उत्तराखंड में हिम तेंदुओं की वास्तविक संख्या कितनी है, इसे लेकर अब जल्द ही तस्वीर साफ हो जाएगी। राज्य के उच्च हिमालयी क्षेत्र के 10 वन प्रभागों के 12800 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में हिम तेंदुओं के आकलन (गणना) की पहल अब अंतिम सोपान पर पहुंच चुकी है। कैमरा ट्रैप से मिली तस्वीरों और प्रत्यक्ष गणना के आंकड़ों के आधार पर विश्लेषण शुरू कर दिया गया है।
राज्य के मुख्य वन्यजीव प्रतिपालक डा. पराग मधुकर धकाते के अनुसार वन विभाग का प्रयास है कि आगामी जुलाई अथवा अगस्त माह तक हिम तेंदुओं की गणना के परिणाम सार्वजनिक कर दिए जाएं। इसी हिसाब से तैयारियां की जा रही हैं।
उच्च हिमालयी क्षेत्र में दुर्लभ हिम तेंदुओं की उपस्थिति के पुख्ता प्रमाण सामने आते रहे हैं, लेकिन गणना न होने के कारण इनकी वास्तविक संख्या को लेकर रहस्य बना हुआ है।
इस सबको देखते हुए उच्च हिमालयी क्षेत्र में गंगोत्री राष्ट्रीय उद्यान व गोविंद वन्यजीव विहार से लेकर अस्कोट अभयारण्य तक के क्षेत्र में चल रही सिक्योर हिमालय परियोजना के अंतर्गत हिम तेंदुओं की गणना का निश्चय किया गया।
विषम भूगोल वाले इस क्षेत्र को 80 ग्रिड में बांटा
इसके बाद उच्च हिमालयी क्षेत्र के 10 वन प्रभागों में हिम तेंदुओं की गणना के मद्देनजर प्रोटोकाल तैयार किया गया। इसके लिए विषम भूगोल वाले इस क्षेत्र को 80 ग्रिड (क्षेत्र) में बांटा गया। प्रत्येक ग्रिड के लिए वनकर्मियों व विशेषज्ञों की टीम गठित की गई।
इसके साथ ही उत्तरकाशी, बदरीनाथ, केदारनाथ, रुद्रप्रयाग, टिहरी, पिथौरागढ़, बागेश्वर वन प्रभागों के अलावा नंदादेवी बायोस्फीयर रिजर्व, गंगोत्री राष्ट्रीय उद्यान, गोविंद वन्यजीव विहार में बड़ी संख्या में कैमरा ट्रैप लगाए गए। ये वही क्षेत्र हैं, जहां पूर्व में कैमरा ट्रैप में हिम तेंदुओं की तस्वीरें कैद होती रही हैं।
उच्च हिमालयी क्षेत्र में वर्ष 2020 के आखिर में हिम तेंदुओं की गणना का कार्य शुरू हुआ, जो अब लगभग पूर्ण हो चुका है। मुख्य वन्यजीव प्रतिपालक डा धकाते के अनुसार इन सभी प्रभागों से आंकड़े मिल चुके हैं। प्रत्यक्ष गणना और कैमरा टै्रप से मिली फोटो व आंकड़ों का विश्लेषण शुरू कर दिया गया है।