दुर्घटना सहित दूसरे कारणों से हड्डी व मांसपेशियों के जोड़ (मस्कुलोस्केलेटल सिस्टम) में लगी चोट की पहचान व इलाज अल्ट्रासाउंड से आसान होगी। इस सुविधा को आधुनिक बनाने के लिए डॉ. राम मनोहर लोहिया अस्पताल का रेडियोलॉजी विभाग डॉक्टरों को प्रशिक्षित कर रहा है।
दरअसल, मस्कुलोस्केलेटल सिस्टम शरीर की हड्डियों, मांसपेशियों, जोड़ों, उपास्थि, टेंडन, स्नायुबंधन, और अन्य संयोजी ऊतकों से मिलकर बना होता है। यह शरीर को सहारा देता है और अंगों को एक साथ बांधता है। दुर्घटना व दूसरे कारणों से इनमें होने वाले रोग को पकड़ पाना मुश्किल हो जाता है। अस्पताल के हड्डी रोग विभाग में करीब 30% मरीज इन्हें रोगों से परेशान होकर आते हैं। इन मरीजों के रोग को जल्द पकड़ने के साथ इलाज को बेहतर बनाने के लिए अल्ट्रासाउंड की सुविधा को आधुनिक बनाया जा रहा है। साथ ही डॉक्टरों को प्रशिक्षण देने के लिए आरएमएल से संबंधित कॉलेज में सतत चिकित्सा शिक्षा का आयोजन किया गया।
अस्पताल की रेडियोलॉजी विभाग की प्रमुख डॉक्टर शिवानी मेहरा ने बताया कि अल्ट्रासाउंड के जरिए न सिर्फ लोगों की जांच की जा सकती है बल्कि इन बीमारियों के इलाज भी किया जा सकता है। मौजूदा समय में एमआरआई और अल्ट्रासाउंड से इन रोगों की पकड़ होती है। रोजाना ऐसे करीब 300 मरीजों की जांच कर रहे हैं। अल्ट्रासाउंड की मदद से शरीर में गतिविधि होने के बाद भी उक्त रोग की इमेजिंग बेहतर तरीके से की जा सकती है। जो रोग को लेकर असमंजस की स्थिति को दूर कर इलाज को बेहतर बनाता है।
मरीज को होती है काफी तकलीफ
मस्कूलरस्टेटिकल से जुड़े रोग में मरीज को काफी तकलीफ होती है। इन रोगों में कंधे, घुटने, अर्थराइटिस, लिगामेंट इंजरी, टखने में इंजरी, डिस्क सहित अंगों से जुड़े परेशानी हैं।
नहीं होते साइड इफेक्ट
डॉक्टरों ने कहा कि एक्सरे या दूसरी अन्य रेडिएशन जांच से साइड इफेक्ट्स होने का खतरा रहता है। इसके विपरीत अल्ट्रासाउंड के साइड इफेक्ट्स नहीं है। अल्ट्रासाउंड थेरेपी इलाज के लिए उच्च आवृत्ति वाली ध्वनि तरंगों का उपयोग करती है। ये तरंगें छोटे कंपन उत्पन्न करती हैं जो शरीर के ऊतकों से होकर गुजरती हैं और उन्हें हील होने में मदद करती हैं। उन्होंने कहा कि ये तरंगें जब ऊतकों और मांसपेशियों में प्रवेश करती हैं, तो वे उन्हें रक्त संचार बढ़ाने में मदद करती हैं।