बीते कई दिनों से वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) बेहद खराब श्रेणी में बरकरार है। हवा की गति लगातार कम होती जा रही है, जो हवा में जहर घोलने का काम कर रही है। बुधवार को एक्यूआई 352 रहा, जोकि बेहद खराब श्रेणी में है।
राजधानी के लोगों को आने वाले कई दिनों तक प्रदूषण से राहत मिलने की उम्मीद नहीं है। बीते कई दिनों से वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) बेहद खराब श्रेणी में बरकरार है। हवा की गति लगातार कम होती जा रही है, जो हवा में जहर घोलने का काम कर रही है। बुधवार को एक्यूआई 352 रहा, जोकि बेहद खराब श्रेणी में है। इसमें मंगलवार के मुकाबले 21 अंकों की कमी दर्ज की गई। सुबह आसमान में हल्की स्मॉग की चादर छाई नजर आई। प्रदूषण का स्तर बढ़ने से लोगों को आंखों में जलन व सांस लेने में तकलीफ महसूस हो रही है। इसके अलावा दृश्यता में भी गिरावट दर्ज की गई।
बुधवार को 6:30 बजे सफदरजंग में दृश्यता 800 मीटर दर्ज की गई। वहीं, राजधानी में द्वारका एनएसआईटी सर्वधिक प्रदूषित रहा। यहां एक्यूआई लगभग 450 दर्ज किया गया। पांच इलाकों की हवा गंभीर श्रेणी में रही। एनसीआर में दिल्ली के बाद गुरुग्राम सर्वाधिक प्रदूषित रहा। दिल्ली की हवा समग्र रूप से बेहद खराब श्रेणी में बनी रही। पांच नवंबर को दिल्ली में पीएम 2.5 की मात्रा में पराली जलाने से होने वाले प्रदूषण का रोजाना औसत योगदान लगभग 20.382 फीसदी रहा। दिल्ली में जैसे ही प्रदूषित हवा 400 के पार दर्ज की जाएगी, वैसी ही ग्रैप का चौथा चरण लागू हो जाएगा।
न्यूनतम तापमान में आ रही गिरावट : राजधानी में हल्की ठंड ने दस्तक दे दी है। न्यूनतम तापमान में लगातार गिरावट दर्ज की जा रही है। इससे सुबह व शाम हल्की ठंड का अहसास हो रहा है। दूसरी तरफ लोगों को दोपहर के समय हल्की गर्मी महसूस हो रही है।
विशेषज्ञों का अनुमान है कि पहाड़ों से आने वाले ठंडी हवा से 15 नवंबर के बाद तापमान में अधिक गिरावट दर्ज की जा सकती है। इससे रातों के साथ दिन भी सर्द होंगे। हालांकि, मौसम विभाग का पूर्वानुमान है कि बृहस्पतिवार को आसमान साफ रहेगा। सुबह व रात के समय स्मॉग के साथ हल्का कुहासा छाया रहेगा। ऐसे में अधिकतम तापमान 33 डिग्री सेल्सियस और न्यूनतम तापमान 17 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया जा सकता है। बुधवार को अधिकतम तापमान सामान्य से दो डिग्री अधिक के साथ 33.3 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया। वहीं, न्यूनतम तापमान सामान्य से दो डिग्री अधिक के साथ 17.2 डिग्री सेल्सियस रहा। रिज में सबसे कम न्यूनतम तापमान 14.1 डिग्री सेल्सियस रिकॉर्ड किया गया। आया नगर में 15.4 और लोदी रोड में 15.8 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया।
शुक्रवार तक बेहद खराब श्रेणी में रहेगी हवा
भारतीय उष्णदेशीय मौसम विज्ञान संस्थान (आईआईटीएम) के मुताबिक, बुधवार को हवा विभिन्न दिशा की ओर से चली। इस दौरान हवा की गति 4 से 8 किलोमीटर प्रतिघंटा रही। बृहस्पतिवार को भी हवा विभिन्न दिशा से चलने का अनुमान है। इस दौरान हवा 4 से 8 किलोमीटर प्रतिघंटे से चलेगी। वहीं, शुक्रवार को हवा विभिन्न दिशा की ओर से चलेगी। हवा की चाल 4 से 8 किलोमीटर प्रतिघंटे रहने का अनुमान है। शनिवार को भी हवा विभिन्न दिशा की ओर से चलेगी। इस दौरान हवा की चाल 4 से 8 किमी प्रतिघंटा रहेगी। वहीं, रात के समय हल्का कुहासा छाए रहने की संभावना है। स्मॉग छाई रहेगी। ऐसे में हवा बेहद खराब श्रेणी में बनी रहेगी।
