उत्तरप्रदेशराज्य

 पंच अग्नि अखाड़े में 28 श्रीमहंत और 16 सदस्यों की कार्यकारिणी सबसे शक्तिशाली, और निराली

महाकुंभ में आकर्षण का केंद्र बनने वाले अखाड़ों में श्री पंच दशनाम अग्नि अखाड़े की परंपरा सबसे निराली है। इस अखाड़े में कार्यकारिणी सभा ही सबसे शक्तिशाली होती है। नियम विरुद्ध आचरण पाए जाने पर इस सभा को आचार्य महामंडलेश्वर, महामंडलेश्वर समेत किसी भी पदाधिकारी को हटाने का अधिकार प्राप्त है।

इस अखाड़े की स्थापना 1136 में हुई थी। पंच अग्नि अखाड़े में सिर्फ वेदपाठी ब्राह्मणों को ही संन्यास दीक्षा दी जाती है। इस अखाड़े के कड़े अनुशासन का पालन करना आसान नहीं होता। अखाड़े में वही संन्यास की दीक्षा ले पाता है, जो आजीवन ब्रह्मचारी रहे। आदि शंकराचार्य की ओर से स्थापित चारों मठों द्वारका, ज्योतिष, गोवर्धनपुरी और शृंगेरी का कोई भी ब्राह्मण ब्रह्मचारी इस अखाड़े में संन्यास दीक्षा ले सकता है।

इस अखाड़े की परंपरा में आनंद, स्वरूप, चैतन्य, प्रकाश नामक संन्यासी इस अखाड़े मठाधीश होते हैं। इस अखाड़े के प्रधानमंत्री सोमेश्वरानंद ब्रह्मचारी बताते हैं कि अखाड़े की ईष्ट देवी गायत्री माता है। अखाड़े का मुख्यालय काशी में है। वहां थानापति ही मठ का प्रबंधक होता है। अखाड़े में आचार्य महामंडलेश्वर, महामंडलेश्वर के अलावा सभापति के बाद प्रधानमंत्री का चुनाव होता है। रमता पंच भी चुने जाते हैं। चार मढि़यों के मंत्री प्रधानमंत्री चुनते हैं। प्रधानमंत्री अखाड़े के खर्चों का हिसाब रखने के साथ ही नीतिगत मसलों पर चर्चा के लिए बैठकें भी बुलाता है।

इस अखाड़े की शाखाएं प्रयागराज के अलावा, हरिद्वार, उज्जैन, नासिक, अहमदाबाद, जूनागढ़, काशी और त्र्यंबकेश्वर में स्थित हैं। अखाड़े का संचालन 28 श्रीमहंत और 16 सदस्यों की कमेटी करती है। अखाड़े के सभापति श्रीमहंत मुक्तानंद ब्रह्मचारी महाकुंभ की छावनी लगवाने के लिए प्रयागराज पहुंच गए हैं। वह बताते हैं कि शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए अखाड़े की ओर से दर्जन भर से अधिक स्कूल और कॉलेज खोले गए हैं।

पीठों पर आधारित ब्रह्मचारियों के नाम
सोमेश्वरानंद बताते हैं कि आनंद नाम का ब्रह्मचारी ज्योतिर्मठ का, चैतन्य नाम का ब्रह्मचारी शृंगेरीमठ का, प्रकाश नाम का ब्रह्मचारी गोवर्धन मठ अर्थात पूर्व का और स्वरूप नाम का ब्रह्मचारी द्वारिका का होता है।

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