
दिल्ली-एनसीआर क्षेत्र में अचानक भूकंप के तेज झटकों ने लोगों को दहशत में डाल दिया। जानकारी के अनुसार, आज सुबह 9 बजकर 10 मिनट पर भूकंप आया। खासकर गाजियाबाद, नोएडा और दिल्ली के कई इलाकों में भूकंप के झटके महसूस किए गए, जिससे लोगों में डर और दहशत फैल गई। कई लोग घरों से बाहर निकल आए और अपने परिवार की सुरक्षा को लेकर चिंतित नजर आए। रिक्टर स्केल पर 4.1 की तीव्रता दर्ज की गई। इसके साथ ही गुरुग्राम समेत हरियाणा तक धरती हिलती महसूस की गई है।
अधिकारियों ने अभी तक भूकंप के केंद्र और तीव्रता को लेकर आधिकारिक जानकारी साझा नहीं की है, लेकिन शुरुआती रिपोर्टों में झटकों को तेज बताया गया है। प्रशासन ने लोगों से शांति बनाए रखने और अफवाहों से बचने की अपील की है।
भूकंप क्यों आता है? जानिए इसकी वजह और रिक्टर स्केल पर तीव्रता का मतलब
पृथ्वी की सतह पर सात बड़ी टेक्टोनिक प्लेटें निरंतर गतिशील रहती हैं। ये प्लेटें लगातार अपनी दिशा में हिलती-डुलती रहती हैं और जहां ये प्लेटें एक-दूसरे से टकराती हैं, वहां फॉल्ट लाइन बनती है। फॉल्ट लाइन वह क्षेत्र होता है जहां प्लेटों के टकराव के कारण तनाव पैदा होता है। समय के साथ, इस तनाव से प्लेटों के किनारे मुड़ जाते हैं और दबाव इतना बढ़ जाता है कि वे अचानक टूट जाते हैं। जब प्लेटें टूटती हैं, तो उनकी अंदर की विशाल भूगर्भीय ऊर्जा बाहर निकलने का रास्ता ढूंढ़ती है, जिसके कारण भूकंप के तेज झटके महसूस होते हैं।
भूकंप का केंद्र और तीव्रता क्या होती है?
भूकंप का केंद्र, जिसे एपीसेंटर भी कहा जाता है, वह स्थान होता है जहां से पृथ्वी के अंदर से ऊर्जा निकलती है और झटके शुरू होते हैं। इसी केंद्र के आसपास भूकंप का प्रभाव सबसे ज्यादा होता है। जैसे-जैसे दूरी बढ़ती है, भूकंप की तीव्रता कम होती जाती है। यदि रिक्टर स्केल पर भूकंप की तीव्रता 7 या उससे अधिक होती है, तो आसपास के 40 किलोमीटर के दायरे में झटके अधिक शक्तिशाली महसूस किए जा सकते हैं। हालांकि, भूकंप का असर इस बात पर भी निर्भर करता है कि कंपन की ऊर्जा किस दिशा में फैल रही है। यदि ऊर्जा ऊपर की ओर केंद्रित होती है, तो प्रभावित क्षेत्र छोटा होगा।
भूकंप की तीव्रता कैसे मापी जाती है?
भूकंप की ताकत और तीव्रता को मापने के लिए ‘रिक्टर स्केल’ का उपयोग किया जाता है, जिसे रिक्टर मैग्नीट्यूड स्केल भी कहा जाता है। यह स्केल भूकंप की तीव्रता को 1 से 9 के पैमाने पर आंकता है। जितनी अधिक तीव्रता, उतना अधिक नुकसान और झटकों की तीव्रता। यह माप भूकंप के केंद्र से निकलने वाली ऊर्जा के आधार पर की जाती है। रिक्टर स्केल पर दर्ज की गई संख्या से यह अनुमान लगाया जाता है कि भूकंप कितना शक्तिशाली था और आसपास के क्षेत्र में इसका कितना प्रभाव पड़ा।