पंजाबराज्य

 पंजाब में सत्ता विरोधी लहर कुंद, संजीव अरोड़ा के लिए कैबिनेट में होगा फेरबदल

पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान ने लुधियाना पश्चिमी उप चुनाव को विनम्रता बनाम अहंकार की लड़ाई बताया था। इस चुनाव के नतीजा आप के शीर्ष नेतृत्व के लिए काफी अहम माना जा रहा है। दिल्ली में हार के बाद अब इस जीत से आप को गुजरात के साथ ही पंजाब से भी ऑक्सीजन मिली है।

विरोधियों पर जहां आप नेता अब तीखे हमले करेंगे। वहीं लुधियाना पश्चिमी उपचुनाव की जीत से सत्ता विरोधी लहर भी कुंद हुई। अब प्रदेश के मंत्रिमंडल में भी फेरबदलत तय है, उप चुनाव जीते संजीव अरोड़ा मान की कैबिनेट में दिखाई पड़ेंगे। ऐसा कर सीएम मान लुधियाना पश्चिमी की जनता से किए अपने एक और वायदे को पूरा करते नजर आएंगे।

पार्टी प्रमुख अरविंद केजरीवाल ने संजीव अरोड़ा को जीत के अगले दिन मंत्री बनाने का वादा किया था। केजरीवाल अगर वादा पूरा करते हैं तो पंजाब में मंत्रीमंडल में दो अरोड़ा हो जाएंगे। एक अमन अरोड़ा व दूसरा संजीव अरोड़ा। पंजाब में अरोड़ा बिरादरी का बहुसंख्यक वोट है। जिनका शहरों में खास प्रभाव है।अरोड़ा के जीतने के बाद अब राज्यसभा की भी एक सीट खाली हो जाएगी। पहले केजरीवाल के राज्यसभा जाने की चर्चा थी, जिस पर केजरीवाल के बयान ने विराम लगा दिया है। अब राज्यसभा के लिए पंजाब प्रभारी मनीष सिसोदिया का नाम सबसे ऊपर चल रहा है, लेकिन फाइनल फैसला पार्टी की राजनीतिक मामलों की समिति की तरफ से लिया जाएगा।


जनता ने फिर आप के कामकाज पर जताया भरोसा
आप के पास लुधियाना में एक व्यापारी मंत्री होगा, जिसके जरिए व्यापारियों को साधने का भरसक प्रयास किया जाएगा। लुधियाना पश्चिमी सीट पर 6 बार कांग्रेस, 2 बार अकाली दल, एक बार आप और एक बार जनता पार्टी (पूर्व) का विधायक बन चुका है। लिहाजा, आप ने दोबारा सीट जीतकर अपनी उपस्थिति दर्ज करवा दी है कि सूबे में उनकी नीतियों पर आम जनता की पक्की मोहर है।

दिल्ली का चुनाव हारने और नेतृत्व संकट जूझने के बीच यह जीत पार्टी के कार्यकर्ताओं के लिए पंजाब में 2027 में खुदको दोबारा साबित करने का सुनहरा अवसर माना जा रहा है। इस सीट पर पार्टी का एक वरिष्ठ नेता अब राज्यसभा में एंट्री करेगा, जिससे आप हाईकमान को फिर से दिल्ली की राजनीति में सक्रिय होने में मदद मिलेगी। दिल्ली में हार के बाद पार्टी यह सबसे बड़ी कमी महसूस कर रही है। इसलिए, लुधियाना वेस्ट का यह उपचुनाव केवल स्थानीय नहीं, बल्कि राष्ट्रीय राजनीति के लिए भी अहम माना जा रहा था।

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