महाराष्ट्रराज्य

निलंबित पुलिस अधिकारियों को किया जाए बर्खास्त’; पुणे पुलिस ने गृह विभाग को भेजा प्रस्ताव!

पुणे पोर्शे दुर्घटना मामले में अब पुणे पुलिस ने महाराष्ट्र सरकार को एक प्रस्ताव भेजा। इसके तहत पुलिस ने हादसे की जांच के दौरान निलंबित दोनों पुलिस अधिकारियों को बर्खास्त करने की मांग की गई है।

पुणे पोर्शे दुर्घटना मामले में नया मोड़ आता हुआ नजर आ रहा है। अब इस मामले में पुणे पुलिस ने गुरुवार को महाराष्ट्र गृह विभाग को एक प्रस्ताव भेजा। इस प्रस्ताव में पुलिस ने पिछले साल मई में हुई पोर्श कार दुर्घटना के मामले में निलंबित किए गए दो पुलिस अधिकारियों को बर्खास्त करने की सिफारिश की है। बता दें कि यह हादसा 19 मई 2024 की सुबह कल्याणी नगर इलाके में हुआ, जब एक 17 वर्षीय लड़के ने नशे की हालत में पोर्श कार चलाई और दो मोटरसाइकिल सवारों को कुचल दिया था।

लापरवाही के आरोप में हुए थे निलंबित
वहीं बात अब अगर दोनों पुलिस अधिकारियों की करें तो इस मामले में यरवदा पुलिस स्टेशन से जुड़े इंस्पेक्टर राहुल जगदाले और एपीआई विश्वनाथ टोडकरी को देरी से रिपोर्ट करने। साथ ही ड्यूटी के दौरान लापरवाही बरतने के कारण निलंबित कर दिया गया था। इसके साथ ही एक आंतरिक जांच में यह भी सामने आया कि मामला दर्ज करने में चूक हुई और ब्लड सैंपल के नमूने इकट्ठा करने में देरी हुई।

पुणे पुलिस आयुक्त ने दी जानकारी
वहीं मामले में पुणे के पुलिस आयुक्त अमितेश कुमार ने कहा कि इन दो निलंबित पुलिसकर्मियों को बर्खास्त करने के लिए राज्य गृह विभाग को प्रस्ताव भेजा गया है। मामले में शामिल किशोर को सुधार गृह से रिहा कर दिया गया है, जबकि उसके माता-पिता, दो डॉक्टर, ससून अस्पताल का एक कर्मचारी, दो बिचौलिए और तीन अन्य लोग जेल में हैं। गौरतलब है कि यह मामला तब सुर्खियों में आया था जब विभिन्न प्रयासों के तहत मामले को दबाने की कोशिश की गई, जिसमें शराब जांच को निष्क्रिय करने के लिए ब्लड के नमूनों की अदला-बदली भी शामिल थी।

एक नजर पूरे मामले पर
गौरतलब है कि पुणे शहर में 18-19 मई की दरम्यानी रात को करीब तीन करोड़ रुपये की पोर्श कार को तेज गति से दौड़ाने के चक्कर में 17 साल के लड़के ने एक बाइक को टक्कर मार दी थी। गाड़ी की टक्कर इतनी तेज थी कि बाइक अपना संतुलन खोकर काफी दूर तक सड़क पर घिसटते चली गई, जिससे उस पर सवार दो लोगों की मौके पर ही मौत हो गई। मौके पर मौजूद लोगों ने हादसे की सूचना पुलिस को दी, जिसके बाद आरोपी नाबालिग को गिरफ्तार कर लिया गया था।

इस घटना के 14 घंटे बाद आरोपी नाबालिग को कोर्ट से कुछ शर्तों के साथ जमानत मिल गई थी। कोर्ट ने उसे 15 दिनों तक ट्रैफिक पुलिस के साथ काम करने और सड़क दुर्घटनाओं के प्रभाव-समाधान पर 300 शब्दों का निबंध लिखने का निर्देश दिया था। बाद में विवाद बढ़ा तो कोर्ट ने उसकी जमानत रद्द कर दी। हालांकि, पुलिस जांच में सामने आया कि आरोपी शराब के नशे में था और बेहद तेज गति से कार को चला रहा था।

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