उत्तरप्रदेशराज्य

जून के दूसरे सप्ताह से शुरू हो सकता है यमुना नदी पर बने नए पुल की मरम्मत का कार्य…

यमुना नदी पर बने नए पुल की मरम्मत के लिए 14 करोड़ रुपये स्वीकृत हो चुके हैं। जून के दूसरे सप्ताह से मरम्मत का कार्य शुरू हो सकता है। फ्रांस की कंपनी को इसका टेंडर दिया जा चुका है। आवागमन के लिए इस पुल की शुरुआत 2004 में हुई थी। एनएचएआइ (राष्ट्रीय राजमार्ग विकास प्राधिकरण) के अधिकारियों का कहना है जिला प्रशासन से यातायात डायवर्जन की अनुमति मिलते ही मरम्मत शुरू की जाएगी। काम पूरा होने में करीब छह महीने का समय लग सकता है। इसके कारण डेढ़ सौ किमी से ज्यादा का रूट डायवर्जन किया जाएगा।

बेयरिंग की मरम्मत जरूरी है 18 से 20 साल में

लगभग 18 से 20 वर्ष में पुल की बेयरिंग की मरम्मत की आवश्यकता होती है। इस पुल को लगभग 18 वर्ष पूरे हो रहे हैं। लगभग 1200 मीटर लंबे पुल की मरम्मत के दौरान आवागमन अलग-अलग समय पर रोका जाएगा। छोटे वाहनों का इस पर आवागमन जारी रहेगा। कार व इससे बड़ी गाडिय़ों के लिए यातायात विभाग से सुझाव मांगा गया है। पुल की मरम्मत के दौरान रीवा राजमार्ग के अलावा मीरजापुर और बांदा, चित्रकूट जाने के लिए वाहनों को लंबी दूरी तय करनी पड़ सकती है। छोटी गाडिय़ों को पुराने पुल से पास कराने की योजना है। इस पुराने पुल को भी जल्द दुरुस्त किया जाएगा। पुराने पुल के दोनों किनारे पर अंडरपास की सड़क का मरम्मत कराया जाएगा। इसके लिए लोक निर्माण विभाग प्रांतीय खंड सर्वे कर चुका है। जल्द ही मरम्मत कार्य शुरू हो जाएगा।

कौशांबी और औराई होकर आ सकेंगे वाहन

-रीवा की ओर से आने वाले वाहनों को डेढ़ सौ किमी से ज्यादा लगाना होगा चक्कर

-नए यमुना पुल के विकल्प के तौर पर कौशांबी में महेवा पुल व मीरजापुर का है ब्रिज

प्रयागराज : यातायात पुलिस की प्लानिंग के मुताबिक सौ से डेढ़ सौ किमी का रूट डायवर्जन होगा। मध्य प्रदेश के रीवा, जबलपुर आदि शहरों से आने वाले भारी वाहनों को डेढ़ सौ किमी से ज्यादा का चक्कर पड़ेगा। इसी तरह मध्य प्रदेश के सीधी, शहडोल से आने वाले वाहनों को भी 150-160 किमी अतिरिक्त चलना पड़ेगा। चित्रकूट, बांदा, झांसी से आने वाले बड़े वाहनों को 50 से 60 किमी की अतिरिक्त दूरी तय करनी होगी।

