पंजाब: हाईकोर्ट ने अमृतपाल सिंह के साथी दलजीत कलसी की याचिका की खारिज
कलसी ने अपनी याचिका में कहा कि उसे अजनाला पुलिस थाने पर 23 फरवरी को हुए हमले की एफआईआर में भी नामजद किया गया है लेकिन इस मामले में न तो उसकी गिरफ्तारी दिखाई गई है और न ही उसे ट्रायल कोर्ट के समक्ष पेश किया गया है। ऐसे में उसे ट्रायल कोर्ट के समक्ष पेश किया जाए ताकि इस मामले का ट्रायल तेजी से पूरी किया जा सके।
अमृतपाल सिंह के साथी सरबजीत उर्फ दलजीत कलसी की याचिका पर पंजाब सरकार ने जवाब दाखिल करते हुए दो टूक कहा है कि किसी के जीवन और स्वतंत्रता की रक्षा का सांविधानिक अधिकार अहम है लेकिन इसके लिए राज्य की कानून-व्यवस्था को दांव पर नहीं रखा जा सकता। सभी पक्षों को सुनने के बाद पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट ने कलसी की याचिका को खारिज कर दिया।
कलसी ने अपनी याचिका में कहा कि उसे अजनाला पुलिस थाने पर 23 फरवरी को हुए हमले की एफआईआर में भी नामजद किया गया है लेकिन इस मामले में न तो उसकी गिरफ्तारी दिखाई गई है और न ही उसे ट्रायल कोर्ट के समक्ष पेश किया गया है। ऐसे में उसे ट्रायल कोर्ट के समक्ष पेश किया जाए ताकि इस मामले का ट्रायल तेजी से पूरी किया जा सके और संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत उसके जीवन व स्वतंत्रता के अधिकार की रक्षा हो सके। ट्रायल तेजी से पूरी होना स्वतंत्रता के अधिकार का हिस्सा है और ऐसे में उसके इस अधिकार की रक्षा की जाए।
याचिका पर पंजाब पुलिस की तरफ से जवाब दायर कर कहा गया कि कलसी को अनुच्छेद 21 का लाभ नहीं दिया जा सकता है। अनुच्छेद 21 के प्रावधानों को ऐसी स्थिति में प्रभावी कर इसका लाभ नहीं दिया जा सकता जिससे कानून और व्यवस्था की स्थिति खराब हो। पुलिस द्वारा दिए गए जवाब के अनुसार अनुच्छेद 21 का लाभ लेने से याचिकाकर्ता को तो व्यक्तिगत स्वतंत्रता मिलेगी लेकिन इससे पूरे राज्य और आम जनता की सुरक्षा खतरे में पड़ जाएगी। इस प्रकार, गलत व्याख्या और दूसरे की अनदेखी करके याचिकाकर्ता को अनुच्छेद 21 के तहत कोई लाभ नहीं दिया जा सकता।
कलसी पर अजनाला पुलिस स्टेशन पर हमले के आरोप में मामला दर्ज किया गया है। कलसी की तरफ से यह भी दलील दी गई कि उसे बिना किसी गिरफ्तारी या मुकदमे के आठ महीने से एनएसए के तहत गलत तरीके से हिरासत में रखा गया है। इस पर पंजाब पुलिस की तरफ से जवाब दायर कर कहा गया कि उसकी हिरासत उचित और कानून के अनुरूप है। इसे राज्य सरकार, केंद्र सरकार और सेवानिवृत्त उच्च न्यायालय के न्यायाधीश की देखरेख में गठित एक समिति द्वारा मंजूरी दी गई है।
पंजाब सरकार ने यह भी कहा कि आरोपी के खिलाफ संगीन आरोप हैं और फिलहाल उसे किसी मामले में पेश नहीं किया जा सकता। हाईकोर्ट ने सभी पक्षों की दलीलों सुनने के बाद कलसी की इस याचिका को खारिज कर दिया है। 15 दिन में इस याचिका पर हाईकोर्ट का विस्तृत आदेश आ जाएगा।