जयपुर में वर्ष 2008 में हुए सीरियल ब्लास्ट बम धमाकों के मामलों में सुप्रीम कोर्ट ने एसएलपी स्वीकार कर ली है । दरअसल जयपुर में 13 मई 2008 को हुए 8 धमाकों में 71 लोगों की मौत हो गई थी, जबकि 200 लोग घायल हो गए थे । इस मामले में एक विशेष अदालत ने दिसंबर 2019 में चार लोगों को दोषी ठहराते हुए मौत की सजा सुनाई थी । जिसके बाद राजस्थान हाईकोर्ट ने निचली अदालत के फैसलों पर रोक लगाते हुए चारों अभियुक्तों को बरी कर दिया था । जिसके बाद राजस्थान सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में एसएलपी दायर की थी ।
राजस्थान सरकार ने इन याचिकाओं को मुख्य अभियुक्तों, जिसमें सैफुर्रहमान अंसारी और शहबाज हुसैन शहबाज अहमद शामिल हैं, के खिलाफ दाखिल किया है। ये अभियुक्त 2008 में जयपुर में हुए भयानक घटना के दौरान बम लगाने और उसे अंजाम देने में मुख्य भूमिका निभा रहे थे। मामले में भारत के सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता और अतिरिक्त महाधिवक्ता शिव मंगल शर्मा ने राजस्थान सरकार की ओर से प्रस्तुत हुए।
आपको बता दें कि प्रारंभिक ट्रायल कोर्ट ने सैफुर्रहमान अंसारी को दोषी ठहराया था, जिसमें FIR संख्या 118/2008 में उन्हें मृत्युदंड और कई अन्य FIRs (117/2008, 119/2008, 120/2008, 130/2008,131/2008, 132/2008, और 133/2008) में उम्रकैद की सजा सुनाई गई थी। ये निर्णय और सजा 18 नवंबर 2019 और 20 दिसंबर 2019 को सुनाई गई थीं। हालांकि, राजस्थान हाईकोर्ट ने बाद में सैफुर्रहमान अंसारी और शहबाज हुसैन को बरी कर दिया था । इसके बाद राजस्थान सरकार ने हाईकोर्ट के फैसले को चुनौती देने के लिए सुप्रीम कोर्ट में विशेष अनुमति याचिकाएं (SLP) दायर की थी । जो कि सुप्रीम कोर्ट ने स्वीकार कर ली है । ऐसे में एसएलपी स्वीकार करने सुप्रीम कोर्ट का जयपुर बम धमाकों के पीड़ितों की न्याय की दिशा में बड़ा कदम है।