उच्च न्यायालय ने जम्मू और कश्मीर में मैसेजिंग प्लेटफॉर्म ब्रायर को ब्लॉक करने के केंद्र सरकार के फैसले को बरकरार रखा है। अदालत ने कहा कि राष्ट्रीय सुरक्षा के मामलों में प्राकृतिक न्याय के सिद्धांतों को दरकिनार किया जा सकता है।
न्यायमूर्ति सुब्रमण्यम प्रसाद ने हाल ही में दिए फैसले में कहा कि देश की सुरक्षा और संप्रभुता के लाभ के लिए सरकार के उच्चतम स्तर पर लिए गए निर्णय को गोपनीय रखा जा सकता है। कोर्ट ने कहा कि न्यायालय इस तथ्य का न्यायिक संज्ञान ले सकता है कि उच्चतम स्तर पर लिए गए निर्णय और देश की सुरक्षा और संप्रभुता के लाभ के लिए गोपनीय रखे जा सकते हैं।
ब्रायर ने सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम, 2000 की धारा 69ए के तहत पारित आवेदन को अवरुद्ध करने के आदेश को प्रस्तुत करने और प्रकाशित करने के लिए केंद्र सरकार को निर्देश देने के लिए उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया था।
याची ने कहा ब्रायर एक स्वतंत्र और ओपन-सोर्स सॉफ्टवेयर (एफओएसएस) है। जिसे उपयोग करने के लिए स्वतंत्र रूप से लाइसेंस दिया गया है और कोई भी व्यक्ति किसी भी तरह से सॉफ्टवेयर की प्रतिलिपि बना सकता है, उसका अध्ययन कर सकता है और उसमें बदलाव कर सकता है और स्रोत कोड को खुले तौर पर साझा किया जाता है। ताकि लोगों को स्वेच्छा से सॉफ्टवेयर के डिजाइन में सुधार करने के लिए प्रोत्साहित किया जा सके।