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पंजाब: शिअद व भाजपा के दिग्गजों को नहीं मिले 15 फीसदी से ज्यादा वोट

पंजाब में लोकसभा चुनाव में दिग्गज नेताओं की साख दांव पर थी। यही कारण है कि इस बार कई सीटों पर दिलचस्प नतीजे रहे हैं। यहां तक कि शिअद व भाजपा के कई दिग्गज नेता 15 फीसदी से अधिक वोट हासिल नहीं कर पाए हैं।

पंजाब के लोकसभा चुनाव की सभी 13 सीटों पर इस बार चौंकाने वाले नतीजे सामने आए हैं। कांग्रेस ने सात सीटों पर जीत दर्ज की है, वहीं भाजपा के हाथ इस बार खाली रहे है। आम आदमी पार्टी तीन, शिरोमणि अकाली दल एक व दो आजाद उम्मीदवारों इस बार जीत दर्ज करके संसद पहुंचे हैं। लोकसभा चुनाव में सभी राजनीतिक दलों ने अलग-अलग चुनाव लड़ा था।

यही कारण है कि इस बार दिग्गज नेताओं की साख दांव पर थी। सभी नेताओं ने धुरंधर नेताओं को चुनाव में उतारा, ताकि विरोधियों को कड़ी टक्कर दी जा सकें। यही कारण है कि इस बार कई सीटों पर दिलचस्प नतीजे रहे हैं। यहां तक कि शिअद व भाजपा के कई दिग्गज नेता 15 फीसदी से अधिक वोट हासिल नहीं कर पाए हैं। कुल 328 में से 266 प्रत्याशी एक फीसदी के आंकड़े को नहीं छू पाए। 289 प्रत्याशियों को अपनी जमानत तक गंवानी पड़ी।

शिरोमणि अकाली दल ने गुरदासपुर सीट पर डॉ. दलजीत सिंह चीमा को चुनाव मैदान में उतारा था। इस सीट पर कांग्रेस प्रत्याशी सुखजिंदर सिंह रंधावा जीत दर्ज करने में सफल रहे, जबकि चीमा 85,500 (7.93) फीसदी ही वोट हासिल कर पाए। चीमा की पहचान शिअद के दिग्गज नेताओं में की जाती है। 2012 से 2017 तक पंजाब के शिक्षा मंत्री रहते हुए अपने क्षेत्र को आईआईटी दिलाने का श्रेय इनको जाता है।

वह मुख्यमंत्री के सलाहकार के पद तक पर अपनी सेवाओं दे चुके हैं, लेकिन बावजूद इसके उनको इस बार अपनी जमानत गंवानी पड़ी है। इसी सीट पर बहुजन समाज पार्टी के प्रत्याशी राजकुमार सिर्फ 0.46 फीसदी वोट प्राप्त कर पाए। खडूर साहिब सीट पर विरसा सिंह वल्टोहा व भाजपा प्रत्याशी मनजीत सिंह मन्ना मियाविंड के हाथ सिर्फ 8.25 फीसदी ही वोट ही लगे। मियाविंड तीन बार के विधायक हैं और शिअद से उनका नाता रहा है। वर्ष 2002 से लेकर 2012 तक खडूर साहिब से वह विधायक रह चुके हैं। इसी तरह वल्टोहा की पहचान एक टकसाली नेता के रूप में है।

वह पूर्व विधायक होने के साथ ही शिअद के मुख्य प्रवक्ता भी रह चुके हैं। इस सीट पर बसपा के सतनाम सिंह भी अपनी जमानत नहीं बचा पाए हैं। इसी तरह कांग्रेस छोड़कर शिअद की टिकट पर जालंधर से चुनाव में उतरे मोहिंदर सिंह केपी भी 67,911 (6.87) फीसदी ही वोट प्राप्त कर सकें हैं। वह 2009 में जालंधर से सांसद रह चुके हैं। तीन बार के विधायक केपी राज्य में दो बार मंत्री भी रह चुके हैं। यही कारण है कि शिअद ने उनको जालंधर से टिकट थमाई थी।

