अध्यात्म

जाने आश्विन मास का महत्वा

हिन्दू पंचांग के सातवें माह आश्विन मास को क्वार भी कहा जाता है। इस मास में अनेक व्रत एवं त्योहार आते हैं। कहा जाता है कि इस मास में प्रतिदिन घृत का दान करने से सौंदर्य की प्राप्ति होती है। इस माह गाय का दूध या इससे बनी वस्तुओं का दान करने से पुण्य की प्राप्ति होती है। इस मास में कावेरी में स्नान करना पवित्र माना गया है। आश्विन मास को यह नाम अश्विन नक्षत्र के कारण मिला है। 

जिस प्रकार सावन को भगवान शिव एवं भाद्रपद माह को भगवान श्रीकृष्ण का महीना माना जाता है, उसी प्रकार आश्विन माह को मां दुर्गा का माह कहा जाता है। इस माह पितृ पक्ष में पितरों की मुक्ति के लिए श्राद्ध कर्म किए जाते हैं। पितृ पक्ष आश्विन मास के कृष्ण पक्ष में आते हैं। माना जाता है कि इस पक्ष में पितृ किसी भी रूप में घर आ सकते हैं। इस माह किसी भी जीव का अनादर नहीं करना चाहिए। अपने द्वार पर आने वाले हर प्राणी का सत्कार करना चाहिए। पितृ पक्ष के दौरान कोई भी नया काम शुरू नहीं किया जाता। आश्विन माह में संकष्टी चतुर्थी व्रत, कन्या संक्रांति, विश्वकर्मा पूजा, महालक्ष्मी व्रत किया जाता है। इस माह शरद पूर्णिमा, नवरात्रि, ललिता पंचमी, कोजागर पूर्णिमा, विश्वकर्मा पूजा जैसे व्रत त्योहार आते हैं। नवरात्र, दुर्गाष्टमी, दशहरा, इंदिरा एकादशी आदि भी इस माह मनाए जाते हैं। आश्विन मास में दूध, करेला आदि का सेवन नहीं करना चाहिए। इस माह मन और वाणी से पवित्र रहना चाहिए। 

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