अन्तर्राष्ट्रीय

ट्रेड वॉर के बीच चीन का अमेरिका पर पलटवार, ड्रैगन के इस फैसले से उड़ी ट्रंप की नींद

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के टैरिफ की घोषणा के बाद बढ़ी ट्रेड वार पर चीन ने एक और पलटवार किया है। ड्रैगन ने अब दुर्लभ खनिजों और चुंबक के कई प्रकारों का निर्यात रोक दिया है।

इससे दुनिया भर में ऑटोमोबाइल, एयरोस्पेस, सेमीकंडक्टर से जुड़े निर्माताओं के साथ सैन्य ठेकेदारों के लिए जरूरी कलपुर्जों की आपूर्ति ठप होने का खतरा मंडराने लगा है। इस कदम ने ट्रंप सरकार की चिंता बढ़ा दी है।

चीन ने लिया ये बड़ा फैसला

चीन सरकार ने एक नई विनियामक प्रणाली का मसौदा तैयार किया है, जिसके चलते कारों से लेकर ड्रोन, रोबोट और मिसाइलों की असेंबलिंग के लिए जरूरी चुंबकों के निर्यात वाले जहाजों को चीनी बंदरगाहों पर ही रोक दिया गया है। इस नए मसौदे के लागू होते ही नई प्रणाली अमेरिकी सैन्य ठेकेदारों समेत चुनिंदा कंपनियों तक इन दुर्लभ चीजों की आपूर्ति को पूरी तरह रोक देगी।

चीन का अमेरिका को सीधा जवाब

चीन का यह कदम बीते 12 अप्रैल को ट्रंप द्वारा टैरिफ में की गई जबर्दस्त बढ़ोतरी का सीधा और सख्त जवाब है। इससे पूर्व चार अप्रैल को चीन ने छह दुर्लभ खनिज पदार्थों के निर्यात पर प्रतिबंध लगा दिया था। दुर्लभ भू चुंबकों के साथ ये खनिज पदार्थ केवल चीन में ही परिष्कृत किए जाते हैं और इनमें से 90 प्रतिशत का उत्पादन चीन में ही होता है। अब धातुओं के साथ इनसे बनने वाले विशेष चुंबकों को विशेष निर्यात लाइसेंस द्वारा ही चीन से बाहर भेजा जा सकता है।

वहीं, ट्रंप के प्रमुख आर्थिक सलाहाकार केविन हैजेट ने कहा कि चीन का यह कदम चिंताजनक है। दुर्लभ खनिजों की सीमाओं का बेहद सावधानीपूर्वक अध्ययन किया जा रहा है। ये चिंताजनक हैं। हम इसके सभी विकल्पों के बारे में विचार कर रहे हैं।

कहां होता है इन खनिजों का इस्तेमाल

इन दुर्लभ खनिज पदार्थों से विशेष चुंबक बनाए जाते हैं, जिनसे कई तरह की इलेक्टि्रक मोटर बनती हैं। ये मोटर इलेक्टि्रक कार, ड्रोन, रोबोट, मिसाइल और अंतरिक्ष यान के अहम हिस्से होते हैं। गैसोलीन से चलने वाली कारों में भी ये इलेक्टि्रक मोटर लगती हैं।

ये धातुएं जेट इंजन, लेजर, कार हेडलाइट और चुनिंदा स्पार्क प्लग बनाने वाले रसायनों में इस्तेमाल होती हैं। ये दुर्लभ धातुएं कैपेसिटर (इलेक्टि्रकल पुर्जे ) का बेहद महत्वपूर्ण अंग हैं, जो आर्टिफीशियल इंटेलिजेंस सर्वरों और स्मार्टफोन को पावर देने वाली कंप्यूटर चिप्स में लगे होते हैं।

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