अमृतसर: मौसम के चल रहे बदलाव के चलते अब इन्फ्लूएंजा वायरस सक्रिय हो गया है। जिले में बड़ी तदाद में वायरस से संबंधित लक्षण वाले मरीज सामने आ रहे हैं। बच्चों तथा बुजुर्गों में यह वाइरस ज्यादा अपना असर दिख रहा है। तकरीबन एक सप्ताह में यह वायरस खुद ही खत्म हो जाता है परंतु बच्चों तथा बुजुर्गों को इस वायरस से बचाव के लिए दवा की जरूरत पड़ती है। इस वायरस को क्रोना का निचला रूप कहा जाता है।
जानकारी अनुसार वर्ल्ड हैल्थ ऑर्गेनाइजेशन के मुताबिक इन्फ्लूएंजा, जिसे आमतौर पर फ्लू भी कहा जाता है, इन्फ्लूएंजा वायरस के कारण होने वाला एक एक्यूट रेस्पिरेटरी इन्फेक्शन है। यह दुनिया के सभी हिस्सों में आम है और ज्यादातर लोग बिना उपचार के ही इससे ठीक हो जाते हैं परंतु बच्चों तथा बुजुर्गों को इस वायरस के बचाव के लिए दवा का सेवन करना होता है।इन्फ्लूएंजा लोगों के खांसने या छींकने पर आसानी से फैल सकता है। टीकाकरण इस बीमारी से बचाव का सबसे अच्छा तरीका है। जिले अमृतसर की बात करें तो मौसम के बदल रहे मिजाज के दौरान इस वायरस के मरीज बड़ी तादाद में देखने को मिल रहे हैं। सरकारी तथा प्राइवेट अस्पताल वायरस के लक्षण वाले मरीज दवा लेने आ रहे हैं कहीं बार तो नोज वालों को भी दवा लेने पड़ रही है।
इन्फ्लूएंजा के लक्षण, लोग रहे जगरूक
इंडियन मैडीकल संगठन के टी.बी. कंट्रोल प्रोग्राम के अधिकारी डा. नरेश चावला ने बताया कि फ्लू के लक्षण आमतौर पर जल्दी सामने आते हैं। बुखार, ठंड लगना, शरीर में दर्द, खांसी, सिरदर्द, गला खराब होना, नाक बहना, थकान या कमजोरी महसूस होना, दस्त या उल्टी इत्यादि है। उन्होंने बताया कि क्लीवलैंड क्लीनिक की मानें तो यह संक्रमण आमतौर पर इन्फ्लूएंजा वायरस की वजह से होता है। यही कारण है कि इसे फ्लू के अलावा इन्फ्लूएंजा भी कहा जाता है। इन्फ्लुएंजा ए, बी और सी, इस वायरस के सबसे आम प्रकार हैं, जो लोगों को संक्रमित करते हैं। इनमें से इन्फ्लुएंजा ए और बी मौसमी हैं, जो ज्यादातर लोगों को यह सर्दियों में होता है और इनके लक्षण भी गंभीर होते हैं। वहीं, इन्फ्लुएंजा सी से गंभीर लक्षण पैदा नहीं होते हैं और यह मौसमी नहीं है। डा. चावला ने बताया कि डायबिटीज, अस्थमा, सी.ओ.पी.डी. या फेफड़ों की किसी अन्य पुरानी बीमारी वाले मरीजों को वायरस से सावधान रहना चाहिए।
एक से दूसरे व्यक्ति से फैलता है वायरस
इंडियन मैडीकल एसोसिएशन के पदाधिकारी डा. रजनीश शर्मा ने बताया कि इन्फ्लूएंजा एक मौसमी बीमारी है, जो अक्सर साल में दो बार लोगों को अपना शिकार बनाती है। भारत में मुख्य रूप से इसके मामले जनवरी से मार्च तक और दूसरा मानसून के बाद के मौसम में ज्यादा देखने को मिलते हैं। सवाल का जवाब देते हुए डॉक्टर रजनीश ने बताया कि जी हां, फ्लू संक्रामक होता है, यानी कि यह एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में फैल सकता है। इन्फ्लूएंजा से संक्रमित हर एक व्यक्ति एक से दो अन्य लोगों में फ्लू फैला सकते हैं। इन्फ्लूएंजा वायरस किसी संक्रमित व्यक्ति के सीधे संपर्क में आने से फैलता है। आसपास के किसी व्यक्ति के खांसने, छींकने या बात करने से, बूंदें या तो आपके हाथों पर आ सकती हैं या हवा के माध्यम से आपकी नाक या मुंह में जा सकती हैं। इसके बाद फ्लू आपके फेफड़ों में चला जाता है। फ्लू वायरस से दूषित सतह को छूने और उसी हाथ से फिर अपने चेहरे, नाक, मुंह या आंखों को छूने से फैलता है। इन सतहों में दरवाजे के नॉब, डेस्क, कंप्यूटर और फोन जैसी चीजें शामिल हैं। फ्लू से पीड़ित किसी व्यक्ति के हाथ या चेहरे को छूने के बाद अपने हाथों से अपने चेहरे, नाक, मुंह या आंखों को छूने से भी संक्रमण फैलता है।