यातायात पुलिस के अनुसार मध्य प्रदेश के रीवा, सीधी, शहडोल, जबलपुर, उमरिया, सतना से आने वाले भारी वाहनों का रूट डायवर्जन गौहनिया से होगा। भारी वाहन गौहनिया से जसरा, शंकरगढ़ होते हुए चित्रकूट के मऊ, राजापुर फिर कौशांबी के महेवा घाट, मंझनपुर होते हुए प्रयागराज आ सकेंगे। इसी तरह झांसी, महोबा के वाहन कानपुर की ओर से आएंगे जबकि बांदा, चित्रकूट के वाहन महेवा घाट, कौशांबी होकर अंदावा से प्रयागराज आएंगे। सोनभद्र और मीरजापुर से आने वाले वाहन औराई अथवा गोपीगंज होकर आ सकेंगे। मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र से प्रयागराज होकर लखनऊ, गोरखपुर की ओर जाने वाले बड़े वाहनों को भी कौशांबी अथवा औराई होकर ही जाना पड़ेगा। बताते हैैं कि नए यमुना पुल का विकल्प अभी लगभग सौ किमी की दूरी पर है। मीरजापुर में गंगा पर तथा कौशांबी के महेवा घाट पर यमुना का पुल है।

दोनों पुलों पर तैनात होंगे 100 यातायात पुलिसकर्मी

नए यमुना पुल तथा पुराने यमुना ब्रिज पर सुगम आवागमन के लिए यातायात पुलिस के 100 जवान तैनात होंगे। इसके अलावा दोनों पुलों पर ट्रैफिक इंस्पेक्टर, ट्रैफिक सब इंस्पेक्टर भी तैनात होंगे। यातायात पुलिस निरीक्षक प्रथम अमित कुमार ने बताया कि इसके लिए प्रस्ताव उच्चाधिकारियों को भेज दिया गया है।

प्रत्येक दिन गुजरते हैं 60 हजार वाहन

नए पुल के रास्ते प्रयागराज से मीरजापुर, चित्रकूट, बांदा और मप्र, महाराष्ट्र, छत्तीसगढ़ के विभिन्न जिलों को जाने के लिए प्रत्येक दिन औसत 60 हजार वाहनों का आवागमन होता है। इसे विदेशी तकनीक से बनाया गया था। मरम्मत के लिए फ्रांस की एजेंसी सर्वे कर चुकी है।

प्रभावित नहीं होगा माघ मेला

संगम तट पर माघ मेला जनवरी में लगता है। जून में पुल की मरम्मत शुरू होगी तो अगले छह महीने यानी दिसंबर में काम पूरा हो जाएगा। काम समय से पूरा हुआ तो माघ मेला प्रभावित नहीं होगा।

नए यमुना पुल की खासियत

शहर को नैनी से जोडऩे वाला गऊघाट ब्रिज ओवरलोड हुआ तो 2004 में नया यमुना ब्रिज बनाया गया। यह भारत के सबसे लंबे केबल वाले पुलों में से एक है। इसमें दो पिलर बनाए गए हैं और स्टील केबल से पुल को सहारा दिया गया है। पुल का लेंथ 1510 मीटर तथा एप्रोच लेंथ 3913 मीटर है। यह पुल एनएच-27 पर स्थित है। पुल को हुंडई व एचसीसी ने ज्वाइंट वेंचर में बनाया था। कोवि तथा स्पान कंपनियां ज्वाइंट वेंचर में सुपरविजन कंसल्टेंट थीं। इसका निर्माण कार्य 12 अक्टूबर 2000 को शुरू हुआ था, जो लगभग 40 माह में बनकर तैयार हुआ था। जापान बैैंक फार इंटरनेशनल कोआपरेशन इसके निर्माण की फंडिंग एजेंसी थी।

पर्यटकों को लुभाता है यह पुल

यह पुल प्रयागराज के गौरव का तो प्रतीक है ही, इसका आकर्षण पर्यटकों को भी खूब लुभाता है। स्थानीय लोग भी यहां सैर-सपाटा करने पहुंच जाते हैैं। शनिवार और रविवार की शाम तो भीड़ जुट जाती है।

परियोजना निदेशक ने यह बताया

मरम्मत जून में शुरू करने का प्रस्ताव शासन में भेजा गया है। स्वीकृति मिलते ही एजेंसी काम शुरू करेगी। पूरे कार्य में 14 करोड़ रुपये का खर्च अनुमानित है।

एके राय, कार्यवाहक परियोजना निदेशक, एनएचएआइ

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