टैरिफ वॉर पर ट्रंप को निक्की हेली ने लताड़ा

भारत और अमेरिका बीच व्यापारिक और राजनयिक रिश्तों में आई कड़वाहट के बीच पूर्व अमेरकी राजदूत निक्की हेली ने ट्रंप प्रशासन को आईना दिखा दिया है।
निक्की हेली ने जोर देकर कहा है कि भारत को एक “मूल्यवान और लोकतांत्रिक दोस्त” की तरह देखना चाहिए ताकि चीन का मुकाबला किया जा सके।
न्यूजवीक में अपने लेख में उन्होंने चेतावनी दी कि भारत के साथ पिछले 25 सालों की दोस्ती को बर्बाद करना एक रणनीतिक तबाही होगी।
हेली ने भारत और अमेरिका की साझेदारी को जरूरी बताया है। इसके साथ ही कहा है कि इसमें कोई शक नहीं होना चाहिए कि अमेरिका के लिए भारत जरूरी है।
निक्की ने कहा कि लोकतांत्रिक भारत का उभरना दुनिया के लिए खतरा नहीं, बल्कि चीन जैसे कम्युनिस्ट देश से अलग है। हेली ने अपने लेख में लिखा, “भारत को एक मूल्यवान आजाद और लोकतांत्रिक साझेदार की तरह देखा जाना चाहिए, न कि चीन जैसे दुश्मन की तरह, जो रूस से तेल खरीदने के बावजूद प्रतिबंधों से बच रहा है, जबकि वह मॉस्को का सबसे बड़ा खरीदार है।”
अगर यह अंतर अमेरिका-भारत रिश्तों पर गहरी नजर डालने की मांग नहीं करता, तो सैन्य ताकत की हकीकत को देखना चाहिए। एशिया में चीन के दबदबे को रोकने वाला एकमात्र देश भारत है और इसके साथ 25 सालों की दोस्ती को नष्ट करना रणनीतिक तबाही होगी।
निक्की हेली, पूर्व अमेरिकी राजदूत
‘चीन के खिलाफ भारत ही असली ताकत’
हेली ने कहा कि लोकतांत्रिक भारत का उभरना आजाद दुनिया के लिए खतरा नहीं है, जैसा कि कम्युनिस्ट चीन है। उन्होंने लिखा, “चीन का मुकाबला करने के लिए अमेरिका और भारत की साझेदारी बिना किसी शक के जरूरी है।”
उन्होंने यह भी बताया कि भारत में चीन की तरह बड़े पैमाने पर सामान बनाने की क्षमता है, जो अमेरिका को अपनी जरूरी सप्लाई चेन को चीन से हटाने में मदद कर सकता है। इसके अलावा, भारत की बढ़ती रक्षा ताकत और मध्य पूर्व में उसकी भूमिका क्षेत्र को स्थिर करने के लिए बेहद जरूरी है।
हेली ने अपने लेख में लिखा, “अल्पकालिक तौर पर, भारत अमेरिका को अपनी जरूरी सप्लाई चेन को चीन से हटाने में मदद करने के लिए बहुत जरूरी है। ट्रंप प्रशासन जहां अमेरिका में विनिर्माण को वापस लाने की कोशिश कर रहा है, वहीं भारत अकेला ऐसा देश है जो कपड़ा, सस्ते फोन और सौर पैनल जैसे उत्पादों को चीन की तरह बड़े पैमाने पर बना सकता है, जो अमेरिका में जल्दी या कुशलता से नहीं बनाए जा सकते।”
उन्होंने आगे कहा, “भारत की बढ़ती ताकत और मध्य पूर्व में उसकी सुरक्षा भूमिका क्षेत्र को स्थिर करने में अहम हो सकती है, क्योंकि अमेरिका वहां कम सैनिक और पैसे भेजना चाहता है। भारत की भौगोलिक स्थिति किसी बड़े संघर्ष में बीजिंग के लिए मुश्किलें खड़ी कर सकती है।”
भारत की आर्थिक ताकत का लोहा माना
निक्की हेली ने अपने लेख में भारत को दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती बड़ी अर्थव्यवस्था बताया है। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि यह जल्द ही जापान को पीछे छोड़ देगा। अमेरिकी राजदूत ने लिखा कि भारत का उभरना चीन के वैश्विक व्यवस्था को बदलने के मंसूबों के लिए सबसे बड़ा रोड़ा है।
सीधे शब्दों में कहें तो जैसे-जैसे भारत की ताकत बढ़ेगी, चीन की महत्वाकांक्षाएं छोटी पड़ती जाएंगी।
निक्की हेली, पूर्व अमेरिकी राजदूत
हेली ने भारत और चीन के बीच आर्थिक हितों के टकराव और सीमा विवादों का जिक्र किया, खासकर 2020 के गलवान घाटी झड़प का। उन्होंने कहा कि अमेरिका के साथ साझेदारी भारत को आर्थिक और सैन्य रूप से अपने उग्र पड़ोसी चीन के खिलाफ खड़ा होने में मदद करेगी, जो अमेरिका के हित में है।
‘ट्रेड विवाद को न बढ़ने दें’
हेली ने चेतावनी दी कि अमेरिका और भारत के बीच व्यापारिक तनाव को बढ़ाकर रिश्तों में स्थायी दरार डालना एक “बड़ा और टाला जा सकने वाला” गलत कदम होगा।
उन्होंने आशंका जताई कि इससे चीन को फायदा हो सकता है। हेली ने भारत को सलाह दी कि वह रूसी तेल के मुद्दे पर राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की बात को गंभीरता से ले और व्हाइट हाउस के साथ मिलकर इसका हल निकाले।
उन्होंने ट्रंप से आग्रह किया कि वह भारत के साथ रिश्तों में आई खटास को जल्द से जल्द ठीक करें और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ सीधी बातचीत करें। उन्होंने कहा, “ये कदम जितनी जल्दी उठाए जाएं, उतना बेहतर होगा।”
हेली ने अपने लेख में लिखा, “प्रशासन को भारत के साथ दरार को ठीक करने पर ध्यान देना चाहिए और इस रिश्ते को और अधिक उच्च-स्तरीय ध्यान और संसाधन देने चाहिए, जैसा कि अमेरिका चीन या इजरायल को देता है।”
साझा लक्ष्यों की गिना दी अहमियत
हेली ने जोर देकर कहा कि अमेरिका को सबसे जरूरी चीज, यानी साझा लक्ष्यों को नहीं भूलना चाहिए। निक्की हेली ने कहा, “चीन का मुकाबला करने के लिए अमेरिका को भारत में एक दोस्त की जरूरत है।”
यह बयान तब आया है जब अमेरिका ने भारतीय सामानों पर 25 प्रतिशत का आयात शुल्क लगाया है और 27 अगस्त से अतिरिक्त 25 प्रतिशत शुल्क लगाने की घोषणा की है, जिससे कुल शुल्क 50 प्रतिशत हो जाएगा। इस टैरिफ से भारत और अमेरिका बीच व्यापारिक और राजनयिक रिश्ते त