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दिल्ली: वायु प्रदूषण रोकने के लिए लोधी रोड पर लगाए मिस्ट स्प्रे

इस तकनीक का उपयोग दिल्ली में पहली बार किया गया है, जिसका उद्देश्य हवा में मौजूद धूल और प्रदूषित कणों को नियंत्रित करना है। एनडीएमसी ने दो महीने पहले बजट में इस योजना की घोषणा की थी।

राजधानी में वायु प्रदूषण की समस्या को कम करने के लिए नई दिल्ली नगर पालिका परिषद (एनडीएमसी) ने नई तकनीक अपनाई है। पायलट प्रोजेक्ट के तहत लोधी रोड पर बिजली के खंभों पर मिस्ट स्प्रे लगाए गए हैं। इस तकनीक का उपयोग दिल्ली में पहली बार किया गया है, जिसका उद्देश्य हवा में मौजूद धूल और प्रदूषित कणों को नियंत्रित करना है। एनडीएमसी ने दो महीने पहले बजट में इस योजना की घोषणा की थी।

एनडीएमसी के अनुसार, योजना के तहत बिजली के खंभों पर ऐसे विशेष उपकरण लगाए गए हैं, जो समय-समय पर साफ जल की फुहारें छोड़ते हैं। यह मिस्ट स्प्रे हवा में मौजूद धूल और प्रदूषित कणों को जमीन पर बैठाने में मदद करता है, जिससे प्रदूषण स्तर कम होता है। यह तकनीक उन इलाकों में अधिक कारगर साबित हो सकती है जहां प्रदूषण का स्तर अधिक होता है और सड़क किनारे धूल जमा होती है। इस पहल से वायु गुणवत्ता में सुधार की उम्मीद की जा रही है। यदि यह पायलट प्रोजेक्ट सफल रहेगा, तो इसे अन्य इलाकों में भी लागू किया जा सकता है। पर्यावरण विशेषज्ञों का मानना है कि इस तरह की तकनीक वायु गुणवत्ता में सुधार के लिए एक प्रभावी कदम हो सकती है।

हालांकि, उनका कहना है कि इस तकनीक के दीर्घकालिक प्रभावों का मूल्यांकन जरूरी होगा। विशेषज्ञों का सुझाव है कि मिस्ट स्प्रे के साथ-साथ हरित क्षेत्रों का विस्तार, निर्माण स्थलों पर कड़े नियम और सार्वजनिक परिवहन को बढ़ावा देने जैसे कदम भी उठाए जाने चाहिए।

अन्य उपाय भी कर रही एनडीएमसी
एनडीएमसी वायु प्रदूषण कम करने के लिए अन्य उपाय भी अपना रही है। धूल और प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए स्मॉग गन का उपयोग किया जा रहा है, जिससे हवा में मौजूद सूक्ष्म कणों को नीचे बैठाया जाता है। साथ ही, सड़कों और निर्माण स्थलों पर नियमित रूप से पानी का छिड़काव किया जाता है। दिल्ली में हर साल सर्दियों में वायु प्रदूषण खतरनाक स्तर तक पहुंच जाता है। इस समस्या से निपटने के लिए सरकार नए-नए उपाय अपना रही हैं। मिस्ट स्प्रे तकनीक को इसी दिशा में एक नए प्रयास के रूप में देखा जा रहा है। अब यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि यह तकनीक कितनी प्रभावी साबित होती है और कितने बड़े स्तर पर लागू किया जा सकता है।

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