जस्टिस यशवंत वर्मा की बढ़ सकती हैं मुश्किलें, FIR की मांग वाली याचिका पर होगी सुनवाई

सुप्रीम कोर्ट ने इलाहाबाद हाई कोर्ट के जज जस्टिस यशवंत वर्मा के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करने की याचिका पर तत्काल सुनवाई के लिए सहमति जताई है। यह याचिका जस्टिस वर्मा के दिल्ली स्थित आवास पर जली हुई नकदी मिलने के मामले में दायर की गई है। कोर्ट याचिका में खामियों को दूर करने की शर्त पर बुधवार को सुनवाई के लिए सहमत हो गया।
सुप्रीम कोर्ट ने इलाहाबाद हाई कोर्ट के जज जस्टिस यशवंत वर्मा के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करने के अनुरोध वाली याचिका पर तत्काल सुनवाई के लिए सहमति जताई है। जस्टिस वर्मा के दिल्ली स्थित सरकारी आवास पर नकदी मिलने के मामले में प्राथमिकी की मांग की गई है।
प्रधान न्यायाधीश बीआर गवई और जस्टिस एजी मसीह की पीठ ने सोमवार को वकील और याचिकाकर्ता मैथ्यूज नेदुम्परा की दलीलों पर गौर करते हुए कहा कि अगर खामियों को दूर कर दिया जाता है तो मंगलवार पर सुनवाई हो सकती है।
याचिका में कोई खामी रही तो दूर करेंगे: नेदुम्परा
नेदुम्परा ने कहा कि अगर याचिका में कोई खामी है तो वह उसे दूर करेंगे। उन्होंने पीठ से आग्रह किया कि इसे बुधवार को सूचीबद्ध करें क्योंकि वह मंगलवार को उपलब्ध नहीं हैं। पीठ ने खामियों को दूर करने की शर्त पर इसे बुधवार को सूचीबद्ध करने पर सहमति जताई।
जस्टिस वर्मा के घर से भारी मात्रा में जली हुई नकदी मिली थी
गौरतलब है कि जस्टिस वर्मा के सरकारी आवास पर 14 मार्च की रात आग लग गई थी। अग्निशमन टीम को आग बुझाने के दौरान एक स्टोर रूप में भारी मात्रा में जली हुई नकदी मिली थी। बाद में जस्टिस वर्मा का तबादला दिल्ली हाई कोर्ट से इलाहाबाद हाई कोर्ट कर दिया था।
नेदुम्परा और तीन अन्य लोगों द्वारा दायर याचिका में तत्काल आपराधिक कार्यवाही शुरू करने की मांग करते हुए कहा गया था कि आंतरिक समिति ने जस्टिस वर्मा के खिलाफ आरोपों को प्रथम दृष्टया सही पाया है। आंतरिक जांच से न्यायिक अनुशासनात्मक कार्रवाई हो सकती है, लेकिन वर्तमान कानूनों के तहत यह आपराधिक जांच का विकल्प नहीं है। आंतरिक जांच से आपराधिक कार्रवाई शुरू नहीं हो सकती।
आंतरिक जांच आयोग ने जस्टिस वर्मा को ठहराया था दोषी
आंतरिक जांच आयोग ने इस मामले में जस्टिस वर्मा को दोषी ठहराया था। इसके बाद तत्कालीन प्रधान न्यायाधीश संजीव खन्ना ने जस्टिस वर्मा को इस्तीफा देने के लिए कहा था। जस्टिस वर्मा के इस्तीफा देने से इन्कार करने के बाद तत्कालीन प्रधान न्यायाधीश ने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर जांच समिति की रिपोर्ट और जस्टिस वर्मा का जवाब भेजा था। बताया जा रहा है कि जस्टिस खन्ना ने जस्टिस वर्मा के खिलाफ महाभियोग की प्रक्रिया शुरू करने की सिफारिश की है।