पंजाब

चंडीगढ़: 29 साल बाद सुखपाल सिंह का एनकाउंटर फर्जी करार

गुरदासपुर के काला अफगाना गांव के सुखपाल सिंह के 1994 में हुए एनकाउंटर को एसआईटी ने फर्जी करार दिया है। एसआईटी की जांच के आधार पर तत्कालीन एसपी डिटेक्टिव परमराज उमरानंगल (वर्तमान में आईजी), मोरिंडा के तत्कालीन डीएसपी जसपाल सिंह व एएसआई गुरदेव सिंह पर एफआईआर दर्ज कर दी गई है। मामले की जांच कर रही एसआईटी के प्रमुख स्पेशल डीजीपी गुरप्रीत देओ की ओर से हाईकोर्ट में दिए हलफनामे में यह खुलासा हुआ है।

मृतक सुखपाल की पत्नी दलबीर कौर ने एडवोकेट आर कार्तिकेय के माध्यम से याचिका दाखिल करते हुए बताया था कि 13 अगस्त 1994 को पुलिसकर्मी काला अफगाना गांव में उनके घर आए और उनके पति को अपने साथ ले गए। बताया गया कि मजीठा में पुलिस को किसी मामले की जांच में सुखपाल की जरूरत है लेकिन इसके बाद वह कभी नहीं लौटा। इसी बीच, उन्हें पता चला कि आतंकवादी गुरनाम सिंह बंडाला उर्फ नीला तारा रोपड़ में मुठभेड़ में मारा गया। 

बाद में पता चला कि उमरानंगल की अगुवाई वाली टीम ने मुठभेड़ में जिसे मारा था वह बंडाला नहीं, बल्कि सुखपाल सिंह था। साल 2007 में याची को समाचार पत्रों से पता चला कि आतंकी बंडाला, जिसे कथित तौर पर उमरानंगल (बाद में आईजी) के नेतृत्व वाली रोपड़ पुलिस टीम ने मुठभेड़ में मारने का दावा किया था, उसे जिंदा पकड़ लिया गया है।

एसआईटी ने दर्ज किया है नया मामला

एसआईटी प्रमुख की ओर दाखिल हल्फनामे में हाईकोर्ट को बताया कि जांच में मुठभेड़ फर्जी पाई गई है। गलत तथ्यों पर सुखपाल सिंह पर एफआईआर दर्ज की गई थी। एसआईटी ने कानूनी राय लेने के बाद 21 अक्तूबर 2023 को सिंह भगवंतपुरा जिला रोपड़, थाने में नया मामला दर्ज किया है। इसमें तत्कालीन एसपी डिटेक्टिव उमरानंगल, तत्कालीन डीएसपी मोरिंडा जसपाल सिंह व एएसआई गुरदेव सिंह (अब दिवंगत) को नामजद किया गया है। इस एफआईआर में जांच रोपड़ एसपी मुख्यालय की ओर से की जा रही है।

हाईकोर्ट के आदेश पर बदली गई एसआईटी

हाईकोर्ट ने इस मामले में सिद्धार्थ चटोपाध्याय की अध्यक्षता में एसआईटी गठित कर जांच के आदेश दिया था। इसके बाद हाईकोर्ट ने 10 मार्च 2023 को एसआईटी को बदल दिया था। विशेष डीजीपी गुरप्रीत कौर की अगुवाई में तीन आईपीएस की एक टीम बनाई थी। टीम के सभी सदस्य पंजाब कैडर के हैं लेकिन उनका गृह राज्य पंजाब नहीं है।

सुखपाल की पत्नी ने की थी सीबीआई जांच की मांग

मृतक की पत्नी की ओर से हाईकोर्ट में याचिका दाखिल कर फर्जी एनकाउंटर मामले में सीबीआई जांच की मांग की गई थी। इस मामले में हाईकोर्ट के कड़े रुख के बाद पंजाब पुलिस ने एफआईआर दर्ज की थी। पुलिस ने इस मामले में जांच पूरी नहीं की थी। इसके चलते हाईकोर्ट के आदेश पर जांच के लिए एसआईटी गठित की गई।

29 जुलाई 1994 में दर्ज एफआईआर में सुखपाल निर्दोष

पंजाब पुलिस की एसआईटी 1994 में सुखपाल सिंह पर दर्ज एफआईआर और हाईकोर्ट के आदेश पर इस एनकाउंटर की जांच के लिए 15 मार्च 2016 में दर्ज एफआईआर की जांच कर रही थी। 29 जुलाई 1994 में दर्ज एफआईआर में सुखपाल सिंह को निर्दोष करार देते हुए एसआईटी ने निचली अदालत में कैंसिलेशन रिपोर्ट दाखिल कर दी है।

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