
अमेरिका में डॉलर कमाने की चाह में युवाओं ने अपनी जिंदगी को भी दांव पर लगा दिया। डंकी मार्ग से अमेरिका पहुंचने के लिए उन्होंने अपनी जान को भी आफत में डाला। इधर, परिवार को बड़ा घर और अच्छे लाइफ स्टाइल के सपने को पूरा करने इस शार्टकट में छोटा घर और जमीन भी अब हाथ से निकल गई है।
अमेरिका से डिपोर्ट होकर पहुंचे भारतीय नागरिकों में 16 युवा करनाल जिले के हैं। इनमें ज्यादातर की हालत यह है कि अब वे और उनका परिवार घर में कैद है। जहां उन्हें लोगों के सामने शर्मिंदगी झेलनी पड़ रही है, वहीं कर्ज की देनदारी का डर भी सता रहा है।
करनाल पहुंचे युवाओं में ज्यादातर ऐसे हैं, जिनका एक साल तक जीवन अमेरिका की जेल में बीता। अब वहां के हालात बताते हुए परिवार की आंखों में भी आंसू हैं। क्योंकि बेटे को पूरे दिन में खाने के नाम पर केवल एक बर्गर ही मिलता था और वहां पहुंचने तक के सफर में ऐसा कई बार हुआ जब पीने को पानी भी दिन में एक बार ही नसीब हुआ।
कर्ज की स्थिति देखें तो किसी ने पिता की छोटी दुकान, मकान व अपने हिस्से की जमीन तक बेच दी तो किसी ने बच्चों की जिद के आगे 40 लाख रुपये तक का कर्ज उठाया। अब उन्हें यह समझ नहीं आ रहा कि वे आगे की जिंदगी कैसे गुजारेंगे और किस माध्यम से वे अपने कर्ज के बोझ को उतार पाएंगे। ऐसे में बेटों के विदेश में सेट होने की खुशी अब गम व पीड़ा में बदल गई है।





