अध्यात्म

दर्श अमावस्या सच्चे मन से प्रार्थना करने पर मनोकामना होती हैं पूर्ण 

दर्श अमावस्या के दिन चंद्रमा दिखाई नहीं देता. इस दिन पूर्वजों की पूजा भी की जा रही है, और चंद्र दर्शन करना अनिवार्य होता है. इस दिन व्रत रखा जाता है और सच्चे मन से आप जो प्रार्थना करते हैं चंद्र देव आपकी प्रार्थना सुनते हैं और आपकी मनोकामना को पूरा करता है .

दर्श अमावस्या को चंद्रमा की विशेष कृपा मिलती है: आज के दिन जो लोग दर्श अमावस्या की पूजा और उपवास करते हैं उन्हें चंद्रमा देवता की विशेष कृपा भी मिलती है और उन्हें शीतलता और शांति भी महसूस होती है . इस दिन पूर्वज धरती पर आते हैं और अपने परिवार जनों को आशीर्वाद देते हैं इसलिए इस दिन अपने पूर्वजों के लिए प्रार्थना की जाती है और इस अमावस्या को श्राद्ध अमावस्या भी बोला जाता है. पितृदोष से मुक्ति पाने के लिए इस दिन पितृ तर्पण, स्नान-दान आदि करना बहुत ही पुण्य फलदायी माना जाता है. यदि आपके जीवन में बहुत समय से सफलता हाथ नहीं लग रही और संघर्ष चल रहा है तो आप दर्श अमावस्या का व्रत रखकर चंद्र पूजन करें इससे आपके जीवन में सफलता भी आवश्यक है.

भारतीय धर्म शास्त्रों में इस बारें में बोला गया है कि चंद्र देव हिंदू धर्म के सबसे महत्वपूर्ण नवग्रहों में से एक हैंऔर इन्हें पौधे और पशु जीवन का पोषण भी कहा जाता है .इस दिन चांद पूरी तरह से आसमान में नहीं दिखाई देता है इसकी खास बात यह है कि नो मून डे के उपरांत का यह पहला दिन होता है जिस वजह से लोग चंद्रमा को देखने के पश्चात व्रत रखते हैं. हर माह के कृष्ण पक्ष में आने वाली अमावस्या तिथि महत्वपूर्ण मानी जाती है, अमावस्या के दिन प्रेत आत्माएं सक्रिय हो जाती हैं इसीलिए चौदस और अमावस्या के दिन बुरे कार्यों से दूरी बनाए रखनी चाहिए. इस दिन धार्मिक कार्य पूजा-पाठ आदि पर विशेष तौर पर ध्यान भी दिया जाना चाहिए.

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