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त्तराखंड- श्रद्धालुओं को बचाने के लिए चलाया जा रहा रेस्क्यू ऑपरेशन

उत्तराखंड में बादल फटने और लगातार हो रही भारी बारिश के कारण आम जनजीवन अस्त-व्यस्त होकर रह गया है। टिहरी से लेकर केदारनाथ तक हर जगह तबाही के निशान देखे जा सकते हैं। केदारनाथ में बड़ी संख्या में श्रद्दालु फंसे हुए हैं। रविवार को चौथे दिन भी उन्हें बचाने और सुरक्षित निकालने के लिए रेस्क्यू ऑपरेशन चलाया जा रहा है। अब तक करीब 9 हजार से ज्यादा श्रद्धालुओं को निकाल लिया गया है लेकिन अभी भी 1000 से अधिक लोग केदारनाथ, गौरीकुंड और सोनप्रयाग के इलाके में फंसे हुए हैं।

882 जवान चला रहे हैं रेसक्यू आपरेशन-

केदारनाथ में आई आपदा से लोगों को बचाने के लिए करीब 882 राहत कर्मी लगे हुए हैं। फंसे लोगों को जवानों द्वारा भोजन, पानी मुहैया कराया जा रहा है। साथ ही लोगों को जैसे-जैसे निकाला जा रहा है उन्हें सुरक्षित स्थान पर भी पहुंचाया जा रहा है। अधिकारियों की मानें तो अगर मौसम ठीक रहा तो सभी तीर्थयात्रियों और स्थानीय लोगों को रविवार शाम तक सुरक्षित निकाल लिया जाएगा। लेकिन इलाके में मौसम खराब होने के चलते बचाव कार्य में भी मुश्किलें पेश हो रही हैं।

भारी बारिश और भूस्खलन के चलते यहां करीब 100 मीटर सड़क का हिस्सा ब्लॉक हो गया है। इसके चलते दोनों तरफ की आवाजाही बंद हो गई है। बहुत सारे तीर्थ यात्री फंस गए हैं जिन्हें SDRF पैदल वैकल्पिक मार्ग से रेस्क्यू कर रही है। अभी तक 7 हजार से ज्यादा लोगों को वहां से सुरक्षित निकाला

वायुसेना कर रही है मदद

फंसे हुए लोगों को बचाने के लिए लगातार वायु सेना भी मदद कर रही है। एयर लिफ्ट में तेजी लाने के लिए वायु सेना का चिनूक और एमआई 17 हेलिकॉप्टर शुक्रवार सुबह से ही लगे हुए हैं। वायुसेना ने बयान जारी करते हुए कहा था, ‘भारतीय वायुसेना ने केदारनाथ से बचाव अभियान शुरू किया है।

क्या होता है बादलों का फटना-

बादल के फटने का मतलब बहुत कम समय में एक सीमित दायरे में अचानक बहुत भारी बारिश हो जाना। भारतीय मौसम विज्ञान विभाग के अनुसार अगर किसी एक इलाके में 20-30 वर्ग किलोमीटर दायरे में एक घंटे में 100 मिलीमीटर बारिश होती है तो उसे बादल का फटना कहा जाता है। आम बोलचाल की भाषा में कहें तो किसी एक जगह पर एक साथ अचानक बहुत बारिश होना बादल फटना कहा जाता है।

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