नहीं टला अभी भी यूपी में जीका का खतरा, मिल रही नई प्रजाति के आर्मीगेरेस मच्छर की मौजूदगी और ब्रीडिंग..
कानपुर शहर में अभी जीका का खतरा टला नहीं है। जीका फैलाने वाले एडीज के साथ नई प्रजाति के आर्मीगेरेस मच्छर की मौजूदगी और ब्रीडिंग अभी भी चकेरी के चार इलाकों में मिल रही है। दोनों मच्छरों को जीका का वाहक माना जाता है इसलिए जिला मलेरिया विभाग ने नए सिरे से जिंदा मच्छरों को पकड़ने के साथ तलाश का खाका तैयार किया है। साथ ही इस मच्छर की प्रजाति को रोकने के लिए नया प्रोजेक्ट बनाया जाएगा ताकि ब्रीडिंग से ही कंट्रोल किया जा सके।
चकेरी इलाके से भेजे गए 358 जिंदा मच्छरों की राष्ट्रीय मलेरिया अनुसंधान संस्थान ने रिपोर्ट भेज कर खुलासा कर दिया है कि कानपुर में एडीज, क्यूलेक्स, एनाफिलिज प्रजाति के साथ अब पहाड़ी मच्छर आर्मीगेरेस भी आ गया है। चार इलाकों में इसकी मौजूदगी पाई गई है। इस मच्छर को फाइलेरिया का भी वाहक माना जाता है लेकिन कुछ शोधों में इसे जीका वायरस का भी वेक्टर माना जा रहा है। चकेरी में बीते साल ही जीका संक्रमण फैला था। राष्ट्रीय मलेरिया अनुसंधान संस्थान की रिपोर्ट के अनुसार, चकेरी के तिवारी पुर के एक सेक्टर से 15 जिंदा मच्छरों में 1 मच्छर आर्मीगेरेस प्रजाति का मिला। भवानी नगर से 26 मच्छरों में 1, आदर्श नगर से 7 में 2 व रामगली (लालबंगला) में 12 में 2 मच्छर इसी प्रजाति के पाए गए।
सैंपलिंग कर उपस्थिति का आकलन करेंगे चकेरी क्षेत्र के चार इलाकों में आर्मीगेरेस मच्छर हैं। यह मच्छरों की प्रजाति पहाड़ों में पाई जाती। पहली बार कानपुर में इस मच्छर की प्रजाति मिली है तो ब्रीडिंग भी हो रही होगी। यहां पर दशकों से सिर्फ एडीज, क्यूलेक्स, एनाफिलिज मच्छर ही हैं। कैसे आया और सोर्स क्या, इस पर जांच करने की तैयारी शुरू कर दी गई है। फिर से नए सिरे से सैम्पलिंग कर मौजूदा उपस्थिति का आकलन किया जाएगा। कोशिश होगी कि यह प्रजाति यहां से खत्म हो जाए। -डॉ.एके सिंह, जिला मलेरिया अधिकारी, कानपुर नगर’
क्यों है जीका वायरस का वाहक सदर्न मेडिकल यूनिवर्सिटी, चीन के प्रो. शियाओगुआंग चेन और उनकी टीम ने शोध के बाद आर्मीगेरेस प्रजाति को जीका वायरस के लिए संभावित वेक्टर माना है। बीते साल चकेरी इलाके में ही जीका संक्रमण फैला और उसने 344 शहरियों को चपेट में लिया था।