पाकिस्तान सेना-सरकार की चाल पर फूटा लोगों का गुस्सा

पाकिस्तान में सेना और सरकार द्वारा चार प्रांतों को 12 प्रशासनिक इकाइयों में पुनर्गठित करने की योजना ने आंतरिक असंतोष भड़का दिया है। आजादी और स्वायत्तता की मांगों को बिखेरने की रणनीति बताई जा रही इस कवायद पर जहां इस्लामाबाद तेज प्रशासनिक सुधार का तर्क दे रहा है, वहीं सिंध, बलूचिस्तान और खैबर पख्तूनख्वा में राजनीतिक दल व नागरिक समूह इसे उनकी आजादी की मांग को दबाने और पहचान मिटाने की कोशिश बता रहे हैं।
थिंक टैंकों ने पाकिस्तानी सरकार को चेताया
अंतरराष्ट्रीय थिंक टैंकों कार्नेगी, वेस्ट एशिया एंड पाकिस्तान स्टडीज और इंटरनेशनल क्राइसिस ग्रुप का आकलन है कि इससे न केवल विद्रोह और फैलेगा बल्कि पाकिस्तान का टूटना निकट भविष्य में लगभग तय हो जाएगा। सेना व सरकार पर आरोप है कि वे बलूचिस्तान, सिंध व केपी में उठ रहे आंदोलनों को कमजोर करने के लिए देश के मौजूदा चार प्रांतों को 12 नए प्रांतों में बांटने की रणनीति पर काम कर रहे हैं। हालांकि चार प्रांतों को 12 हिस्सों में बांटने के अनौपचारिक खाके के तहत पंजाब को उत्तर, मध्य व दक्षिण पंजाब में सिंध को कराची-सिंध, मध्य-सिंध व ऊपरी-सिंध में रखा जाएगा। खैबर पख्तूनख्वा को भी उत्तर, दक्षिण व आदिवासी खैबर प्रांत में बांटा जाना है। इसी तरह बलूचिस्तान को पूर्वी, पश्चिमी और दक्षिणी भाग में बांटा जाना है।
सिंध, बलूचिस्तान, केपी में विरोध
पाकिस्तानी सूचना-प्रसारण मंत्री अत्ताउल्लाह तरार से नए प्रांतों की रूपरेखा पर संकेत मिलते ही देश में सियासी प्रतिक्रिया विस्फोटक हो गई। सिंध-पीपीपी के नेता बिलावल जरदारी ने कहा, दुनिया की कोई ताकत सिंध को बांट नहीं सकती। यह सांस्कृतिक हमला है। सत्तारूढ़ पार्टी में सहभागी पार्टी ने इसे खतरनाक खेल बताया। बलूचिस्तान ने इसे बलोच पहचान मिटाने वाली चाल बताया। क्वेटा और तुर्बत में विरोध तेज हो गया है, जबकि केपी में इसे पख्तून भूगोल को खंडित करने का प्रयास बताकर विरोध किया जा रहा है।



