दमोह फर्जी डॉक्टर: राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग की दूसरे दिन की सुनवाई शुरू

हार्ट सर्जरी में सात मरीजों की मौत के मामले में राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग की टीम ने मंगलवार को दूसरे दिन की जांच सर्किट हाउस में की। टीम यहां दो पीड़ित की सुनावाई करेगी।
दमोह शहर के मिशन अस्पताल में फर्जी कार्डियोलॉजिस्ट डॉक्टर एन जॉन केम की हार्ट सर्जरी में सात मौतों के मामले में मंगलवार को दूसरे दिन फिर राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग ने पीड़ितों की सुनवाई की। टीम ने मामले की जांच के लिए पांच पीड़ित परिवारों को पत्र जारी कर बयान देने के लिए बुलाया था। पहले दिन सोमवार को तीन पीड़ितों के बयान दर्ज किए गए थे। वहीं आज मंगलवार को दो पीड़ितों को बयान देने के लिए सर्किट हाउस बुलाया गया है।
राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग की टीम के सदस्य रिंकल कुमार, ब्रजवीर सिंह, राजेंद्र सिंह शामिल बयान ले रहे हैं। मीडिया को दूसरे दिन अंदर जाने से रोक दिया गया है। टीम के सदस्य भी मीडिया को किसी प्रकार की जानकारी नहीं दे रहे।
पहले दिन पीड़ित कृष्ण पटेल, नवी कुरैशी और पूरन सिंह के बयान दर्ज किए थे। इसके बाद शाम के समय टीम मिशन हॉस्पिटल जांच के लिए पहुंची। वहां देर रात तक टीम ने दस्तावेजों की जांच की। आयोग की टीम को यहां तीन दिन रुकना है।
ये है मामला
दमोह शहर के निजी मिशन अस्पताल में फर्जी डॉक्टर की सर्जरी से सात हृदय मरीजों की मौत का मामला तब सामने आया, जब बाल कल्याण समिति अध्यक्ष दीपक तिवारी ने मामले की शिकायत राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग से की। उन्होंने बताया एक-दो पीड़ित पक्ष हमारे संपर्क में आए थे। तब पता चला कि मिशन अस्पताल में बड़ी धांधली हुई है। सात हृदय रोगियों की मौत हुई है। जांच होगी तो उससे भी ज्यादा मौतें निकल सकती हैं। उन्होंने बताया कि मिशन अस्पताल में एन केम जॉन नाम का एक डॉक्टर है, जबकि इस नाम का असली डॉक्टर तो लंदन में है। उन्होंने सीएमएचओ मुकेश जैन से शिकायत की, लेकिन उन्होंने मामले को गंभीरता से नहीं लिया।
मामले ने उस समय तूल पकड़ लिया जब 4 अप्रैल शुक्रवार को राष्ट्रीय बाल संरक्षण आयोग के पूर्व अध्यक्ष प्रियंक कानूनगो ने इस मामले से जुड़ी एक पोस्ट सोशल मीडिया पर वायरल कर दी। पोस्ट में उन्होंने लिखा, ‘दमोह मध्यप्रदेश मिशनरी के अस्पताल में नकली डॉक्टर द्वारा हृदय रोग के उपचार के नाम पर रोगियों के ऑपरेशन किए जाने से सात लोगों की अकाल मृत्यु हो गई है। शिकायत के अनुसार उक्त मिशनरी अस्पताल प्रधानमंत्री आयुष्मान योजना से आच्छादित है, इसलिए सरकारी राशि का दुरुपयोग भी किया गया है।’ इसके बाद राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग ने जांच के आदेश दिए।