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दुनिया के 3200 GCC में से 1700 भारत में

ऑपरेशनल लागत कम करने और स्किल्ड वर्कफोर्स का लाभ उठाने के लिए 1990 के दशक में ग्लोबल कैपेबिलिटी सेंटर (Global Capability Centers) की शुरुआत हुई थी। इसका भारत को बड़ा फायदा मिला है। दुनिया में इस समय करीब 3,200 जीसीसी हैं, जिनमें से 53 प्रतिशत, यानी लगभग 1,700 भारत में हैं। शिकागो मुख्यालय वाली वर्कस्पेस सॉल्यूशन फर्म वेस्टियन ने एक रिपोर्ट में यह जानकारी दी है।

शुरुआत में जीसीसी आईटी सपोर्ट और बैक-ऑफिस सर्विसेज के लिए होते थे। लेकिन अब ये इनोवेशन, रिसर्च और डेवलपमेंट के हब बन गए हैं। इस समय भारत के टियर-1 और टियर-2 शहरों में लगभग 1,700 ग्लोबल कैपेबिलिटी सेंटर हैं।

रिपोर्ट के अनुसार जीसीसी की संख्या के मामले में टियर-1 शहर अब भी आगे हैं, लेकिन धीरे-धीरे यह गति टियर-2 शहरों की ओर बढ़ रही है। बेंगलुरु, हैदराबाद, चेन्नई, एनसीआर, मुंबई और पुणे जैसे शीर्ष छह शहरों भारत के 94% जीसीसी स्थित हैं। बाकी सेंटर कोलकाता, कोच्चि, अहमदाबाद, चंडीगढ़, कोयंबटूर, वडोदरा, नासिक, त्रिवेंद्रम, जोधपुर, वारंगल, बड़ौदा, विशाखापत्तनम, भोगपुरम, जयपुर, सूरत, मोहाली, भुवनेश्वर, इंदौर, मैसूर, मदुरै और भोपाल में फैले हैं।

किस शहर में कितने जीसीसी

बेंगलुरुः भारत में सबसे ज्यादा 487 जीसीसी बेंगलुरु में हैं, जो विभिन्न उद्योगों में बंटे हुए हैं। देश के 29% जीसीसी इस शहर में हैं।

हैदराबादः देश में सबसे तेजी से बढ़ते जीसीसी के रूप में उभरा है। यहां देश के 16% यानी 273 जीसीसी और यह शहर देश में दूसरे स्थान पर है।

एनसीआरः इस क्षेत्र में 272 जीसीसी हैं, जो देश के कुल जीसीसी का 16% हिस्सा हैं। इसकी रणनीतिक स्थिति, सरकारी संस्थानों से निकटता और मजबूत इन्फ्रास्ट्रक्चर ने अनेक वैश्विक कंपनियों को आकर्षित किया है।

मुंबईः यहां देश के 12% यानी 207 जीसीसी हैं। यह शहर एक जीसीसी केंद्र के रूप में अपनी स्थिति को मजबूत कर रहा है। बड़ी वैश्विक कंपनियां यहां अपना विस्तार कर रही हैं।

पुणेः दुनिया भर की कंपनियों के 178 जीसीसी की उपस्थिति के साथ यह एक प्रमुख जीसीसी के रूप में उभरा है। यहां देश के 11% जीसीसी हैं।

चेन्नईः यह शहर भी भारत में तेजी से बढ़ते जीसीसी केंद्रों में से एक है। यहां 162 जीसीसी मौजूद हैं, जो देश के कुल जीसीसी का लगभग 10% है।

बजट में प्रोत्साहन से टियर-2 शहरों का रुख

रिपोर्ट में बताया गया है कि 2025 के केंद्रीय बजट से छोटे शहरों की ओर इन सेंटर के जाने को बल मिला है। बजट में टियर-2 शहरों में जीसीसी के विस्तार को आसान बनाने के लिए एक राष्ट्रीय ढांचे प्रस्तुत किया गया है। छोटे शहरों की ओर विविधीकरण से देश भर में जीसीसी की संख्या में उल्लेखनीय वृद्धि होने की उम्मीद है।

वेस्टियन रिसर्च के अनुसार, भारत में जीसीसी की कुल संख्या वित्त वर्ष 2027-28 तक 2,100 से अधिक होने का अनुमान है। इसमें सालाना 8% की दर से वृद्धि हो रही है। अगले कुछ वर्षों के दौरान हर साल लगभग 150 नए केंद्र स्थापित होने की उम्मीद है।

सबसे ज्यादा जीसीसी आईटी में

भारत के जीसीसी में सबसे ज्यादा संख्या आईटी-आईटीईएस क्षेत्र की है। देश में जीसीसी की कुल संख्या का लगभग 49% आईटी-आईटीईएस क्षेत्र में है। इसके बाद बैंकिंग-फाइनेंशियल सर्विसेज और बीमा (BFSI) क्षेत्र का स्थान है, जिसकी हिस्सेदारी 17% है। हेल्थकेयर और लाइफ साइंस, इंजीनियरिंग एवं मैन्युफैक्चरिंग, कंसल्टिंग सर्विसेज और दूरसंचार एवं मीडिया क्षेत्र में लगभग 19% जीसीसी हैं।

वेस्टियन के सीईओ श्रीनिवास राव ने कहा, “भारत का ऑफिस मार्केट प्रतिस्पर्धी लागत, हाई स्किल्ड वर्कफोर्स, मजबूत इन्फ्रास्ट्रक्चर, नीतिगत प्रोत्साहन और अनुकूल बिजनेस वातावरण के कारण GCC को आकर्षक माहौल प्रदान करते हैं।”

राव के अनुसार, किसी भी GCC की दीर्घकालिक सफलता के लिए सही स्थान का चयन अत्यंत महत्वपूर्ण है। वेस्टियन का GCC बाजार प्रवेश सूचकांक कंपनियों को उनके व्यावसायिक उद्देश्यों के अनुरूप सर्वोत्तम स्थानों की पहचान करने में मदद करता है।”

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