जाने आखिर चीन ने शहबाज शरीफ को इमरान खान से क्यों बताया बेहतर PM ,क्या है इसके पीछे की वजह
पाकिस्तान में नए निजाम का चीन ने जमकर स्वागत किया है। चीन ने कहा कि कुछ मायनों में पाकिस्तान के नए प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान से बेहतर है। चीन ने कहा कि शहबाज से दोनों देशों के रिश्ते और प्रगाढ़ होंगे। प्रधानमंत्री बनने के बाद शहबाज ने नेशनल असेंबली में कहा था कि चीन के साथ पाकिस्तान के रिश्ते बेहद पुराने हैं और दोनों मुल्कों की यह दोस्ती कयामत तक रहेगी। इस दौरान उन्होंने भारत के साथ संबंधों में कहा था कि जब तक कश्मीर मसले का हल नहीं हो जाता भारत के साथ वार्ता नहीं हो सकती है। आखिर शहबाज और चीन के साथ दोस्ती का पुराना फैक्टर क्या है। चीन ने शहबाज की तारीफ क्यों की। इतना ही नहीं चीन ने शहबाज को इमरान से बेहतर पीएम कहा। इसके पीछे क्या कारण है।
1- प्रो हर्ष वी पंत का कहना है कि पाकिस्तान में किसी की हुकूमत हो दोनों देशों के संबंधो पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा। चीन और पाकिस्तान के रिश्ते हमेशा से बेहतर रहे हैं। उन्होंने कहा कि अलबत्ता भारत के साथ संबंधों में बहुत फर्क नहीं पड़ने वाला है। पाकिस्तान में चाहे इमरान की सरकार रही हो या शहबाज की सरकार दोनों देशों के रिश्तों यूं ही रहेंगे। उन्होंने कहा कि भले ही इमरान सरकार के अमेरिका से बेहतर संबंध नहीं रहे हो, लेकिन इसका असर चीन पर नहीं पड़ा। अविश्वास प्रस्ताव को लेकर इमरान ने अमेरिका के खिलाफ मोर्चा ही खोल दिया था, लेकिन वह चीन का दिल नहीं जीत सके। शहबाज शरीफ के प्रधानमंत्री बनने की खबरों पर चीनी कम्युनिस्ट सरकार के मुखपत्र माने जाने वाले ग्लोबल टाइम्स ने कहा था कि इससे चीन-पाकिस्तान के रिश्ते और बेहतर होंगे। अखबार ने लिखा था कि इमरान खान सरकार की अपेक्षा शहबाज शरीफ के समय में चीन-पाकिस्तान के रिश्ते और बेहतर हो सकते हैं।
आखिर चीन ने शहबाज को इमरान से बेहतर क्यों कहा
a- इस सवाल पर कि चीन ने शहबाज को इमरान से बेहतर क्यों माना। उन्होंने कहा कि इमरान खान चीन की कसौटी पर पूरी तरह से खरे नहीं उतर रहे थे। पहले तो उनके कार्यकाल में चीन-पाकिस्तान इकोनामिक कारिडोर (CPEC) का कार्य काफी धीमा हो गया था। शहबाज के प्रधानमंत्री बनने के बाद चीन को यह उम्मीद जगी है कि चीन पाकिस्तान इकोनामिक कोरिडोर पर काम तेजी से होगा। पाकिस्तान की नई सरकार इस प्रोजेक्ट पर तेजी से काम करेगी। प्रो पंत ने कहा कि हालांकि, सीपीईसी पर काम धीमा हुआ, इसके लिए जिम्मेदार पाकिस्तान-चीन संबंध नहीं थे, बल्कि पाकिस्तान की आर्थिक हालत इतनी नाजुक हो चुकी है कि वह इस समय अपनी अर्थव्यवस्था को संभालने में जुटा है, लेकिन चीन इससे कहीं न कहीं नाखुश था।
b- दूसरे, भारत के खिलाफ इमरान खान उस तरह से मोर्चा नहीं खोल सके जैसा कि चीन को उम्मीद रही होगी। उन्होंने कहा कि कुछ एक मौकों को छोड़ दिया जाए तो इमरान खान सरकार के दौरान दोनों देशों की सीमा पर शांति ही रही। दोनों देशों की सीमा पर यह शांति चीन को हजम नहीं हुई। यहां फिर उन्होंने कहा कि ऐसा नहीं कि इमरान सरकार का भारत के प्रति उदार दृष्टिकोण था, बल्कि इसके पीछे भी पाकिस्तान की माली हालत जिम्मेदार है। इमरान के साढ़े तीन वर्ष के कार्यकाल में देश आर्थिक तंगी से ही जूझता रहा। इमरान का पूरा वक्त और जोर देश के लिए कर्ज लेने में निकल गया। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान इस्लामिक जगत के नेता के रूप में उभरना चाह रहे थे, चीन को उनकी यह महत्वाकांक्षा भी नहीं रास आई।
c- उन्होंने कहा कि वैदेशिक मोर्चे पर नए पीएम शहबाज के समक्ष यह चुनौती होगी कि वह चीन, रूस और अमेरिका के बीच संबंधों को लेकर कैसे संतुलन कायम करते हैं। क्यों कि अमेरिका से बेहतर करने का पाक सेना का उन पर दबाव होगा। ऐसे में सेना से सरकार के मधुर संबंध कायम रहे अमेरिका से संतुलन बना कर चलना होगा। शहबाज यह भी जानते हैं कि अमेरिका की निकटता रूस और चीन को खटक सकती है। ऐसे में वैदेशिक मोर्चे पर शहबाज के समक्ष एक बड़ी चुनौती होगी।
सऊदी और चीन की यात्रा पर जाएंगे शहबाज
गौरतलब है कि शहबाज शरीफ चीन की शरण में जाने के लिए एकदम बेताब दिख रहे हैं। पाकिस्तान मुस्लिम लीग नवाज (पीएमएल-एन) के एक नेता ने कहा है कि नवनिर्वाचित प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ के पदभार ग्रहण करने के बाद अपनी पहली विदेश यात्रा पर सऊदी अरब और चीन की यात्रा करने की उम्मीद है। पाकिस्तान के प्रधानमंत्री की पहली विदेश यात्रा अक्सर सऊदी अरब और चीन दोनों के साथ देशों के रणनीतिक संबंधों के कारण तय हुई है। सऊदी अरब की यात्रा के दौरान पीएम शहबाज उमराह करेंगे और सऊदी नेतृत्व से मुलाकात करेंगे। सऊदी अरब ने अतीत में लगातार पाकिस्तानी सरकारों को वित्तीय बेलआउट पैकेज दिए हैं। रियाद ने पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान की सरकार को छह बिलियन अमेरिकी डालर का बेलआउट पैकेज दिया था। सऊदी अरब ने कुछ समय पहले पाकिस्तान को तीन अरब डालर प्रदान किए थे, यह देखते हुए कि क्या नया प्रीमियर वित्तीय सहायता भी मांगेगा।