अध्यात्म

तुलसी में किस दिन जल चढ़ाएं जल, इन बातों का रखें खास ख्याल…

सनातन धर्म में तुलसी के पौधे का विशेष महत्व माना गया है। माना जाता है कि जिस साधक के घर हरा-भरा तुलसी का पौधा पाया जाता है, उनके ऊपर धन की देवी मां लक्ष्मी की कृपा बनी रहती है। शास्त्रों में तुलसी पूजा (Tulsi Puja niyam in hindi) से संबंधित भी कई नियम मिलते हैं, जिसका ध्यान रखने पर आप शुभ परिणामों की प्राप्ति कर सकते हैं।

जल चढ़ाने से संबंधित नियम

एकादशी, चंद्र ग्रहण, सूर्य ग्रहण और रविवार के दिन तुलसी में जल नहीं चढ़ाना चाहिए और न ही इन तिथियों पर तुलसी के पत्ते तोड़ने चाहिए। ऐसा माना जाता है कि रविवार और एकादशी पर तुलसी जी विष्णु जी के निमित्त निर्जला व्रत रखती हैं और जल चढ़ाने से उनका व्रत खंडित हो सकता है। इसी के साथ इस बात का भी ध्यान रखें कि तुलसी में ज्यादा जल नहीं चढ़ाना चाहिए।

कब चढ़ाना चाहिए जल

तुलसी में जल चढ़ाने के लिए सूर्योदय के समय को सबसे उत्तम माना गया है। आप सूर्योदय से पहले भी तुलसी में जल अर्पित कर सकते हैं। हमेशा स्नान करने के बाद ही तुलसी में जल चढ़ाएं और इसी के बाद भोजन करना चाहिए। जल अर्पित करते समय आपका मुख पूर्व दिशा की ओर होना चाहिए। ऐसा करने से आपको तुलसी पूजन का पूर्ण फल प्राप्त होता है। 

इन बातों का रखें ध्यान

तुलसी में जल चढ़ाने के लिए हमेशा तांबे के लोटे का इस्तेमाल करना चाहिए। तुलसी में हमेशा जड़ की तरफ से जल चढ़ाना चाहिए। ऐसा करने से साधक को शुभ परिणाम प्राप्त होते हैं। तुलसी के पौधे के समक्ष साफ-सफाई का विशेष रूप से ध्यान रखना चाहिए। कभी भी जूठे हाथों से तुलसी को स्पर्श न करें, अन्यथा आपको तुलसी पूजन का कोई लाभ नहीं मिलता। 

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