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दिल्ली: आशा किरण होम में मौतों पर एलजी सख्त, जांच में बाधक चिकित्सा अधिकारी बर्खास्त

रोहिणी के आशा किरण होम की कार्यप्रणाली में गंभीर विसंगतियों, अनियमितताओं समेत चिकित्सा मुहैया कराने में लापरवाही बरतने पर उपराज्यपाल वीके सक्सेना ने सख्त रुख अपनाया है। एलजी ने आश्रय गृह के प्रशासक के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई करने के साथ मौतों की जांच में बाधा डालने के लिए ड्यूटी मेडिकल ऑफिसर डॉ. सुनीता सिंह राठौर को हटाने का भी निर्देश दिया है। वहीं, यहां पर तत्काल डॉक्टरों की तैनाती को कहा है।

इससे पहले एलजी ने आशा किरण आश्रय गृह में मौतों पर श्वेत पत्र जारी करने के साथ ही मुख्य सचिव को इसकी प्रगति की समीक्षा करने का निर्देश दिया था। एलजी को सौंपी रिपोर्ट में कहा गया है कि दिल्ली सरकार का समाज कल्याण विभाग बिना मंत्री के चल रहा है। इसको देखते हुए आशा किरण होम के बुनियादी ढांचे को युद्ध स्तर पर बेहतर करने को कहा गया है। इस काम के लिए तीन उपायुक्तों को नामित किया गया है। वह हर पंद्रह दिनों में समीक्षा रिपोर्ट सौंपेंगे।

रिपोर्ट बताती है कि आशा किरण आश्रय होम में लापरवाही बरती गई है। इसमें गैस्ट्रोएंटेराइटिस और टीबी के मामलों में वृद्धि हुई है। स्वच्छता, साफ-सफाई की स्थिति भी बेहद खराब है। आश्रय होम के प्रशासक ने कई चेतावनियों के बावजूद कार्रवाई नहीं की। इस पर उपराज्यपाल ने कहा है कि यह समझ से परे है कि संक्रामक बीमारी फैलने के बावजूद अन्य लोगों को वहां से अलग क्यों नहीं किया गया। वहां की संख्या सुविधा की क्षमता से कहीं अधिक है।

जांच रिपोर्ट में कई कमियां सामने आईं
जांच रिपोर्ट के मुताबिक, रोहिणी स्थित आशा किरण होम के कामकाज में कमियां सामने आईं। स्वच्छता और सफाई की गुणवत्ता में गंभीर कमी है। डॉक्टरों के दौरे के संबंध में रिकॉर्ड रखरखाव ठीक नहीं है। मेडिकल रिकॉर्ड भी उपलब्ध नहीं है। सामाजिक कार्यकर्ताओं, प्रशासक और चिकित्सकों के बीच मतभेद है। इसके कारण सुविधा का कुप्रबंधन हो रहा है। डॉक्टरों के 12 पद रिक्त हैं। कर्मचारियों के विशेष प्रशिक्षण का अभाव है। एग्जॉस्ट फैन, एयर प्यूरीफायर, एयर कंडीशनिंग, आरओ जैसी बुनियादी सुविधाओं का अभाव है। डायग्नोस्टिक उपकरण भी उपलब्ध नहीं है।

जांच रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि टीबी के मामलों में वृद्धि हुई है और मौतें हो गई है। ऐसी मौतों का मुख्य कारण समय पर निदान न होना और उपचार का अभाव था। रिपोर्ट में यह भी उल्लेख किया गया है कि समाज कल्याण विभाग द्वारा जारी संस्थानों और सेवाओं के पदाधिकारियों के लिए मैनुअल का पालन नहीं किया जा रहा था। विशेष रूप से चिकित्सा अधिकारियों के दौरे, नर्सिंग स्टाफ का दवा न देना शामिल है।

उपराज्यपाल ने दिए निर्देश

  • स्वास्थ्य सचिव यह सुनिश्चित करें कि एक सप्ताह के भीतर रिक्त पदों पर डॉक्टरों की नियुक्ति की जाए।
  • प्रशासक को कारण बताओ नोटिस जारी कर स्पष्टीकरण मांगा जाए।
  • उनसे पूछा जाए कि उनके खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई क्यों न की जाए।
  • बुनियादी ढांचे को युद्ध स्तर पर ठीक किया जाए।
  • सचिवालय के स्पष्ट निर्देशों के बावजूद पर्याप्त मुआवजा प्रदान करने की सूचना क्यों नहीं दी गई।
  • प्रवेश के समय डिजिटल रिकॉर्ड बनाया जाए।

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