द्वितीय केदार मद्महेश्वर भगवान के कपाट शीतकाल के लिए आज सुबह आठ बजे विधि-विधान से बंद हो गये है। प्रात: चार बजे मंदिर खुलने के के बाद श्रद्धालुओं ने भगवान मद्महेश्वर के निर्वाण दर्शन किये। इसके बाद पुजारी शिवशंकर लिंग ने भगवान मद्महेश्वर को समाधि पूजा शुरू की तथा भगवान को भस्म, भृंगराज फूल, बाघांबर से ढक दिया ।
शीतकाल के लिए बंद हो गए मंदिर के कपाट
इस तरह भगवान मद्महेश्वर को समाधिरूप दिया गया। इसके साथ ही भगवान मद्महेश्वर जी के कपाट शीतकाल के लिए बंद हो गए। इस अवसर पर मंदिर प्रशासनिक अधिकारी यदुवीर पुष्पवान, डोली प्रभारी मनीष तिवारी, मृत्युंजय हीरेमठ, सूरज नेगी, प्रकाश शुक्ला, दिनेश पंवार, बृजमोहन सहित रांसी, गौंडार के हक हकूकधारी तथा वन विभाग सहित प्रशासन के प्रतिनिधि मौजूद रहे।
19 नवंबर को राकेश्वरी मंदिर रांसी पहुंचेगी डोली
कपाट बंद होने के बाद भगवान मद्महेश्वर की चल विग्रह डोली को मंदिर परिसर में लाया गया। इस दौरान भगवान मद्महेश्वर ने अपने भंडार, बर्तनों का निरीक्षण भी किया।
- इसके पश्चात भगवान मद्महेश्वर की चल विग्रह डोली रात्रि विश्राम के लिए गौंडार प्रस्थान हो गई। भगवान की चल विग्रह डोली 19 नवंबर को राकेश्वरी मंदिर रांसी, 20 नवंबर को गिरिया पहुंचेगी।
21 नवंबर को ऊखीमठ पहुंचेगी डोली
कार्याधिकारी आर सी तिवारी एवं मुख्य प्रशासनिक अधिकारी राजकुमार नौटियाल ने बताया कि 21 नवंबर को भगवान मद्महेश्वर की चल विग्रह डोली शीतकालीन गद्दीस्थल श्री ओंकारेश्वर मंदिर ऊखीमठ पहुंचेगी। इस अवसर पर श्री ओंकारेश्वर मंदिर उखीमठ में श्री मद्महेश्वर मेले का भी आयोजन होता है
27 अक्टूबर को बंद हुए थे केदारनाथ के कपाट
बता दें कि पौराणिक परंपराओं के अनुसार पिछले महीने 27 अक्टूबर को सुबह ठीक आठ बजकर 30 मिनट पर पूरे विधि विधान से शीतकाल के छह महीनों के लिए केदार बाबा के कपाट बंद हो गए थे। इस वर्ष केदारनाथ यात्रा में रिकार्ड यात्री दर्शनों को आए।
19 नवंबर को बंद होंगे बदरीनाथ धाम के कपाट
श्री बदरीनाथ धाम के कपाट 19 नवंबर शनिवार को शीतकाल के लिए विधि-विधान से बंद किए जाएंगे।