उत्तराखंडराज्य

देहरादून : दून लिट फेस्ट में साहित्य के साथ कला और स्वास्थ्य पर भी संवाद

देहरादून लिटरेचर फेस्टिवल के दूसरे दिन का आगाज पंजाब के प्रसिद्ध कवि सुरजीत पातर को श्रद्धांजलि देने के साथ हुआ। इस सत्र में उनके बेटे व पंजाबी गायक मनराज पातर और फेस्टिवल गाइड जस्सी संघ ने एमी सिंह के साथ पंजाबी साहित्य, कला और संगीत पर संवाद किया।

दून इंटरनेशनल स्कूल में आयोजित फेस्टिवल में दूसरे सत्र में बॉडी, एजेंसी, ऑटोनमी में सेक्स एजुकेटर डॉ. तनाया नरेंद्र ने महिला स्वास्थ्य, सेक्स एजुकेशन, बॉडी पॉजिटिविटि और कैंसर जैसे अहम विषयों पर अपने विचार साझा किए और युवाओं को जागरूक किया।

तीसरे सत्र में पूर्व डीजीपी अशोक कुमार और मेजर जनरल शम्मी सभरवाल (सेनि.) ने भारत की वैश्विक भूमिका और भू-राजनीतिक बदलावों पर चर्चा की। पूर्व डीजीपी अशोक कुमार ने कहा कि भारत अब अंतरराष्ट्रीय मंच पर रणनीतिक स्वायत्तता हासिल कर रहा है।

अमृता प्रीतम के साहित्य पर की चर्चा
इसके बाद ””मैं तैनू फेर मिलांगी-ए टाइमलेस टेल ऑफ लव सत्र में कालातीत प्रेम की थीम पर चर्चा हुई। इस सत्र में फेस्टिवल की निर्देशक सौम्या कुलश्रेष्ठ ने भारत की सबसे प्रिय और सशक्त कवियों में से एक अमृता प्रीतम के समृद्ध साहित्य और लेखनी पर चर्चा की। सौम्या ने अमृता की प्रेम कहानी काे बड़े ही खूबसूरत तरीके से दर्शकों के साथ साझा किया। अमृता, साहिर और इमरोज की प्रेम कहानी सुन दर्शक भावुक हो गए। अमृता की मशहूर कविता मैं तैनू फेर मिलांगी के पाठन पर पूरा पवेलियन तालियों से गूंज उठा। इस सत्र के अंत में गीतकार हरीश बुधवानी ने अपना गाना पहली दफा गाकर अमृता, साहिर और इमरोज को एक संगीतमय श्रद्धांजलि दी।

हमें नियमों में बांधने की कोशिश न करें : केना श्री

””हरस्टोरी इन वर्स 2.0”” नामक सत्र में स्पोकन वर्ड आर्टिस्ट केना श्री, आंचल अनीता धारा, निधि नरवाल और एमी सिंह शामिल रहे। पैनल ने महिलाओं की कहानियों पर शक्तिशाली दृष्टिकोण प्रस्तुत किए और कविता के माध्यम से महिलाओं के अनुभवों और अभिव्यक्तियों की गहरी समझ को बढ़ावा दिया। सत्र में समाज में महिलाओं के लिए बनाए गए नियमों के जवाब में आंचल ने अपनी कविता मैं बेपर उड़ने लगी हूं पढ़ उन नियमों के विरुद्ध अपने विचार व्यक्त किए, केना श्री ने अपनी कविता वे चार लोग पढ़कर समाज के चार लोगों की चिंता छोड़ अपने दिल की सुनने का संदेश दिया। मजहबी और सियासती दीवारों के परे एमी सिंह ने अपनी कविता टू डियर लाहौर पढ़ अपने पैतृक घर लाहौर की यादें ताजा कर सभी को भावुक कर दिया। निधि नरवाल की कविता बचपन भी श्रोताओं को खूब पसंद आई। अगले सत्र में लेखक अरुण माहेश्वरी, अजय जैन, नमिता दुबे और अश्विता जयकुमार ने समकालीन साहित्य पर अपनी अंतर्दृष्टि साझा की।

रजित और पिया ने रंगमंच पर की चर्चा
फिल्म और रंगमंच के अभिनेता रजित कपूर और कॉस्ट्यूम डिजाइनर पिया बेनेगल ने फिल्म और रंगमंच के विभिन्न पहलुओं पर चर्चा की। वहीं, फिल्म निर्माता लीना यादव, लेखिका सुतापा सिकदर और पटकथा लेखक अतिका चौहान ने महिला पात्रों के सृजन में महिलाओं की भूमिका पर जोर दिया।

पत्रकार करण थापर ने मोनिका के साथ की चर्चा
बॉलीवुड में महिला कथाओं के विकास पर लेखिका अनुपमा चोपड़ा और अभिनेत्री संध्या मृदुल ने चर्चा की, जबकि पत्रकार करण थापर और मोनिका क्षत्रिय ने भारतीय मीडिया में बदलते नैरेटिव्स पर विचार किया। एक और आकर्षक सत्र, शिफ्टिंग नैरेटिव्स-एवोल्यूशन ऑफ द मीडिया डिस्कोर्स के दौरान पत्रकार करण थापर ने मोनिका क्षत्रिय के साथ चर्चा की। उन्होंने मीडिया के बदलते परिदृश्य का विश्लेषण करते हुए भारतीय पत्रकारिता के भीतर कथाएं और प्रवचन कैसे विकसित हो रहे हैं पर चर्चा की।

पंजाबी गायक बीर सिंह ने दी प्रस्तुति
दिनभर ओपन माइक, दि लिटरेरी पल्स ऑफ इंडिया, यूनिफाइड वी ट्रैवल और वर्ड्स इन मोशन जैसे कार्यक्रमों से भी श्रोता जुड़े। समापन द धुन ऑफ पंजाब नामक पंजाबी संगीत सत्र से हुआ, जिसमें गायक बीर सिंह ने पंजाब की संगीत विरासत को प्रस्तुत किया। इस दौरान फेस्टिवल के आयोजक डीएस मान, एचएस मान और समरांत विरमानी भी मौजूद रहे।

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