जेल से गिरोह चलाने वाले गैंगस्टर अब मोबाइल का इस्तेमाल नहीं कर पाएंगे। रोहिणी जेल में जैमर लगाने का इंतजाम किया जा रहा है। इससे अंदर इस्तेमाल होने वाले मोबाइल फोन पूरी तरह से ठप हो जाएंगे। दिल्ली की अन्य दो जेलों तिहाड़ और मंडोली में पहले से ही जैमर लगे हुए हैं। रोहिणी जेल में इसकी व्यवस्था नहीं थी। ऐसे में तलाशी अभियान के दौरान यहां बड़ी संख्या में मोबाइल जब्त होते थे। समस्या के समाधान के लिए जेल प्रशासन ने रोहिणी जेल में भी जैमर लगाने का फैसला किया है।
दिल्ली पुलिस की जांच में कई वारदातों में खासकर रंगदारी मांगने के मामलों में जेल में बंद गैंगस्टर की ओर से साजिश रचने का खुलासा हुआ है। बताया गया है कि जेल में बंद गैंगस्टर मोबाइल फोन के जरिए बाहर मौजूद अपने गुर्गों के संपर्क में हैं और उन्हें जेल से ही वारदात को अंजाम देने का निर्देश देते हैं। इसको लेकर जेल प्रशासन की ओर से दिल्ली के तीन जेलों तिहाड़, मंडोली और रोहिणी में लगातार तलाशी अभियान चलाए जा रहे हैं। तलाशी अभियान में कैदियों के पास से लगातार मोबाइल फोन बरामद हो रहे हैं। खासकर रोहिणी जेल में मोबाइल मिलने की संख्या ज्यादा है। सूत्रों की माने तो एक माह में औसतन जेलों से 30 मोबाइल फोन मिल रहे हैं। माना जा रहा है कि जिन जेलों में जैमर लगा हुआ है, उसकी क्षमता कम है और वह नेटवर्क को रोक नहीं पा रही है।
इसकी वजह से जेल के कुछ इलाके में नेटवर्क सक्रिय है और इसी का फायदा उठाकर कैदी मोबाइल का इस्तेमाल कर रहे हैं। जेल अधिकारी का कहना है कि मोबाइल नेटवर्क पर रोक लगाने के लिए रोहिणी जेल में दो जैमर टावर लगाने का प्रस्ताव है। इसके साथ ही तिहाड़ में अब तक लगे दो जैमर की जगह वहां पर चार और मंडोली जेल में लगे जैमर टावर की संख्या दोगुनी की जाएगी। वहां एक जैमर लगा हुआ है। जेल में भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड की ओर से जैमर लगाया जाएगा। फिलहाल हरिनगर स्थित तिहाड़ जेल में सेल में भी छोटे जैमर लगाए जाने का प्रस्ताव है। ट्रायल के तौर सेल में आधा दर्जन जैमर लगाए जा चुके हैं।
35 मोबाइल बरामद होते हैं औसतन हर महीने
तिहाड़ के तीन जेलों में औसतन हर माह 35 के करीब कैदियों से मोबाइल फोन बरामद होते हैं। इसमें साधारण से लेकर स्मार्ट फोन मिलते हैं। जेल प्रशासन समय समय पर सघन जांच अभियान चलाता है। इस दौरान हर कैदियों की जांच करने के साथ साथ हर सेल में तलाशी ली जाती है। जेल प्रशासन की ओर से उपलब्ध कराए गए इस साल अप्रैल से लेकर 15 अक्तूबर तक 243 मोबाइल फोन की बरामदगी हुई है। इसमें जुलाई और अगस्त में सबसे ज्यादा क्रमश: 45 और 44 मोबाइल फोन मिले हैं।
कई तरीके से कैदियों तक पहुंचता है मोबाइल
जेल के सूत्रों का कहना है कि जेल में मोबाइल पहुंचने का सबसे बड़ा जरिया जेलकर्मी हैं। कई मौके पर कैदियों के पास से फोन मिलने के बाद हुई जांच में यह बात सामने आ चुकी है। कई जेल कर्मियों के खिलाफ कार्रवाई तक हो चुकी है। सबसे ताजा उदाहरण सुकेश है, जिसे जेलकर्मी ने ही फोन मुहैया करवाया था। इसके अलावा कैदी खुद भी अपने कपड़ों में मोबाइल फोन छिपाकर ल के भीतर ले जाने की कोशिश करते हैं। हालांकि वार्ड या सेल तक पहुंचाने से पहले कैदियों की तलाशी ली जाती है। कुछ कैदी सुरक्षाकर्मियों को चकमा देने में कामयाब हो जाते हैं। हाल के दिनों में खुलासा हुआ है कि गैंगस्टर दो इंच के फोन का इस्तेमाल करता था। इसके अलावा कैदियों के परिचित भी दीवार के बाहर से फोन अंदर फेंक देते हैं।