
एमसीडी पुराने कूड़े के पहाड़ों को हटाकर राजधानी को प्रदूषण से राहत दिलाने के साथ-साथ साइटों को फिर से उपयोगी बनाने की दिशा में भी कदम बढ़ा चुकी है। बायोमाइनिंग के जरिए कूड़ा हटाने की प्रक्रिया पिछले तीन वर्षों से जारी है।
भलस्वा, गाजीपुर और ओखला तीनों प्रमुख लैंडफिल साइटों को कूड़ा मुक्त बनाने की कवायद भले ही तेज हो गई हो गई लेकिन लक्ष्य हासिल करना चुनौती बना हुआ है। एमसीडी पुराने कूड़े के पहाड़ों को हटाकर राजधानी को प्रदूषण से राहत दिलाने के साथ-साथ साइटों को फिर से उपयोगी बनाने की दिशा में भी कदम बढ़ा चुकी है। बायोमाइनिंग के जरिए कूड़ा हटाने की प्रक्रिया पिछले तीन वर्षों से जारी है।
एमसीडी के आंकड़ों के अनुसार, जुलाई 2022 से जुलाई 2025 तक इन साइटों पर बायोमाइनिंग के जरिए 77 लाख मीट्रिक टन कूड़ा हटाया गया है। जबकि कूड़ा दो करोड़ मीट्रिक टन से अधिक है। भलस्वा में जून 2022 तक लगभग 73 लाख मीट्रिक टन कचरा जमा था। अब तक 32.34 लाख टन हटाया जा चुका है, जबकि 42.98 लाख टन अभी भी शेष है।
वहीं गाजीपुर में 85 लाख मीट्रिक टन में से केवल 19.38 लाख टन ही अब तक प्रोसेस हुआ है। यह दिल्ली की सबसे पुरानी (1984 से सक्रिय) और सबसे ऊंची लैंडफिल साइट है। जबकि ओखला में 45 लाख मीट्रिक टन में से 25.06 लाख मीट्रिक टन कचरा हटाया गया है। यह साइट राजधानी के दक्षिणी हिस्से में स्थित है और यहां एक सक्रिय वेस्ट-टू-एनर्जी प्लांट भी है।
मीथेन गैस के रिसाव से लगती रहती है आग
तीनों साइटों पर प्रदूषण, गैस रिसाव और जल स्रोतों के प्रदूषित होने की समस्याएं लगातार बनी हुई हैं। भलस्वा में मिथेन गैस के रिसाव से समय-समय पर आग लगती रहती है। आसपास की झीलें और भूजल प्रदूषित हो चुके हैं। वहीं गाजीपुर में 2017 में हुए भूस्खलन की दर्दनाक घटना आज भी लोगों को याद है। यहां की झुग्गियों में सांस की बीमारियां आम हो गई हैं जबकि ओखला में वायु गुणवत्ता खराब बनी हुई है। ओखला बर्ड सेंचुरी पर भी प्रदूषण का खतरा मंडरा रहा है।
फिर से उपयोग की बनाई जा रही है योजना
एनजीटी के निर्देशानुसार, तीनों लैंडफिल साइटों की सफाई के बाद उनकी एक-तिहाई भूमि पर सघन शहरी वन विकसित किया जाएगा। शेष हिस्से में खाद संयंत्र, बायो-सीएनजी संयंत्र और एकीकृत अपशिष्ट प्रसंस्करण सुविधाएं विकसित की जाएंगी। इस संबंध में एमसीडी ने सीमेंट फैक्ट्रियों व निर्माण कंपनियों से समझौते भी किए हैं।
प्रतिमाह कूड़ा हटाने का कार्य तेज
एमसीडी तीनों साइटों से प्रतिमाह कूड़ा हटाने का कार्य तेज करने में लगी हुई है। वह मई 2025 में औसतन 21,148 मीट्रिक टन प्रतिदिन हटा रही थी, जबकि जून 2025 में यह बढ़कर 23,657 मीट्रिक टन हो गया। एमसीडी का कहना है कि शेष कचरे के लिए नई टेंडर प्रक्रिया शुरू की गई है, जिससें बायोमाइनिंग की रफ्तार में तेजी आएगी। इसके अलावा तीनों लैंडफिल साइटों को चरणबद्ध तरीके से साफ करने की समयसीमा तय की गई है। ओखला को जुलाई 2026, भलस्वा को दिसंबर 2026 और गाजीपुर को दिसंबर 2027 कूड़ा मुक्त करने का लक्ष्य रखा गया है। हालांकि गत सप्ताह मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने अगलेे साल तीनों साइटों को पूरी तरह कूड़ा मुक्त करने के निर्देश दिए हैं।