महाराष्ट्रराज्य

पहले बॉम्बे HC में ‘लाडकी बहीण योजना’ पर उठाए सवाल, अब मांगने लगा सुरक्षा

बॉम्बे हाईकोर्ट की नागपुर पीठ में एक शख्स ने महाराष्ट्र सरकार की लाडकी बहीण योजना समेत कई मुफ्त उपहार योजनाओं के खिलाफ याचिका दायर की है। याचिकाकर्ता ने कहा था कि इन योजनाओं को बंद करना चाहिए। अब याचिका दायर करने वाले समाजिक कार्यकर्ता ने खुद के लिए सुरक्षा मांगी है।

क्या है मामला?

  • दरअसल, सामाजिक कार्यकर्ता अनिल वडापल्लीवार ने हाईकोर्ट में अब एक याचिका डाली है कि जब से उसने योजनाओं को बंद करने की बात कही, तब से उसे धमकियां मिल रही है।
  • अब कोर्ट ने नागपुर के पुलिस आयुक्त को सुरक्षा देने पर फैसला करने को कहा है।

प्रत्येक नागरिक की सुरक्षा राज्य का कर्तव्यः कोर्ट
न्यायमूर्ति विनय जोशी और अभय मंत्री की खंडपीठ ने पुलिस को निर्देश देते हुए कहा कि प्रत्येक नागरिक के जीवन और स्वतंत्रता की रक्षा करना राज्य का कर्तव्य है।
पीठ ने नागपुर के पुलिस आयुक्त को सामाजिक कार्यकर्ता अनिल वडापल्लीवार द्वारा पुलिस सुरक्षा की मांग करने वाले आवेदनों पर शीघ्र निर्णय लेने का निर्देश दिया।

राज्य के खजाने पर बोझ है फ्री
वडापल्लीवार ने राज्य सरकार द्वारा मुफ्त उपहारों के वितरण के खिलाफ एक जनहित याचिका दायर की थी।

जनहित याचिका में मांग की गई थी कि हाईकोर्ट जनता के एक विशेष वर्ग को अप्रतिबंधित मुफ्त उपहार के रूप में राज्य सरकार द्वारा दिए जाने वाली को अवैध घोषित करे।

याचिकाकर्ता ने कहा कि इस तरह की योजनाएं मौलिक अधिकारों का हनन हैं और राज्य के खजाने पर भारी बोझ डालती हैं, जिससे वास्तविक करदाताओं पर वित्तीय बोझ बढ़ता है।

याचिकाकर्ता बोले- मुझे मिल रही धमकियां
वडापल्लीवार ने अपने आवेदन में दावा किया कि जब से उन्होंने जनहित याचिका दायर की है, तब से उन्हें समाज के विभिन्न वर्गों से नाराजगी का सामना करना पड़ रहा है। यहां तक ​​कि राजनीतिक रैलियों और भाषणों में भी उन्हें धमकियां दी जाती हैं। उन्होंने दावा किया कि वो अब अपने परिवार सहित अपने जीवन की सुरक्षा को लेकर भी डरे हुए हैं।

वडापल्लीवार ने कहा कि उन्होंने सुरक्षा की मांग करते हुए पुलिस के समक्ष दो आवेदन दायर किए थे, लेकिन उन पर कोई निर्णय नहीं लिया गया।

क्या है लाडकी बहीण योजना
बता दें कि ‘मुख्यमंत्री माझी लाडकी बहीण योजना’ एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाली महायुति सरकार का एक प्रमुख कार्यक्रम है, जिसके तहत पात्र महिलाओं को प्रति माह 1500 रुपये की सहायता दी जाती है।

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