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जेंडर बजट में इस साल केंद्र सरकार ने की 37.5 प्रतिशत की बढ़ोतरी

1 फरवरी 2025 को वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने साल 2025-26 के लिए केंद्र सरकार का बजट पेश किया। इस बीच महिला एवं बाल विकास मंत्रालय ने रविवार को कहा कि इस साल के केंद्रीय बजट में आवंटन में वृद्धि हुई है। इस बार 4.49 लाख करोड़ रुपये का आवंटन हुआ है, जो पिछले साल के आवंटन से 37.5 प्रतिशत अधिक है।

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने शनिवार को अपने बजट भाषण में घोषणा की है कि कुल बजट का 8.86 प्रतिशत है। पिछले साल का आवंटन 3.27 लाख करोड़ रुपये था, जो पिछले साल के कुल बजट का 6.8 प्रतिशत था। इस वर्ष के बजट में जेंडर बजट स्टेटमेंट (जीबीएस) के तहत आवंटन की रिपोर्ट करने वाले मंत्रालयों और विभागों की रिकार्ड संख्या भी देखी गई।

पांच केंद्र शासित प्रदेशों के साथ-साथ 49 मंत्रालयों और विभागों को जेंडर केंद्रित आवंटन को शामिल किया है, जो पिछले साल के 38 मंत्रालयों और विभागों से अधिक है।

मंत्रालय ने एक बयान में कहा कि बारह नए मंत्रालयों और विभागों को पहली बार जीबीएस में शामिल किया गया है, जो जेंडर केंद्रित बजट के प्रति व्यापक प्रतिबद्धता को दर्शाता है। आवंटन को जीबीएस के भीतर तीन खंडों में वर्गीकृत किया गया है। भाग ए में 100 प्रतिशत महिला-विशिष्ट योजनाएं शामिल हैं। भाग बी में महिलाओं के लिए 30-99 प्रतिशत आवंटन वाली योजनाएं शामिल हैं। जबकि, भाग सी में महिलाओं के लिए 30 प्रतिशत से कम आवंटन वाली योजनाओं को कवर करता है।

लोकसभा को 903 करोड़ और राज्यसभा को 413 करोड़ रुपये मिले

केंद्रीय बजट में लोकसभा को 903 करोड़ रुपये आवंटित किये गये हैं, जो राज्यसभा को दी गयी राशि से दोगुने से भी अधिक है। कुल 903 करोड़ रुपये में से 558.81 करोड़ रुपये का आवंटन लोकसभा सचिवालय को किया गया है, जिसमें संसद टीवी को सहायता अनुदान भी शामिल है।

राज्यसभा को आवंटित 413 करोड़ रुपये में से 2.52 करोड़ रुपये राज्यसभा सचिवालय में सभापति और उपसभापति के वेतन और भत्ते के लिए आवंटित किए गए हैं। राज्यसभा के बजट में विपक्ष के नेता और उनके सचिवालय के वेतन और भत्तों के लिए तीन करोड़ रुपये का अलग से आवंटन किया गया है।बजट में सदस्यों के लिए 98.84 करोड़ रुपये भी आवंटित किए गए हैं। लोकसभा के लिए, अध्यक्ष और उपाध्यक्ष के वेतन और भत्ते के लिए 1.56 करोड़ रुपये आवंटित किए गए हैं और विपक्ष के नेता के लिए कोई अलग प्रविधान नहीं है।

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