एमसीडी ने मेयर चुनाव की प्रक्रिया प्रारंभ कर दी है। उसने पिछले कई महीनों से लंबित इस चुनाव की तिथि तय करने के लिए वर्तमान मेयर के पास फाइल भेजी है। एमसीडी ने अक्तूबर माह में होने वाली सदन की बैठक में मेयर चुनाव कराने का निर्णय लिया है। मेयर चुनाव अप्रैल माह से लंबित था, इसके पीछे मुख्य कारण मुख्यमंत्री का शराब घोटाले में जेल में बंद होना था। हाल ही में मुख्यमंत्री के बदले जाने के बाद एमसीडी ने मेयर चुनाव कराने प्रक्रिया फिर से शुरू की है।
इस साल मेयर पद अनुसूचित जाति (एससी) के पार्षद के लिए आरक्षित है। उधर मेयर चुनाव न कराने जाने के कारण अनुसूचित जाति के एक संगठन ने अनुसूचित जाति आयोग में शिकायत की है। इस संगठन ने कहा कि मेयर चुनाव को लंबित रखने से अनुसूचित जाति के पार्षदों को उनके संवैधानिक अधिकारों से वंचित करने का प्रयास किया जा रहा है। संगठन ने चुनाव की प्रक्रिया को तुरंत आरंभ करने और अनुसूचित जाति के पार्षद के अधिकारों की सुरक्षा सुनिश्चित करने की मांग की है।
एमसीडी ने आयोग से पत्र आने और मुख्यमंत्री बदले जाने के बाद अक्तूबर माह में होने वाली सदन की बैठक में मेयर चुनाव कराने का फैसला किया है। एमसीडी ने मेयर के पास भेजी फाइल में आग्रह किया है कि अक्तूबर माह में सदन की होने वाली बैठक की तिथि तय करें और इस बैठक की कार्य सूची में एमसीडी की विभिन्न योजनाओं के प्रस्तावों के साथ-साथ मेयर चुनाव का प्रस्ताव भी शामिल करने की स्ववीकृति दी जाए। बताया जा रहा है कि इस बारे में मेयर दो-तीन दिन में निर्णय लेगी।
स्वीकृति न मिलने पर एलजी को दी जाएगी जानकारी
उधर सूत्रों ने बताया कि मेयर की ओर से कार्य सूची में मेयर चुनाव कराने का प्रस्ताव शामिल करने की स्वीकृति न देने की स्थिति में एमसीडी इस प्रकरण से उपराज्यपाल को अवगत कराएगी। इस तरह वार्ड समितियों के चुनावों व सदन में स्थायी समिति के एक सदस्य के उपचुनाव की तरह गेंद उपराज्यपाल के पाले में होगी। लिहाजा उपराज्यपाल की ओर से मेयर चुनाव कराने के निर्देश देने की स्थिति में उनके व आम आदमी पार्टी के बीच एक नया विवाद पैदा हो सकता है।
आप व भाजपा ने अपने पार्षदों के करा रखे है नामांकन
एमसीडी ने अप्रैल माह में मेयर व डिप्टी मेयर पद की चुनाव प्रक्रिया शुरू करने के दौरान नामांकन पत्र दाखिल करा लिए थे। इन दोनों पदों के लिए एमसीडी में सत्तारूढ़ आम आदमी पार्टी के साथ-साथ मुख्य विपक्षी दल भाजपा के पार्षदों ने भी नामांकन पत्र दाखिल कर रखे है। उस समय मुख्यमंत्री के माध्यम सेे फाइल नहीं आने पर उपराज्यपाल ने मेयर चुनाव कराने के लिए पीठासीन अधिकारी नियुक्त करने से मना कर दिया था। उन्होंने वर्तमान मेयर को चुनाव न होने तक कार्य करने के निर्देश दिए थे।
विधानसभा चुनाव का माहौल तय करेगा मेयर चुनाव
मेयर चुनाव दिल्ली की राजनीतिक दृष्टिकोण से भी अहम है, क्योंकि आगामी विधानसभा चुनावों पर इसका प्रभाव पड़ सकता है। इस चुनाव का परिणाम विधानसभा चुनाव का माहौल तय करेगा। इस कड़ी में भाजपा ने इस चुनाव में ताल ठोक रखी है और उसके चुनाव जीतने के लिए पूरी ताकत लगाने की संभावना है। वह पूरी तरह आम आदमी पार्टी के पार्षदों के असंतोष पर निर्भर है। आप के 11 पार्षद पाला बदलकर भाजपा में शामिल हो चुके है। हालांकि दो पार्षद वापस आप में लौट गए है। आप के पास भाजपा सेे 20 वोेट अधिक हैं।