उद्योगों के निरीक्षण के लिए डीपीसीसी डीएसआईआईडीसी की बनाईं 58 टीमें
पर्यावरण मंत्री गोपाल राय ने शहर में औद्योगिक प्रदूषण को लेकर दिल्ली सचिवालय में समीक्षा बैठक की। इसमें दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति (डीपीसीसी), पर्यावरण विभाग, दिल्ली स्टेट इंडिस्ट्रयल एंड इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट कॉरपोरेशन (डीएसआईआईडीसी) और एमसीडी के अधिकारी मौजूद रहे।
इस अवसर पर राय ने बताया कि दिल्ली में औद्योगिक इकाइयों के लगातार निरीक्षण के लिए डीपीसीसी और डीएसआईआईडीसी की 58 टीमों का गठन किया है। औद्योगिक अपशिष्ट की डंपिंग की निगरानी के लिए पूरी दिल्ली में तीन विभागों की 191 पेट्रोलिंग टीमें तैनात की गई हैं। साथ ही दिल्ली की 1901 पंजीकृत औद्योगिक इकाइयों को पीएनजी में बदला गया है।
राय ने बताया कि सर्दियों में होने वाले प्रदूषण की समस्या से निपटने के लिए 25 सितंबर को सरकार ने 21 फोकस बिंदुओं पर आधारित विंटर एक्शनप्लान की घोषणा की थी। राजधानी में वायु प्रदूषण में और सुधार लाने के लिए विंटर एक्शन प्लान के तहत औद्योगिक प्रदूषण पर निगरानी और उसके अपशिष्ट प्रबंधन का कार्य शुरू हो गया है। औद्योगिक प्रदूषण के खिलाफ अभियान के तहत पूरी दिल्ली में तीन विभागों की 191 पेट्रोलिंग टीमों को औद्योगिक अपशिष्ट की डंपिंग के उचित निपटान की निगरानी के लिए तैनात करने का निर्णय लिया गया है।
उन्होंने बताया कि डीपीसीसी और डीएसआईआईडीसी की 58 टीमें औद्योगिक इकाइयों के लगातार निरीक्षण के कार्य में तैनात की गई हैं। यह सभी टीमें दिल्ली में सभी औद्योगिक इकाइयों पर निगरानी रखने और उनके द्वारा प्रदूषण को रोकने के लिए तुरंत कदम उठाने का कार्य करेगी। इसकी रिपोर्ट समय-समय पर पर्यावरण विभाग को प्रेषित की जाएगी।
डीपीसीसी की इस टीम को औद्योगिक इकाइयों द्वारा पर्यावरण नियमों के उल्लंघन करने पर सख्त कार्रवाई करने का भी आदेश जारी किया गया है। राय ने बताया कि दिल्ली की 1901 पंजीकृत औद्योगिक इकाइयों को पीएनजी में बदला गया है। उद्योगों को केवल अनुमोदित ईंधन पर संचालित करना अनिवार्य है। यदि कोई भी औद्योगिक इकाई पर्यावरण के नियमों का उल्लंघन करते पाई जाएगी, उस पर संबंधित विभाग की ओर से उचित और सख्त कार्रवाई की जाएगी।
यातायात प्रबंधन के लिए कई कदम उठाए : दिल्ली पुलिस
राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) को दिल्ली पुलिस ने वायु प्रदूषण पर की गई कार्रवाई पर अपना जवाब सौंपा है। रिपोर्ट में पुलिस ने कहा है कि वह यातायात प्रबंधन के लिए कई काम करती है। साथ ही पार्किंग मानदंडों के उल्लंघन को नियंत्रित करने के लिए ठोस प्रयास किए जा रहे हैं। पिछली सुनवाई के दौरान राजधानी में वायु प्रदूषण से संबंधित मामले की सुनवाई करते हुए अधिकरण ने दिल्ली पुलिस आयुक्त संजय अरोड़ा और शहर के विशेष पुलिस आयुक्त (यातायात प्रबंधन) को निर्देश दिया था, इसमें अदालत ने कहा था कि वे वाहनों की आवाजाही और पार्किंग संबंधी समस्याओं के कारण प्रदूषण में योगदान देने वाले कारकों को कम करने के लिए जमीनी स्तर पर उठाए गए कदमों के बारे में अदालत को बताएं।
