अन्तर्राष्ट्रीय

तीस्ता जल बंटवारा संधि: क्या भारत-बांग्लादेश के बीच फिर शुरू होगी वार्ता? 

बांग्लादेश की अंतरिम सरकार ने कहा है कि वह भारत के साथ तीस्ता जल बंटवारा संधि वार्ता फिर से शुरू करना चाहती है। अंतरिम सरकार में जल संसाधन मामलों की सलाहकार सैयदा रिजवाना हसन ने कहा कि हम भारत के साथ तीस्ता और अन्य जल बंटवारा समझौते को सौहार्दपूर्ण वार्ता से सुलझाना चाहते हैं, लेकिन अगर समझौता नहीं हो पाता है तो बांग्लादेश अंतरराष्ट्रीय कानूनी दस्तावेजों और सिद्धांतों पर विचार करेगा।

सैयदा रिजवाना हसन ने रविवार को एक इंटरव्यू में कहा कि ऊपरी तटवर्ती व निचले तटवर्ती देशों को जल बंटवारे संबंधी अंतरराष्ट्रीय सिद्धांतों का पालन करना चाहिए। वह तीस्ता जल बंटवारे को लेकर अपने यहां सभी संबंधित पक्षों से चर्चा कर चुकी हैं। अब तीस्ता संधि वार्ता की प्रक्रिया फिर से शुरू करने की आवश्यकता है। इसके साथ ही हम गंगा संधि को लेकर भी काम कर रहे हैं, जो दो वर्ष बाद समाप्त होने वाली है।

सैयदा हसन ने कहा कि तीस्ता जल बंटवारा समझौते को लेकर साल 2011 में दोनों पक्ष सहमत हो गए थे और इसका मसौदा भी तैयार हो चुका था, लेकिन पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के विरोध के कारण इस पर हस्ताक्षर नहीं हो पाए थे। तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह उस समय ढाका में थे।

उन्‍होंने कहा कि हम समझौते के मसौदे के बिंदुओं के साथ शुरुआत करना चाहते हैं और भारत से वार्ता प्रक्रिया फिर शुरू करने का अनुरोध करेंगे। बांग्लादेश और भारत 54 नदियों को साझा करते हैं।

बांग्लादेश में फिर खुले भारतीय वीजा आवेदन केंद्र
बांग्लादेश के प्रमुख शहरों में भारतीय वीजा आवेदन केंद्रों ने तत्काल चिकित्सा और छात्र वीजा की आवश्यकता वाले बांग्लादेशी नागरिकों के लिए सीमित अप्वाइंटमेंट स्लाट की पेशकश शुरू कर दी है। बांग्लादेश स्थित भारतीय वीजा आवेदन केंद्र ने एक बयान में कहा है कि ये सेवाएं ढाका, चट्टोग्राम, राजशाही, सिलहट और खुलना में दी जा रही हैं।

2009 के अर्धसैनिक विद्रोह की होगी फिर से जांच
बांग्लादेश की अंतरिम सरकार ने सोमवर को कहा कि वह 2009 के अर्धसैनिक विद्रोह की जल्द ही निष्पक्ष व दोबारा जांच शुरू करेगी। उस समय बांग्लादेश राइफल्स (बीडीआर) में सेवारत 57 सैन्य अधिकारियों समेत 74 लोग मारे गए थे।

यह विद्रोह 25-26 फरवरी, 2009 को उस समय शुरू हुआ जब सेना के अधिकारियों ने बीडीआर जवानों की मांगों को पूरा करने से इनकार कर दिया था। इसके बाद विद्रोह पूरे देश में सीमावर्ती बल के सेक्टर मुख्यालयों और क्षेत्रीय इकाइयों में फैल गया था।

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