दिल्लीराज्य

दिल्ली एयरपोर्ट पर तकनीकी दिक्कत दूर 800 फ्लाइट्स पर पड़ा असर

दिल्ली के इंदिरा गांधी अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे (आईजीआई) पर शुक्रवार सुबह एटीसी (एयर ट्रैफिक कंट्रोल) सिस्टम में आई तकनीकी गड़बड़ी के चलते उड़ान संचालन बाधित हो गया। इससे यात्रियों को घंटों तक इंतजार करना पड़ा। वहीं, पिछले एक हफ्ते से दिल्ली में विमानों के जीपीएस सिग्नल में फेक अलर्ट आ रहे हैं। इसे जीपीएस स्पूफिंग कहते हैं। इसके तहत पायलटों को गलत लोकेशन और नेविगेशन डेटा अलर्ट मिल रहे हैं। एयर ट्रैफिक कंट्रोल के सूत्रों के अनुसार दिल्ली के करीब 100 किमी के दायरे में ऐसी घटनाएं सामने आई हैं। फ्लाइट रेगुलेटर डायरेक्टरेट जनरल ऑफ सिविल एविएशन (डीजीसीए) को इसके बारे में जानकारी दे दी गई है।

दिल्ली पुलिस अधिकारियों के अनुसार, स्पूफिंग एक प्रकार का साइबर अटैक है, जो नेविगेशन सिस्टम को गुमराह करने के लिए फेक जीपीएस सिग्नल भेजता है। ज्यादातर इसका इस्तेमाल वॉर जोन में किया जाता है, ताकि दुश्मनों के ड्रोन और विमानों को नष्ट किया जा सके। एक पायलट ने बताया कि लैंडिंग के वक्त आया फेक अलर्ट। एक एयरलाइंस के पायलट ने बताया कि पिछले हफ्ते उन्होंने 6 दिन फ्लाइट उड़ाई और हर बार जीपीएस स्पूफिंग का सामना करना पड़ा। पायलट के मुताबिक, दिल्ली एयरपोर्ट पर एक बार फ्लाइट लैंड करने के दौरान, उसके कॉकपिट सिस्टम में अलर्ट आया कि आगे रूट पर कोई खतरा है। वास्तव में वहां ऐसा कुछ नहीं था। ऐसा ही कुछ अन्य फ्लाइट्स के साथ भी हुआ। इससे कई उड़ानों में देरी भी हुई। खुफिया सूत्रों ने बताया कि भारत-पाकिस्तान बॉर्डर पर जीपीएस स्पूफिंग आम बात है, लेकिन दिल्ली के ऊपर ऐसी घटनाएं असामान्य हैं।

दिल्ली के आसपास आर्मी एक्सरसाइज के बारे में पायलटों और एटीसीओ को कोई सलाह भी नहीं दी गई थी, जिससे उन्हें सावधानी बरतने की आवश्यकता हो। नवंबर 2023 में डीजीसीए ने एयरलाइनों को एसओपी का पालन करने और जीपीएस स्पूफिंग की घटनाओं पर हर दो महीने में रिपोर्ट देने का निर्देश दिया था। भारत ने अंतरराष्ट्रीय नागरिक उड्डयन संगठन (आईसीएओ) के सामने भी यह मामला उठाया था।

ये स्पूफिंग

स्पूफिंग होने पर पायलट सटीक नेविगेशनल मार्गदर्शन खो देते हैं, जिससे हवाई यातायात नियंत्रकों को विमानों के बीच सुरक्षित दूरी मैन्युअल रूप से बनाए रखनी पड़ती है। इससे रेडियो संचार और कार्यभार काफी बढ़ जाता है, खासकर दिल्ली जैसे व्यस्त केंद्र पर। पिछले महीने वियना से दिल्ली जाने वाली एक उड़ान को बीच रास्ते में सिग्नल खराब होने के कारण दुबई की ओर मोड़ना पड़ा था. फ्लाइटरडार के आंकड़ों के अनुसार मंगलवार को उड़ान व्यवधान के मामले में दिल्ली का आईजीआई हवाई अड्डा काठमांडू के बाद विश्व स्तर पर दूसरे स्थान पर रहा है।

दिल्ली में बार-बार दिक्कत

दिल्ली के आईजीआई हवाई अड्डे पर ऑपरेशन कई तकनीकी समस्याओं के कारण प्रभावित हुआ है। शुक्रवार की सिस्टम विफलता से कुछ ही दिन पहले हवाई अड्डे को संदिग्ध जीपीएस स्पूफिंग घटनाओं के कारण बड़ी बाधाओं का सामना करना पड़ा था, जिससे विमान नेविगेशन प्रणालियों में बाधा उत्पन्न हुई थी। जीपीएस स्पूफिंग तब होती है जब नेविगेशन सिस्टम को गुमराह करने के लिए नकली सैटेलाइट सिग्नल भेजे जाते हैं, जिससे विमान गलत स्थिति या ऊंचाई की रीडिंग की गणना कर लेते हैं। सिस्टम गलत रूट दिखाने में उलझ जाता है।

ऐसे काम करता है एटीसी सिस्टम

परदे के पीछे एटीसी सिस्टम, रडार फीड, उड़ान योजनाओं, ट्रांसपोंडरों और मौसम सेंसरों से भारी मात्रा में डेटा एकत्र करता है और उसका प्रोसेसिंग करता है। यह निरंतर प्रवाह आकाश का एक जीवंत मानचित्र बनाने में मदद करता है। पूर्वानुमानित एल्गोरिदम का उपयोग करते हुए सिस्टम संभावित टकरावों या रूट डिविएशन की पहचान कर सकता है जिससे कंट्रोलर्स को जोखिम उत्पन्न होने से पहले ही प्रिवेंटिव निर्देश जारी करने में सहायता मिलती है।

एयर ट्रैफिक कंट्रोल सिस्टम के प्रकार

एटीसी ऑपरेशन भूगोल और कवरेज तकनीक के आधार पर भिन्न होते हैं. मोटे तौर पर, ये दो मुख्य श्रेणियों में आते हैं

भू-आधारित प्रणालियां: विमानों को ट्रैक करने और मार्गदर्शन करने के लिए रडार और रेडियो संचार का उपयोग करने वाली पारंपरिक प्रणालियां।

उपग्रह-आधारित प्रणालियां: उन्नत प्रणालियां जो दूरस्थ या समुद्री क्षेत्रों में भी लाइव विमान डेटा प्रसारित करने के लिए उपग्रहों का लाभ उठाती हैं, जिससे मार्ग दक्षता और संचार सटीकता में सुधार होता है।

Related Articles

Back to top button