रिपोर्ट में कहा है कि दिल्ली ट्रैफिक पुलिस हितधारकों द्वारा विनियमन, प्रवर्तन, इंजीनियरिंग हस्तक्षेप के आधार पर दिल्ली की सड़कों पर यातायात के प्रबंधन के लिए कई रणनीतियों का पालन करती है। साथ ही वायु प्रदूषण में योगदान देने वाले कारकों को कम करने के लिए विस्तृत कार्रवाई की जा रही है। रिपोर्ट में कहा गया है कि एक हजार 800 यातायात पुलिसकर्मी नियमित रूप से तैनात किए गए थे, जो ग्रैप लागू करने के बाद बढ़कर दो हजार हो गए। इसके अलावा प्रदूषण नियंत्रण मानदंडों के उल्लंघन की जांच के लिए 280 से अधिक अभियोजन दल बनाए गए। पहचाने गए 13 प्रदूषण हॉटस्पॉट क्षेत्रों में सहायक पुलिस आयुक्तों को नोडल अधिकारी के रूप में नामित किया गया।
रिपोर्ट के अनुसार, 11 राजस्व जिलों के लिए निगरानी समितियों का गठन किया गया था, ताकि जिलों और दिल्ली नगर निगम क्षेत्रों के साथ समन्वय स्थापित किया जा सके और भीड़भाड़ को दूर करने व यातायात कानून के उल्लंघन की जांच जैसे निर्देशों का अनुपालन सुनिश्चित किया जा सके। रिपोर्ट में कहा गया है कि ई-रिक्शा और पुराने वाहनों के खिलाफ कार्रवाई के लिए परिवहन विभाग के साथ 24 संयुक्त प्रवर्तन दल तैनात किए गए हैं। रिपोर्ट के मुताबिक, सड़क रखरखाव के संबंध में यातायात इंजीनियरिंग प्रस्ताव नियमित रूप से पीडब्ल्यूडी, एमसीडी, डीडीए और एनडीएमसी जैसी एजेंसियों को भेजे जा रहे हैं।
चिंताजनक : वाहन खराब कर रहे राजधानी की हवा
सर्दियों में दिल्ली का प्रदूषण वाहनों से होने वाला उत्सर्जन का सबसे बड़ा कारण है। यह योगदान पराली जलाने, सड़क की धूल या पटाखे फोड़ने से भी अधिक है। इसके अलावा स्थानीय स्रोतों से होने वाले प्रदूषण का 50 फीसदी से अधिक हिस्सा शहर की खराब परिवहन व्यवस्था से जुड़ा है। यह खुलासा बुधवार को इंडिया हैबीटेट सेंटर में जारी सेंटर फॉर साइंस एंड एनवायरमेंट (सीएसई) की एक रिपोर्ट से हुआ।
आईआईटीएम, सीपीसीबी समेत दूसरी एजेंसियों से जुटाए गए आंकड़ों के आधार पर तैयार रिपोर्ट बताती है कि प्रदूषण के स्थानीय स्रोतों में शहर के वायु प्रदूषण का 30.34 फीसदी हिस्सा है। इनमें से 50.1 फीसदी परिवहन के माध्यम से होता है, जबकि 34.97 फीसदी पड़ोसी एनसीआर जिलों से और 27.94 प्रतिशत अन्य क्षेत्रों से उत्पन्न होता है। दिल्ली के प्रदूषण स्तर में पराली जलाने का योगदान केवल 8.19 फीसदी है।
सार्वजनिक परिवहन दिल्ली में महंगा : रिपोर्ट बताती है कि दिल्ली में सार्वजनिक परिवहन महंगा है। इसका इस्तेमाल करने वाले करीब 50 फीसदी लोग अपनी सालाना आय का 18 फीसदी यात्रा पर खर्च करते हैं, जबकि निजी वाहन मालिकों के लिए आंकड़ा 12 प्रतिशत है। इस अंतर की बड़ी वजह बस यात्रा में लगने वाला ज्यादा समय व बार-बार इंटरचेंज की जरूरत से है। इससे कुल लागत निजी परिवहन की तुलना में लगभग दोगुनी हो जाती है। यही नहीं, मांग के बावजूद दिल्ली की सार्वजनिक परिवहन व्यवस्था अपर्याप्त बनी हुई है।
हालांकि शहर में जुलाई 2024 तक 7683 बसें हैं। इसमें 1970 इलेक्ट्रिक हैं। यह अभी भी सुप्रीम कोर्ट के 1998 के दस हजार बसें तैनात करने के निर्देश से कम हैं। मौजूदा समय में दिल्ली में प्रति लाख आबादी पर लगभग 45 बसें संचालित होती हैं। यह आवास और शहरी मामलों के मंत्रालय के प्रति लाख आबादी पर 60 बसों के मानक से कम है। बसों के खराब होने की घटनाएं भी बढ़ रही हैं, 2018-19 में 781 से बढ़कर 2022-23 में एक हजार 259 मामले हो गए हैं। बस सवारियों की संख्या में वृद्धि के बावजूद डीटीसी बसों के लिए यह महामारी-पूर्व स्तर की तुलना में 25 प्रतिशत कम है तथा क्लस्टर बसों के लिए यह सात प्रतिशत कम है।
