
आदिवासी संगठनों ने अनोखे तरीके से विरोध दर्ज कराया। मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन सहित 29 आदिवासी विधायकों और रांची के विधायक सीपी सिंह और रांची लोकसभा सांसद सह केंद्रीय मंत्री संजय सेठ की प्रतीकात्मक शवयात्रा निकाली और अंतिम संस्कार किया।
झारखंड की राजधानी रांची में सिरम टोली फ्लाईओवर के रैंप निर्माण को लेकर विवाद लगातार बढ़ता जा रहा है। दरअसल, जिस स्थान पर रैंप का निर्माण किया जा रहा है, वह आदिवासी समाज की आस्था का केंद्र सरना स्थल है। आदिवासी संगठनों ने इस निर्माण के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है और सरकार के विरोध में सड़कों पर उतरकर प्रदर्शन कर रहे हैं।
प्रदर्शन के दौरान आदिवासी संगठनों ने अनोखे तरीके से विरोध दर्ज कराया। उन्होंने मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन सहित 29 आदिवासी विधायकों और रांची के विधायक सीपी सिंह और रांची लोकसभा सांसद सह केंद्रीय मंत्री संजय सेठ की प्रतीकात्मक शवयात्रा निकाली और अंतिम संस्कार किया।
सिरम टोली फ्लाईओवर के रैंप निर्माण को लेकर आदिवासी समाज में भारी आक्रोश है। विरोध प्रदर्शन के क्रम में “केंद्रीय सरना स्थल सिरम टोली बचाओ मोर्चा” के बैनर तले विभिन्न आदिवासी संगठनों ने एकजुट होकर सरना स्थल से अल्बर्ट एक्का चौक तक विरोध मार्च निकाला। इस दौरान सामाजिक अगुवा बाहा लिंडा ने सिर मुंडवाकर सभी प्रतीकात्मक शवों का अंतिम संस्कार किया।
आदिवासी नेताओं का सरकार पर हमला
आंदोलनकारियों ने सरकार पर आदिवासी समाज के साथ विश्वासघात करने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन और सभी आदिवासी विधायक शायद मर चुके हैं, तभी वे आदिवासी समाज के लिए एक शब्द भी नहीं बोल रहे हैं। उनकी आत्मा मर चुकी है। नेताओं ने सरकार को चेतावनी दी कि यदि फ्लाईओवर का रैंप नहीं हटाया गया तो आंदोलन और तेज किया जाएगा। उन्होंने कहा कि जल, जंगल, जमीन और आदिवासी हक-अधिकार की बात करने वाली अबुवा सरकार अब उनके लिए मर चुकी है।
शवयात्रा और अंतिम संस्कार का आयोजन
शवयात्रा के दौरान प्रदर्शनकारियों ने गेंदा फूल और लावा छींटते हुए अल्बर्ट एक्का चौक तक मार्च किया। वहां पहुंचने के बाद चौक के तीन चक्कर लगाए गए, और अंत में प्रतीकात्मक शवों को आग लगाकर अंतिम संस्कार किया गया।
21 मार्च को मशाल जुलूस, 22 मार्च को रांची बंद
फ्लाईओवर रैंप निर्माण को लेकर आदिवासी संगठन आर-पार की लड़ाई के मूड में हैं। विरोध प्रदर्शन के बाद आदिवासी संगठनों के नेताओं ने घोषणा की कि 21 मार्च को मशाल जुलूस निकाला जाएगा और 22 मार्च को रांची बंद रखा जाएगा।
कई जिलों से जुटे आदिवासी संगठन
आज के विरोध प्रदर्शन में झारखंड के कई जिलों से आए सामाजिक एवं धार्मिक संगठन शामिल हुए। इनमें अखिल भारतीय आदिवासी विकास परिषद, चडरी सरना समिति, केंद्रीय सरना समिति, आदिवासी जन परिषद, आदिवासी मूलवासी मंच, जय आदिवासी केंद्रीय परिषद, राजी पड़हा सरना प्रार्थना सभा, ग्राम सभा मधुकम, एदलहातु सरना समिति, न्यू गार्डेन सरना समिति सिरम टोली, बनिया टोली सरना समिति, ग्राम सभा पुरानी रांची, सरहुल नगर बरियातू, लेम सरना समिति, हातमा सरना समिति और नगड़ा टोली सरना समिति सहित सैकड़ों आदिवासी संगठन मौजूद थे। आदिवासी संगठनों ने चेतावनी दी है कि अगर फ्लाईओवर का रैंप नहीं हटाया गया, तो आंदोलन और भी तेज किया जाएगा।
क्या बोले सीएम सोरेन
मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने मंगलवार को कहा कि राज्य का सबसे बड़ा आदिवासी पर्व ‘सरहुल’ पारंपरिक उत्साह के साथ मनाया जाएगा। यह बयान उन आदिवासी संगठनों के विरोध के बीच आया है, जो एक पवित्र धार्मिक स्थल के पास बन रहे फ्लाईओवर के निर्माण का विरोध कर रहे हैं।
सोरेन विधानसभा में रांची के बीजेपी विधायक सी. पी. सिंह के एक सवाल का जवाब दे रहे थे, जिसमें उन्होंने आदिवासियों द्वारा किए जा रहे विरोध प्रदर्शन का जिक्र किया था। सी पी सिंह ने कहा, “आदिवासी लोग सिरम टोली में बन रही फ्लाईओवर की एक रैंप को हटाने की मांग कर रहे हैं, क्योंकि इससे उनके धार्मिक स्थल तक पहुंच बाधित हो रही है।
मैं राज्य सरकार से अनुरोध करता हूं कि इस मामले का हल निकाले ताकि आगामी सरहुल पर्व खुशी से मनाया जा सके। मुख्यमंत्री सोरेन ने जवाब में कहा कि उन्हें फ्लाईओवर रैंप को लेकर उठे विवाद की जानकारी मिली है। उन्होंने कहा, “मैं सभी को आश्वस्त करता हूं कि सरहुल पर्व पारंपरिक उत्साह के साथ मनाया जाएगा”।