
अमृतसर के रमदास के सीमांत गांव दंगई में लोगों की आंखों में दर्द साफ दिखाई देता है। यहां हर तरफ बर्बादी नजर आती है। सैकड़ों एकड़ फसल बाढ़ में डूब चुकी है और गलियों में भी तीन से चार फीट पानी भरा है। कई घरों के भीतर भी दो-दो फीट पानी है। लोगों का कहना है कि उन्हें पहली बार ऐसी बाढ़ का सामना करना पड़ रहा है। बाढ़ ने फसल बचने की रही सही उम्मीद भी मिट्टी में मिला दी है।
गांव अजनाला से 15 किलोमीटर दूर इस गांव में कोई घर ऐसा नहीं है जहां बाढ़ ने तबाही न मचाई हो। कई घर जर्जर हो चुके हैं। कीमती सामान तिरपाल के सहारे सड़कों के किनारे पड़ा है। कुछ घर मलबे में तब्दील हो गए हैं। आशियानों के उजड़ने से गांव वाले राहत टेंटों में रहने को मजबूर हैं।
गांव में चारों ओर पानी ही पानी है। गांव के लोगों दिलबाग सिंह, हरजोत सिंह, सुखदेव सिंह और सुखजीत ने बताया कि उनकी फसलें खत्म हो गईं हैं। कारोबार भी बर्बाद हो गया है।
विज्ञापन
अजनाला के 45 गांव बाढ़ की चपेट में
अजनाला इलाके के लगभग 45 गांव पानी में डूब चुके हैं। डीसी साक्षी साहनी, सेना, एनडीआरएफ, एसडीआरएफ, बीएसएफ और स्थानीय प्रशासन की टीमें राहत कार्यों में जुटी हैं। लोगों को दवाइयां, राशन, टेंट व अन्य जरूरी सामान उपलब्ध करवाया जा रहा है।
तिरपाल के सहारे गुजर रहीं रातें
गांव के लोगों का कहना है कि तिरपाल के सहारे रात गुजारना बहुत मुश्किल है। अस्थायी झोपड़े बारिश की मार नहीं सह पा रहे हैं। पशु बीमार हैं। उनमें से कुछ को पांवों की बीमारी हो गई है। नदी का पानी धीरे-धीरे घट रहा है लेकिन हर तरफ मलबा फैल गया है। इसे निकालने में महीनों लगेंगे।
चोरी की घटनाओं की वजह से भय बना हुआ है। मिल रही मदद पर्याप्त नहीं है। सुरक्षा की कमी बेचैनी बढ़ा रही है। गांव में चारों ओर पानी ही पानी है। लोगों की परेशानी बढ़ रही है।
पंजाब : 1500 गांव बाढ़ की चपेट में, 3.87 लाख प्रभावित
आपदा की चपेट में आए पंजाब में नदियों के उफान से तबाही का मंजर है। इतिहास की सबसे बड़ी बाढ़ त्रासदी ने सबको झकझोर कर रख दिया है। अब तक 46 लोगों की जानें जा चुकी हैं। 1.74 लाख हेक्टेयर फसल बर्बाद हो चुकी है। सभी 23 जिलों के करीब 1500 गांव और 3.87 लाख से अधिक आबादी बाढ़ की चपेट में है। लोगों के आशियाने, सामान और पशुधन बाढ़ में बह चुके हैं।
पहाड़ों से आने वाले पानी के प्रबंधन के लिए रूपनगर व बिलासपुर सीमा पर सतलुज नदी पर भाखड़ा डैम, पठानकोट में रावी नदी पर रणजीत सागर डैम और शाहपुर कंडी डैम व कांगड़ा में ब्यास नदी पर पौंग डैम बने हुए हैं। हिमाचल व पंजाब में सामान्य से अधिक बारिश के चलते बांधों के गेट कई बार खोलने पड़े।
इसका सीधा नुकसान पंजाब ने झेला। 1988 में पंजाब में सबसे भीषण बाढ़ आई थी। तब 11.20 लाख क्यूसेक पानी डिस्चार्ज हुआ था। इस साल 30 अगस्त तक ही 14.11 लाख क्यूसेक पानी डिस्चार्ज हो चुका था। नदियों का जलस्तर बढ़ने से तटबंध कमजोर होकर टूट रहे हैं। बाढ़ का पानी गांवों में घुस रहा है।