प्रतिवर्ष पंजीकृत नई कारों के लिए 615 फुटबॉल मैदानों के बराबर स्थान की आवश्यकता : पार्किंग की मांग भी संसाधनों पर दबाव डालती है, जो शहरीकृत भूमि का 10 प्रतिशत से अधिक हिस्सा ले लेती है। प्रतिवर्ष पंजीकृत नई कारों के लिए 615 फुटबॉल मैदानों के बराबर स्थान की आवश्यकता होती है। हालांकि, ग्रैप के दूसरे चरण में निजी वाहनों के उपयोग को हतोत्साहित करने के लिए पार्किंग शुल्क बढ़ाने की सिफारिश की गई है, लेकिन विशेषज्ञों का कहना है कि इसके प्रभावी होने के लिए पार्किंग प्रबंधन क्षेत्र योजना (पीएमएपी) की आवश्यकता होगी।
दिल्ली को उत्सर्जन में 62 प्रतिशत की कमी करनी होगी
रिपोर्ट के मुताबिक, स्वच्छ वायु लक्ष्य हासिल करने के लिए दिल्ली को उत्सर्जन में 62 प्रतिशत की कमी करनी होगी। शहर के फैलाव से यात्रा की दूरी बढ़ी है, जबकि सार्वजनिक परिवहन का उपयोग कम हुआ है। बीते एक दशक में बस यात्रा में 20 प्रतिशत की गिरावट आई है। वहीं, भीड़भाड़ की उच्च लागत से दिल्ली का कार्यबल प्रभावित होता है। अकुशल श्रमिकों को यातायात में देरी के कारण सालाना अनुमानतः सात हजार 500 से बीस हजार 100 व कुशल श्रमिकों को नौ हजार 900 से 26 हजार 600 रुपये का नुकसान होता है, जो उनकी आय का 4 से 12 प्रतिशत है।
विशेषज्ञ की राय : सीएसई महानिदेशक सुनीता नारायण बताती हैं कि बड़ी समस्या वाहनों का प्रदूषण है। पराली जलाना, सड़क की धूल और पटाखे फोड़ना चिंताजनक है। फिर भी यह वाहन जितने अहम नहीं हैं। ग्रैप की बंदिशें भी अस्थायी और अपर्याप्त हैं। दोषारोपण से बचते हुए सार्वजनिक परिवहन व्यवस्था को मजबूत करने की दिशा में काम करने की जरूरत है।
अच्छे दिनों वाले वायु गुणवत्ता सूचकांक में हुई बढ़ोतरी
राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) को दिल्ली सरकार ने वायु प्रदूषण पर कार्रवाई रिपोर्ट सौंपी है। इसमें दावा किया गया है कि राजधानी में जनवरी से अक्तूबर के बीच अच्छे दिन दिखाने वाला वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) वर्ष 2018 में 157 से बढ़कर वर्ष 2024 में 201 हो गया है। रिपोर्ट में कहा गया है कि दिल्ली के 13 प्रदूषण हॉटस्पॉट पर विशेष शमन कार्रवाई की जा रही है। 24 अक्तूबर को अधिकरण ने राजधानी में बिगड़ती वायु गुणवत्ता से संबंधित मामले की सुनवाई करते हुए ग्रैप लागू करने की आवश्यकता बताते हुए दिल्ली सरकार को अपनी रिपोर्ट दाखिल करने का निर्देश दिया था।
हितधारक विभागों के निरंतर प्रयासों से जनवरी से अक्तूबर तक अच्छे दिन 2018 में 157 से बढ़कर 2023 में 206 हो गए हैं। रिपोर्ट में कहा गया है कि इस साल 29 अक्तूबर तक 201 अच्छे दिन रहे हैं। इसमें कहा गया है कि सर्दियों में वायु प्रदूषण को कम करने के लिए लगभग 30 सरकारी हितधारक विभागों के साथ 21 सूत्री शीतकालीन कार्ययोजना लागू की जा रही है।
रिपोर्ट के अनुसार, वायु प्रदूषण के प्रमुख पहचाने गए स्रोत वाहन प्रदूषण, सड़क और निर्माण गतिविधियों से निकलने वाली धूल, औद्योगिक उत्सर्जन, फसल अवशेषों को जलाना व पत्तियों और कचरे को खुले में जलाना है। रिपोर्ट में कहा है कि पराली जलाने पर नियंत्रण के लिए कई कदम उठाए गए हैं। वर्ष 2024-25 में सरकार ने दिल्ली के कृषि क्षेत्रों में बायो डीकंपोजर के छिड़काव के लिए गैर-बासमती धान के पांच हजार एकड़ क्षेत्र को लक्ष्य बनाया है। इसमें कहा कि 3 अक्तूबर से मौजूदा समय तक उत्तर, उत्तर-पश्चिम, पश्चिम, मध्य और दक्षिण-पश्चिम जिलों में दो हजार 432 एकड़ खेतों में छिड़काव किया जा चुका है।