चीन के विदेश मंत्री शी गांग ने विदेश मंत्री एस जयशंकर की द्विपक्षीय मुलाकात…
एससीओ बैठक में हिस्सा लेने के लिए आये चीन के विदेश मंत्री शी गांग के साथ गुरुवार को विदेश मंत्री एस जयशंकर ने द्विपक्षीय मुलाकात की और इस दौरान उन्होंने भारत का वही पक्ष रखा जो ठीक दो महीने पहले कहा था। यानी जब तक सीमा विवाद को सुलझा नहीं लिया जाता तब तक द्विपक्षीय रिश्ते सामान्य नहीं हो सकते।
एक सप्ताह पहले राजनाथ सिंह ने साफ किया था रूख
यही बात ठीक एक हफ्ते पहले रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने चीन के रक्षा मंत्री ली शांगफू से कही थी और उसके पहले 02 मार्च, 2023 को जयशंकर और गांग के बीच जी को-20 विदेश मंत्रियों की बैठक के दौरान हुई बातचीत में भी भारत ने यही रूख दिखाया था। दूसरी तरफ, चीन लगातार कह रहा है कि सीमा पर स्थिति सामान्य है जिसे भारत स्वीकार नहीं कर रहा है।
मई, 2020 में पूर्वी लद्दाख में चीनी सैनिकों की घुसपैठ के बाद दोनो देशों के बीच स्थिति तनावपूर्ण बनी हुई है। हालांकि, इसके बावजूद दोनो देशों के बीच उच्चस्तरीय वार्ताओं का दौर जारी है। गांग और जयशंकर के बीच गुरुवार को मुलाकात एक घंट से ज्यादा समय तक चली।
द्विपक्षीय रिश्तों पर विस्तार से हुई वार्ता
इसके बार में जयशंकर ने ट्वीट करके बताया, ”स्टेट काउंसलर और विदेश मंत्री शी गांग के साथ मुलाकात हमारे द्विपक्षीय रिश्तों के बारे में बहुत ही विस्तार से वार्ता हुई। मुख्य तौर पर विवादित मुद्दों के समाधान और सीमावर्ती क्षेत्रों में अमन व शांति बनाने को लेकर बातचीत हुई है। हमने एससीओ, जी-20 और ब्रिक्स संगठन को लेकर भी बातचीत किये हैं।”
दोनो पक्षों की तरफ से आधिकारिक तौर पर कोई विस्तृत सूचना जारी नहीं की गई है, लेकिन अपेक्षाकृत लंबे समय तक चली बैठक को कई जानकार भारत व चीन की तरफ से सीमा विवाद सुलझाने को लेकर जारी विमर्श से जोड़कर देख रहे हैं। गांग के विदेश मंत्री बनने के बाद जयशंकर से उनकी दूसरी मुलाकात है।
पहले कई बार चीन को स्पष्ट सुना चुके हैं विदेश मंत्री
दरअसल, इसके पहले भी जयशंकर कई मौकों पर यह कह चुके हैं कि भारत और चीन के बीच स्थित वास्तविक नियंत्रण रेखा पर स्थिति चिंतापूर्ण है। दूसरी तरफ, चीन की तरफ से इस विवाद को परे रख कर द्विपक्षीय रिश्तों को सामान्य बनाने की कोशिश की जाती है। पिछले हफ्ते रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह के साथ इसी तरह की बैठक में चीन के रक्षा मंत्री शांगफू ने सैन्य सहयोग का प्रस्ताव पेश किया था जिसे भारत ने मौके पर ही खारिज कर दिया।