बीता साल पंजाब के लिए कई उपलब्धियों वाला रहा, लेकिन बहुत सी योजनाएं जमीन पर नहीं उतर पाईं। नए साल पर पंजाब को कई महत्वपूर्ण प्रोजेक्टों और योजनाओं के पूरे होने की उम्मीद है। इनमें सबसे महत्वपूर्ण प्रोजेक्ट कटड़ा-अमृतसर-दिल्ली एक्सप्रेसवे का निर्माण है। इससे न सिर्फ दिल्ली तक पहुंचने में चार घंटे लगेंगे, बल्कि पंजाब के विकास को भी नई रफ्तार मिलेगी।
इसी तरह लुधियाना में टाटा स्टील का देश का दूसरा सबसे बड़ा प्लांट भी रोजगार के हजारों नए अवसर लेकर आएगा। पराली के प्रदूषण से जूझ रहे पंजाब को इस बार इससे भी निजात मिलने की उम्मीद है। सरकार पराली से बायो गैस बनाने के 43 प्लांट और पराली की गांठें तैयार करने की 19 इकाइयां लगाएगी। आम लोगों की बात करें तो महिलाओं को लोकसभा चुनाव से पहले 1000 रुपये की सौगात मिल सकती है।
छह जिलों से होकर गुजरेगा 399 किमी लंबा एक्सप्रेस-वे
दिल्ली-अमृतसर-कटड़ा एक्सप्रेसवे का काम जोरों पर चल रहा है। संभावना है कि 40 हजार करोड़ रुपये की लागत से तैयार होने वाला यह प्रोजेक्ट वर्ष 2024 दिसंबर माह तक पूरा हो जाएगा। करीब 670 किलोमीटर लंबे एक्सप्रेसवे के जरिये दिल्ली से अमृतसर चार घंटे में और दिल्ली से कटरा 6 घंटे में पहुंचा जा सकेगा। इस प्रोजेक्ट पर चल रहे काम की गति वर्ष 2023 में उस समय धीमी हो गई जब इसके लिए अधिग्रहण की गई भूमि के मुआवजे के रेट को लेकर किसानों ने आंदोलन शुरू कर दिया। इससे वे के निर्माण का कार्य प्रभावित हुआ। यह हाईवे पंजाब के काफी हिस्से में से निकलना है।
इस हाईवे के बन जाने से दिल्ली से कटरा की दूरी भी कम हो जाएगी। दिल्ली से कटरा फिलहाल सड़क मार्ग से 727 किलोमीटर दूर है लेकिन इसका निर्माण पूरा हो जाने के बाद यह दूरी 58 किलोमीटर तक घट जाएगी। इससे न केवल दिल्ली अमृतसर कटरा जाने वालों को फायदा होगा बल्कि रास्ते में पड़ने वाले और इलाकों के लोगों को भी लाभ होगा।
अभी सड़क के रास्ते वैष्णो देवी तक पहुंचना काफी मुश्किल है। नए रास्ते पर एक पुल बन रहा है जो वैष्णो देवी तक के रास्ते को बहुत आसान कर देगा। इस रास्ते पर एशिया का सबसे लंबा पुल बनाया जा रहा है जिसकी लंबाई 1300 मीटर है। यह पुल केबल आधारित है जो अपने आप में अनूठा है। वैष्णो देवी जाने वालों को इस रास्ते के पूरा हो जाने से बहुत मदद मिलेगी।
रास्ते में आएंगे ये शहर
जिन इलाकों से ये रास्ता निकलेगा उन्हें भी काफी फायदा होगा। व्यापार के हिसाब से इन इलाकों को बूम मिल सकता है। यह एक्सप्रेसवे हरियाणा में 137 किलोमीटर, पंजाब में 399 किलोमीटर और जम्मू-कश्मीर में 135 किलोमीटर लंबा होगा। हरियाणा में यह झज्जर, रोहतक, सोनीपत, जींद, करनाल और कैथल से होकर निकलेगा। पंजाब में पटियाला, संगरूर, लुधियाना, जालंधर, अमृतसर और गुरदासपुर इसके रास्ते में आएंगे। इस एक्सप्रेसवे का निर्माण 18 पैकेज में किया जा रहा है। इसके अलावा कनेक्टिंग सड़कें भी बनाई जा रही हैं, यह काम 2 फेज में पूरा किया जाएगा। इस प्रोजेक्ट के लिए केंद्र सरकार के आदेश हैं कि इसे जल्दी पूरा किया जाए। हाल ही में केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने इसके निर्माण कार्य का जायजा लेने के लिए हवाई दौरा किया था। -संवाद
बॉर्डर जोन के उद्योगपतियों को मिलेगा पैकेज
पंजाब प्रदेश व्यापार मंडल के प्रधान प्यारे लाल सेठ एवं महासचिव समीर जैन का कहना है कि उद्योगपतियों के लिए नए साल का तोहफा यही होगा कि केंद्र सरकार बॉर्डर जिले के व्यापार की बदतर स्थिति को ध्यान में रखते हुए जम्मू-कश्मीर एवं हिमाचल प्रदेश की तर्ज पर पंजाब के उद्योग को पटरी पर वापस लाने के लिए अविलंब विशेष पैकेज देने की घोषणा करे। इसकी उन्हें पूरी उम्मीद है। उन्होंने कहा कि सरकार ने कई बार एलान किया है कि बॉर्डर बेल्ट में लघु इंडस्ट्री को विकसित किया जाएगा, परंतु अभी तक इस पर कोई काम नहीं हुआ। अगला साल चुनावी वर्ष है अमृतसर के व्यापारियों और किसानों को भी बड़ी उम्मीद है कि इस बार बॉर्डर एरिया के लिए सरकार इंडस्ट्री स्थापना के लिए कोई एलान अवश्य करेगी। वहीं, इंडस्ट्री को कम रेट पर बिजली सप्लाई भी मिलेगी।
