने एलान किया कि इस बीमारी का इलाज बहुत महंगा है। जिला प्रशासन और नगर निगम के अधिकारियों के साथ चर्चा के बाद हमने प्रभावित मरीजों को मुफ्त इलाज देने का फैसला किया है। पिंपरी-चिंचवाड़ के लोगों का इलाज वाईसीएम अस्पताल में किया जाएगा। जबकि पुणे नगर निगम क्षेत्रों के मरीजों को कमला नेहरू अस्पताल में इलाज मिलेगा। वहीं ग्रामीण क्षेत्रों के नागरिकों को पुणे के ससून अस्पताल में मुफ्त इलाज उपलब्ध कराया जाएगा।

पवार ने कहा कि गिलियन-बैरे सिंड्रोम के इलाज के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले इंजेक्शन की कीमत लगभग आठ हजार रुपये है, लेकिन निजी अस्पताल 20 हजार रुपये लेते हैं। इसलिए हमने आज कई फैसले लिए और मुंबई लौटने के बाद अतिरिक्त उपाय करेंगे।

शरद पवार के स्वास्थ्य पर की बात
डिप्टी सीएम अजित पवार ने एनसीपी प्रमुख शरद पवार के स्वास्थ्य पर भी बात की। अजित पवार ने कहा कि वीएसआई कार्यक्रम के दौरान पवार साहब को सीने में जकड़न के कारण बोलने में कठिनाई हुई। मैंने, जयंत पाटिल और अन्य लोगों ने उन्हें आराम करने की सलाह दी। लेकिन उन्होंने कोल्हापुर में कार्यक्रम में भाग लिया। वहां उनकी तबीयत खराब हो गई और वे मुंबई लौट आए। डॉक्टरों ने अब उन्हें चार दिन आराम करने की सलाह दी है। वे आराम कर रहे हैं।

पुणे में 73 मामले सामने आए
पुणे में गिलियन-बैरे सिंड्रोम (जीबीएस) के अब तक 73 मामले सामने आ चुके हैं। कुल मामलों में से 47 पुरुष और 26 महिलाएं हैं। इनमें से 14 वेंटिलेटर सपोर्ट पर हैं। डॉक्टरों का कहना है कि जीबीएस एक दुर्लभ स्थिति है, जो अचानक सुन्नता और मांसपेशियों में कमजोरी का कारण बनती है, जिसमें अंगों में गंभीर कमजोरी जैसे लक्षण होते हैं।

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