अगर फरीदकोट सीट की बात की जाए तो यहां पर भाजपा प्रत्याशी हंस राज हंस को 1,23,533 (12.18%) फीसदी वोट पड़े। इस चुनाव में हंस राज हंस को किसानों का सबसे अधिक विरोध का सामना करना पड़ा था। वह दिल्ली की उत्तर पश्चिम सीट से पिछली बार सांसद रह चुके हैं। वह शिअद व कांग्रेस से होते हुए भाजपा में शामिल हुए थे।

इसी तरह यहां कांग्रेस प्रत्याशी अमरजीत कौर को भी सिर्फ 15.81 फीसदी वोट से ही संतुष्टि करनी पड़ी है। उनको चुनाव में कुल 1,60,357 वोट पड़े। इसी तरह शिअद के राजविंदर सिंह धर्मकोट को भी 13.63 फीसदी वोट पड़े हैं। वह लगातार तीन बार विधायक रह चुके हैं और पूर्व मंत्री गुरदेव सिंह बादल के दोहते हैं। इसी तरह बठिंडा में भाजपा की परमपाल कौर सिद्धू को 9.62 और शिअद अमृतसर के लक्खा सिधाना को 7.36 फीसदी वोट पड़े।

इसके अलावा भाजपा के अरविंद खन्ना को भी संगरूर से अपनी जमानत गंवानी पड़ी है। उनको 1,28,253 (12.7%) वोट पड़े हैं। वह विधायक रह चुके हैं। शिअद के इकबाल सिंह झूंदा भी इस लिस्ट में शामिल हैं और उनको 6.19 फीसदी वोट पड़े हैं। अगर पटियाला सीट पर शिअद प्रत्याशी एनके शर्मा की बात की जाए तो उनको 1,53,978 (13.37 %) वोट पड़े हैं।

फतेहगढ़ साहिब में भाजपा के गेजा राम को मिले 13.09 प्रतिशत वोट

फतेहगढ़ साहिब की सीट पर भाजपा के गेजा राम को 1,27,521 (13.09 %) और शिअद के बिक्रमजीत सिंह खालसा को 1,26,730 (13.01%) वोट मिले हैं। इसी तरह होशियारपुर में शिअद के प्रत्याशी सोहन सिंह ठंडल 91,789 मत हासिल किए और उनको 9.68 फीसदी वोट पड़े हैं। ठंडल चार के विधायक हैं और अकाली-भाजपा सरकार में मंत्री व मुख्य संसदीय सचिव भी रह चुके हैं। इस सीट पर कांग्रेस छोड़कर आप से चुनाव लड़कर डाॅ. राजकुमार चब्बेवाल सांसद बने हैं।

उन्होंने कांग्रेस प्रत्याशी यामिनी गोमर को मात दी। इसी तरह आनंदपुर साहिब सीट पर शिअद के प्रोफेसर प्रेम सिंह चंदूमाजरा को 1,17,936 मत पड़े। उन्होंने 10.95 फीसदी वोट हासिल किए, लेकिन वह अपनी जमानत नहीं बचा पाए। चंदूमाजरा की राजनीति में अच्छी पकड़ मानी जाती है। इसका अंदाजा यहीं से लगाया जा सकता है कि उन्होंने 1998 के चुनाव में कैप्टन अमरिंदर सिंह व 2014 में अंबिका सोनी को मात दी थी। यहां बसपा पंजाब प्रधान बसवीर सिंह गढ़ी भी 8.37 फीसदी वोट ही हासिल कर पाए और अपनी जमानत गंवा बैठे। लुधियाना सीट पर शिअद के रणजीत सिंह ढिल्लों को 8.52 फीसदी वोट मिले।

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