टाटा स्टील प्लांट पैदा करेगा रोजगार
लुधियाना में नए साल में गांव धनांसू में टाटा स्टील प्लांट से उम्मीदें बढ़ गई हैं। लुधियाना इंडस्ट्री का बड़ा हब है, लेकिन कुछ समय पहले कई औद्योगिक इकाइयों का यहां से पलायन हुआ। इसके बाद पंजाब सरकार ने बड़े घरानों से राज्य में निवेश कराने के प्रयास किए। टाटा स्टील जैसी बड़ी कंपनी के लुधियाना में टाटा स्टील प्लांट लगाने से सरकार की उम्मीदें बढ़ गई हैं। उम्मीद जताई जा रही है कि इससे जहां पंजाब में और निवेश आएगा वहीं रोजगार के अवसर बढ़ेंगे तो सरकार को टैक्स के रूप में राजस्व मिलेगा।
अक्टूबर में मुख्यमंत्री भगवंत मान ने लुधियाना के धनांसू में टाटा समूह की ओर से लगाए जा रहे टाटा स्टील उद्योग का नींव पत्थर रखा था। यह प्लांट देश में दूसरा सबसे बड़ा प्लांट होगा। 2600 करोड़ रुपये की लागत से तैयार होने वाले प्लांट से तीन हजार लोगों को रोजगार मिलेगा। फिलहाल टाटा स्टील कारखाने के निर्माण का काम चल रहा है। 2024 जून में टाटा स्टील प्लांट शुरू होने जाने की उम्मीद है। इससे लुधियाना सहित पंजाब और हिमाचल प्रदेश की स्टील संबंधी जरूरतें पूरा होंगी। स्टील कारोबार को और बल मिलेगा।
बायो गैस बनाने के 43 प्लांट, गांठें तैयार करने को 19 यूनिट लगेंगी
पंजाब के लोगों को उम्मीद है कि नए साल में धान की पराली जलाने से होने वाले प्रदूषण से निजात मिल सकेगी। इन उम्मीदों पर खरा उतरने के लिए सरकार ने भी पूरी तैयारी कर ली है। पंजाब पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड के चेयरमैन आदर्श पाल विग के मुताबिक नए साल में पंजाब को पराली से कंप्रेस्ड बायो गैस बनाने के 43 नए प्लांट मिलेंगे। इसके साथ ही पराली की गांठें बनाने के लिए 19 नए यूनिट भी लगाए जाएंगे। पराली से बिजली पैदा करने के लिए जिला वाइज प्लांट लगाने की भी योजना है। फिलहाल पंजाब में इस तरह के 10 पावर प्लांट चलाए जा रहे हैं।
इस साल सुप्रीम कोर्ट ने पंजाब में पराली जलाने के बढ़ते केसों को लेकर मान सरकार को दो बार फटकार तक लगाई है क्योंकि पंजाब में पराली जलाने से दिल्ली की आबोहवा भी जहरीली बन जाती है, जिससे राजधानी के लोगों के लिए सांस लेना दूभर हो जाता है। इसलिए अब सरकार लगातार पराली से बिजली व बायो गैस बनाने के प्लांट लगाने के लिए प्रयास कर रही है।
इस दिशा में वर्तमान में पराली से बिजली तैयार करने के 10 प्लांट और कंप्रेस्ड बायो गैस बनाने के चार प्लांट लगाए जा चुके हैं, जो काम कर रहे हैं। पीपीसीबी के चेयरमैन आदर्श पाल विग ने बताया कि पराली से कंप्रेस्ड बायो गैस बनाने के चार प्लांट लग चुके हैं, जबकि पांच और जल्द शुरू कर दिए जाएंगे। पंजाब में इस तरह के कुल 47 प्लांटों को लगाने की पेडा से मंजूरी मिली है। इसके अलावा पंजाब में इस समय पराली की गांठें बनाने की 10 यूनिटें चालू हालत में हैं 19 और लगाने का प्रस्ताव है, जिसे नए साल में अमलीजामा पहनाया जाएगा।
भट्ठों में 20 व थर्मल प्लांटों में 5 फीसदी पराली का ईंधन के तौर पर होगा इस्तेमाल
चेयरमैन ने बताया कि ईंट भट्ठों में 20 फीसदी और थर्मलों में पांच फीसदी तक पराली को ईंधन के तौर पर इस्तेमाल करना जरूरी कर दिया गया है। पंजाब में इस समय 2000 ईंट भट्ठे हैं, जिनमें इसे सख्ती के साथ लागू कराया जा रहा है। कुछ तकनीकी कारणों के चलते फिलहाल थर्मलों में इसे लागू नहीं किया जा पा रहा है।