आज पंजाब का भूमिगत जल स्तर दिन-ब-दिन गिरता जा रहा है। केंद्रीय भू-जल विभाग का कहना है कि अगर जल स्तर में गिरावट की यही रफ्तार जारी रही तो 2039 तक भूमिगत जल 300 मीटर तक नीचे चला जाएगा और देखते ही देखते पंजाब की जमीन बंजर हो जाएगी। धान की ए.एस.आर. फगवाड़ा तकनीक ही पंजाब की हवा और पानी को बचाने में सक्षम है।
उक्त शब्द सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता एच. एस. फुल्का, फगवाड़ा गुड ग्रो इंस्टीट्यूट के संस्थापक अवतार सिंह व डॉ. चमन लाल वशिष्ट ने संयुक्त रूप से कही। उन्होंने कहा कि यदि हमने भूमिगत जल को बचाने के लिए कोई ठोस कदम नहीं उठाया तो इसका खामियाजा नई पीढ़ी को सदियों तक भुगतना पड़ेगा। उन्होंने कहा कि अगर हमें उक्त समस्या से छुटकारा पाना है तो हमें कृषि के विकास मॉडल को बदलना होगा, जिसके तहत हमें कृषि के प्राकृतिकीकरण की जरूरत है। सबसे पहले हमें कद्दू कारण धान की बिजाई बंद करनी होगी। इसके बजाय हमें फगवाड़ा गुड ग्रो क्रॉपिंग सिस्टम के तहत धान की खेती का कुदरतीकरण (ए.एस.आर.) तकनीक के साथ धान की सीधी बजाए करनी होगी।
इस तकनीक के तहत धान की बुआई के 21 दिन बाद फसल को सबसे पहले पानी दिया जाता है। उक्त तकनीक से धान रोपने पर लगभग 80 प्रतिशत पानी की बचत होती है। बनसपती को पानी की जरूरत ही नहीं है। फसलों के लिए पानी जहर और नमी अमृत है।उन्होंने पंजाब की सभी धार्मिक संस्थाओं से अपील की कि वे अपने-अपने क्षेत्रों में भूजल बचाने के लिए सक्रिय हों ताकि पंजाब का अस्तित्व बचाया जा सके। एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि अगर सरकारें हमारी बात सुनतीं तो हम मीडिया के सामने अपनी बातें क्यों रखते? इस मौके पर कांफ्रेंस में आए किसान अमृत सिंह हरदोफराला, जोगा सिंह चहेरू, परगट सिंह सरहाली आदि ने फगवाड़ा तकनीक से खेती के बारे में अपने अनुभव सांझा किए।