अन्तर्राष्ट्रीय

चीन के चोर बाजार में भारत सहित इन देशों के आईफोन की बाढ़

एशियाई खुफिया एजेंसियों के अनुसार बीजिंग, शेन्जेन और ग्वांगझू के बीच सक्रिय एक संगठित नेटवर्क हर महीने 2.5 से 3 लाख चोरी के फोन विभिन्न चैनलों से चीन लाता है। इनमें से 40% से अधिक फोन भारत, नेपाल, थाईलैंड और इंडोनेशिया से चोरी होकर पहुंचते हैं। शेन्जेन के काले बाजारों में ये फोन री-प्रोग्राम्ड होते हैं यानी नया आईएमईआई नंबर और अनलॉक्ड आईक्लाउड के साथ बेचे जाते हैं।

चीन में सोशल मीडिया पर सरकारी प्रतिबंध और आईफोन की आसमान छूती कीमतों ने एक नए ब्लैक टेक मार्केट को जन्म दे दिया है। साउथ चाइना मॉर्निंग पोस्ट की रिपोर्ट के अनुसार, चीन में बिकने वाले कुल मोबाइल फोनों में से लगभग 12 से 15% तक अब अवैध या चोरी के माध्यमों से बाजार में आने वाले उपकरणों का हिस्सा बन चुके हैं। इनमें से अधिकतर फोन भारत, थाईलैंड और वियतनाम जैसे देशों से चोरी होकर पहुंचते हैं।

इस बढ़ते नेटवर्क को रोकने में भारत का सी-डॉट व उसकी सेंट्रल इक्विपमेंट आइडेंटिटी रजिस्टर प्रणाली अब एक निर्णायक तकनीकी मॉडल के रूप में उभर रही है। चीन में आईफोन सिर्फ एक स्मार्टफोन नहीं बल्कि प्रतिष्ठा (स्टेटस सिंबल) का प्रतीक बन चुका है। निक्केई एशिया के अनुसार बीजिंग और शंघाई के युवाओं में आईफोन रखना पश्चिमी जीवनशैली और आर्थिक सफलता का प्रतीक माना जाता है। लेकिन समस्या यह है कि चीन में औसत शहरी आय 8 से 10,000 युआन प्रति माह है, जबकि आईफोन के नए मॉडलों की कीमत 10,000 से 14,000 युआन तक है। चोर बाजार में ये मोबाइल 30 से 40% सस्ते मिल जाते हैं।

ब्लैक मार्केट से भी आईफोन लेना बेहतर विकल्प

चीन में बने कई स्थानीय ब्रांड (जैसे शाओमी, वीवो, ओप्पो) पर सरकारी निगरानी के आरोप लगते रहे हैं। कई चीनी कारोबारी, पत्रकार और एक्टिविस्ट आईफोन को अधिक सुरक्षित और प्राइवेसी-फ्रेंडली मानते हैं। इस वर्ग के लिए चोरी या ब्लैक मार्केट से भी आईफोन लेना बेहतर विकल्प बन गया है।

बीजिंग-शेन्जेन रूट और अंतरराष्ट्रीय चोरी नेटवर्क

एशियाई खुफिया एजेंसियों के अनुसार बीजिंग, शेन्जेन और ग्वांगझू के बीच सक्रिय एक संगठित नेटवर्क हर महीने 2.5 से 3 लाख चोरी के फोन विभिन्न चैनलों से चीन लाता है। इनमें से 40% से अधिक फोन भारत, नेपाल, थाईलैंड और इंडोनेशिया से चोरी होकर पहुंचते हैं। शेन्जेन के काले बाजारों में ये फोन री-प्रोग्राम्ड होते हैं यानी नया आईएमईआई नंबर और अनलॉक्ड आईक्लाउड के साथ बेचे जाते हैं।

भारत का सीईआईआर मॉडल चोरी रोकने का कवच

भारत सरकार के दूरसंचार विभाग ने अपने स्वायत्त संस्थान सी-डॉट के जरिये सीईआईआर नामक तकनीक विकसित की है। यह प्रणाली चोरी या गुम हुए मोबाइल फोन के आईएमईआई नंबर को ब्लॉक कर देती है, जिससे वह डिवाइस किसी भी भारतीय नेटवर्क पर काम करने में पूरी तरह अक्षम हो जाता है। सीईआईआर चोरी गए फोन को नेटवर्क-स्तर पर निष्क्रिय कर देता है। अगर फोन किसी दूसरे देश में भी चालू किया जाए, तो उसका आईएमईआई सिग्नेचर ट्रैक किया जा सकता है।

वैश्विक सहयोग की दिशा में भारतीय तकनीकी बेहतर

भारत का सीईआईआर मॉडल अब इंटरनेशनल टेलीकम्युनिकेशन यूनियन में भी प्रस्तुत किया गया है। इससे चोरी के मोबाइलों की सीमा-पार बिक्री रुक सकती है। चीन जैसे देशों में फोन चोरी और ब्लैक मार्केट सिर्फ आर्थिक अपराध नहीं बल्कि साइबर-सुरक्षा खतरा भी है। चोरी हुए उपकरणों का उपयोग डाटा चोरी, हैकिंग या निगरानी गतिविधियों के लिए किया जा सकता है। भारतीय तकनीक इस चुनौती का मुकाबला करने में सक्षम है।

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