जवाहरलाल नेहरू की आज 133वीं जयंती, इस अवसर पर पीएम मोदी ने कहीं यह बात ..
आज भारत के पहले प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू की 133वीं जयंती है। आज का यह दिन ‘बाल दिवस’ के रूप में मनाया जाता है। इस अवसर पर पीएम मोदी ने कहा कि हमारे पूर्व प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू जी की जयंती पर उन्हें कोटि-कोटि नमन करता हूं। हम अपने राष्ट्र के लिए उनके योगदान को भी याद करते हैं।
वहीं, पूर्व प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू की जयंती पर यूपीए अध्यक्ष सोनिया गांधी और कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने स्मारक शांति वन में पुष्पांजलि अर्पित की है।
14 नवंबर, 1889 को हुआ था जन्म
भारत के पहले प्रधानमंत्री के रूप में कार्य करने वाले जवाहरलाल नेहरू का जन्म 14 नवंबर, 1889 को इलाहाबाद (अब प्रयागराज) में हुआ था। आज उनकी 133वीं जयंती है। उनकी जयंती को देश में हर साल बाल दिवस के रूप में मनाया जाता है।
नेहरू का मानना था कि बच्चे देश का सबसे बड़ा संसाधन हैं। यही वजह है कि उनकी जयंती 14 नवंबर को मनाई जाती है। उन्हें प्यार से ‘चाचा नेहरू’ कहा जाता था।
बाल दिवस को लेकर संसद में पारित हुआ था प्रस्ताव
इससे पहले भारत में बाल दिवस 20 नवंबर को मनाया जाता था, जिस दिन संयुक्त राष्ट्र द्वारा विश्व बाल दिवस मनाया जाता है। लेकिन नेहरू की मृत्यु के बाद 14 नवंबर को बाल दिवस मनाने का निर्णय लिया गया। उनके जन्मदिन को बाल दिवस या बाल दिवस के रूप में चिह्नित करने के लिए संसद में एक प्रस्ताव पारित किया गया था।
उनका मानना था कि बच्चे ही देश की सच्ची शक्ति और समाज की आधारशिला हैं। बाल दिवस पूरे भारत में बच्चों द्वारा और बच्चों के लिए आयोजित शैक्षिक और प्रेरणादायक कार्यक्रमों के साथ मनाया जाता है।
कौन थे जवाहरलाल नेहरू ?
जवाहरलाल नेहरू एक प्रसिद्ध वकील और भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन के प्रमुख नेता मोतीलाल नेहरू के पुत्र थे। नेहरू 15 वर्ष की उम्र में इंग्लैंड चले गए और हैरो में दो साल बिताए और फिर प्राकृतिक विज्ञान में अपनी यात्रा पूरी करने के लिए कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय में दाखिला लिया। 1912 में भारत लौटने के बाद उन्होंने राजनीति में प्रवेश किया।
27, मई 1964 को जवहारलाल नेहरू का हुआ निधन
वह हमेशा एक छात्र के रूप में विदेशी शासन के तहत सभी राष्ट्रों के संघर्ष में रुचि रखते थे। नेहरू ने 1942 में बॉम्बे (अब मुंबई) में एआईसीसी की बैठक के दौरान ऐतिहासिक ‘भारत छोड़ो’ आंदोलन का प्रस्ताव रखा था। उन्होंने स्वतंत्रता के बाद से 27 मई, 1964 को अपनी मृत्यु तक भारत के प्रधानमंत्री के रूप में कार्य किया था।