जबलपुर: हाईकोर्ट ने स्कूलों के रजिस्टर्ड किरायानामा की शर्त पर लगाई रोक

रजिस्टर्ड किरायानामा के कारण लगभग सात से आठ हजार स्कूलों के बंद होने की संभावना है। इनमें कार्यरत शिक्षक शिक्षिका और कर्मचारी बेरोजगार हो सकते हैं। हाईकोर्ट ने मामले पर विचार करते हुए सात मई 2025 तक छह जनवरी 2023 की अधिसूचना को स्थगित कर दिया है।
मप्र हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस सुरेश कुमार कैत और जस्टिस विवेक जैन की युगलपीठ ने अपने अंतरिम आदेश के जरिए स्कूलों के रजिस्टर्ड किरायानामा की शर्त पर रोक लगा दी है। इसके साथ ही युगलपीठ ने मामले में राज्य शासन को जवाब पेश करने के लिए छह सप्ताह की मोहलत दी है।
दरअसल, 2009 के निशुल्क शिक्षा अधिकार अधिनियम के अंतर्गत 2011 में मध्य प्रदेश में यह अधिनियम लागू किया गया था। तब रजिस्टर्ड किरायानामा और सुरक्षा निधि और प्रत्येक वर्ष का मान्यता शुल्क ऐसे कोई भी नियम निर्धारित नहीं किए गये थे। 20 से 25 वर्षों से संचालित स्कूल रजिस्टर्ड किरायानामा के कारण स्थाई रूप से बंद होने की कगार पर आ गये हैं। 30 से 40 प्रतिशत स्कूल संचालकों ने नोटरी कृत किरायानामा लगाकर आवेदन किया, जिनकी मान्यता निरस्त हो रही है।
नये नियमों से लगभग सात से आठ हजार स्कूलों के बंद होने की संभावना है। इनमें कार्यरत शिक्षक शिक्षिका और कर्मचारी बेरोजगार हो सकते हैं। निशुल्क शिक्षा अधिकार अधिनियम में पढ़ने वाले बच्चे शिक्षा से वंचित हो सकते हैं। उक्त सभी समस्याओं को मप्र प्राइवेट स्कूल वेलफेयर संचालक मंच के प्रदेश अध्यक्ष शैलेष तिवारी, प्रदेश अध्यक्ष आनंद भागवत, प्रदेश सचिव अरविंद मिश्रा, सहसचिव अनुराग भार्गव, कोषाध्यक्ष मोनू तोमर, सलाहकार विकास अवस्थी, जबलपुर की ओर से चुनौती दी गई।
याचिकाकर्ताओं का पक्ष अधिवक्ता स्मिता वर्मा अरोरा ने रखा। उन्होंने निजी स्कूलों की समस्या हाईकोर्ट के समक्ष रखी। जिस पर गौर करने के बाद हाईकोर्ट ने सात मई 2025 तक छह जनवरी 2023 के राजपत्र अधिसूचना को स्थगित रखे जाने की अंतरिम व्यवस्था दे दी।