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पंजाब: खुद का गांव दस फुट पानी में डूबा, फिर भी राहत कैंपों में दूध पहुंचाने में जुटे ग्रामीण

भारत-पाकिस्तान सीमा से सटा टापू कालू वाला सतलुज दरिया में आई बाढ़ के लगभग दस फीट पानी में डूबा हुआ है। यहां के ज्यादातर लोग सुरक्षित जगह पर जा चुके हैं लेकिन 15 लोग करीब 65 भैंसों की देखरेख के लिए ठहरे हैं।

ग्रामीण भैंसों का सुबह-शाम दूध निकाल कर राहत कैंपों में ठहरे छोटे बच्चों के लिए कभी बीएसएफ के हाथ व कभी खुद नाव पर जाकर पहुंचाते हैं।

पशुओं की देखरेख के लिए टिके 15 लोग

ग्रामीण लखविंदर सिंह गांव किलचे से अपने 15 साथियों के लिए रोटी व सब्जी लेकर नाव में सवार होकर टापू कालू वाला पहुंचते हैं। लखविंदर कहते हैं कि पानी कम होने का नाम नहीं ले रहा है। उन्हें खुद राशन की दिक्कत नहीं है लेकिन उनके पशुओं को हरा चारा व फीड पूरी नहीं मिल पा रही है। उक्त भैंसों की देखरेख के लिए टापू पर पंद्रह लोग ठहरे हुए हैं। उन्होंने कहा कि बीएसएफ अधिकारी रोजाना उनका हालचाल पूछने आते हैं। बीएसएफ उनका बहुत ध्यान रखती है। कई बार बीएसएफ के हाथ राहत कैंपों में दूध भिजवा देते हैं।

पांच साै मीटर दूर है जीरो लाइन

उधर, टेंडी वाला निवासी बलबीर सिंह व प्रकाश सिंह का कहना है कि पानी ने गांव में बहुत तबाही मचाई है। उनकी जमीनें दरिया में समा गई हैं। बारिश रुकने का नाम नहीं ले रही है। रविवार उनके गांव सेना के जवान राहत सामग्री लेकर पहुंचे हैं। ये गांव बिल्कुल भारत-पाकिस्तान की सीमा से सटा है। यहां से महज पांच सौ मीटर की दूरी पर जीरो लाइन है। मौजूदा समय में बाढ़ के पानी में फेंसिंग डूबी है और पाकिस्तान के गांव भी डूबे हुए हैं।

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